केन्द्र एवं प्रदेश सरकार की गलत नीतियों को जन जन तक पहुंचायें सपा के कार्यकर्ता - अखिलेश यादव



लखनऊ: समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने सभी पार्टी कार्यकर्ताओं व पदाधिकारियों का आह्वान किया है कि वे राज्य और केन्द्र की भाजपा सरकारों की अक्षम्य गलतियों तथा जनविरोधी नीतियों का जन-जन के बीच जाकर पर्दाफाश करें और पीड़ित, दुखी तथा असहाय लोगों की मदद करें।

सपा अध्यक्ष ने गुरुवार को सपा प्रदेश मुख्यालय पर ‘‘समाजवादी पार्टी का आह्वान ‘‘ अपील जारी करते हुए कहा कि भाजपा ने जनता का भरोसा तोड़ने का काम किया है। उन्होंने आव्हान किया कि आज देखना होगा कि नौजवानों और किसानों के साथ अन्याय न हो, अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और मानवाधिकारों का हनन न हो। देश में डर और आतंक का माहौल पैदा करने वालों को सफल न होने दें। लोकतंत्र, समाजवाद और धर्मनिरपेक्षता हमारे संविधान की मूल प्रस्तावना के हिस्से हैं। पार्टी इनके लिए प्रतिबद्ध है। उन्होंने उन लोकतंत्र रक्षक सेनानियों को नमन किया जिन्होंने आज के दिन से शुरू हुए आपातकाल में यातनाएं सहकर भी तानाशाही को उखाड़ फेंका था। अखिलेश ने कहा कि भाजपा ने सत्ता में आने के बाद जनहित का कोई उल्लेखनीय कार्य नहीं किया है।

जनता अपने साथ हुए विश्वासघात को भूल नहीं सकती है। इसलिए हमारा मुख्य लक्ष्य उत्तर प्रदेश में कुशासन का पर्याय बन गई भाजपा सरकार को वर्ष 2022 के चुनावों में सत्ता से बेदखल करना है। उन्होंने कहा कि सपा महात्मा गांधी, डा. लोहिया, डा. अम्बेडकर, आचार्य नरेन्द्र देव, लोक नायक जयप्रकाश नारायण और चौधरी चरण सिंह के बताए हुए रास्ते पर चलते हुए आर्थिक-सामाजिक गैरबराबरी और सभी किस्म की विषमताओं के विरूद्ध संघर्षरत रही है। उन्होंने कहा कि भाजपा की केन्द्र सरकार ने देश को आर्थिक अराजकता, मंदी, अपराध और लोकतंत्र के अवमूल्यन की दिशा में ढकेला है। साजिश और अफवाह, यही भाजपा के हथियार है। उन्होंने कहा भाजपा की एकाधिकारी प्रवृत्ति की आशंका प्रबल होती दिखती है।

सपा मुखिया ने कहा कि आज के दिन ही देश में लोकतंत्र को तानाशाही का शिकार बनाया गया था। जब उसके विरोध में जनता उठी तो दूसरी आजादी की रक्षा हो सकी। आज फिर वैसी संक्रमण कालीन स्थिति बन रही है। किसान के विरूद्ध गहरी साजिश के तहत कारपोरेट पूंजीवाद को बढ़ावा दिया जा रहा है। संवैधानिक संस्थाओं को कमजोर किया जा रहा है। साम्प्रदायिकता और जातियों के बीच नफरत लोकतंत्र को कमजोर करती है।

आज किसान लुट रहा है, मजदूर भूखों मर रहा है, बेरोजगारी सुरसा की तरह आकार बढ़ाती जा रही है, नौकरी के नाम पर युवकों को धोखा दिया जा रहा है, छात्र वर्ग कुंठित है। बुनकर, दस्तकार और छोटा, मझोला, बड़ा उद्यमी किसानों की तरह आत्महत्या करने को विवश है। देश की सीमाएं सिकुड़ रही है। कोरोना महामारी से पूरा देश भयाक्रांत है। लॉकडाउन ने सामाजिक-आर्थिक सभी गतिविधियां ठप्प कर दी हैं। लाखों श्रमिक बेरोजगार हो गए हैं

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