गरीब की जमीन हड़पने वाले डाक्टर को मिला भ्रष्ट सत्ता का संरक्षण,कानून होना पड़ा शिथिल


जौनपुर । धरती के भगवान की उपाधि धारण कर यमराज का काम करने वाले चिकित्सक अब समाज में गरीबों की सम्पत्तियों को औने पौने हड़पने का कुत्सित खेल करते नजर आ रहे हैं। ऐसे चिकित्सक को सत्ता धारी दल के राजनैतिको का भरपूर सहयोग मिलना इस बात का संकेत है कि न्याय नाम की चीज कहीं नहीं है। हर स्तर पर धनोपार्जन का खेल चल रहा है। 
जी हाँ अभी हम बात कर रहे हैं थाना कोतवाली के अधीन चौकी सरायपोख्ता क्षेत्र के ओलंदगंज नईगंज मार्ग पर स्थित त्रिशूल फ्रैक्चर क्लीनिक के डाक्टर विनय कुमार तिवारी की जो उपचार के नाम पर जनता का खून चूसने के बाद अब गरीबों को लूट कर अपना आर्थिक सामराज्य खड़ा कर रहे हैं ।
इनके कृत्य की पोल तब खुली जब वे एक मन्द बुद्धि के व्यक्ति शिव पूजन यादव पुत्र स्व रामनाथ यादव की जमीन औन पौन हथिया लिया और उसे पैसा तक नहीं मिला था। इनके आतंक से आजिज आ कर उक्त शिव पूजन की पत्नी सुनीता यादव अपने जमीन के पैसे के लिए  विनय कुमार तिवारी के चैम्बर में पहुंच कर पैसा की मांग किया न मिलने पर वहीं अपने उपर मिट्टी का तेल छिड़क कर आत्मदाह करने की कोशिश किया। इसकी खबर लगते ही मौके पर पुलिस पहुंच गयी और महिला को जलने से रोकते हुए डाक्टर को हिरासत में लेकर थाने पर पहुंची ।
इसके बाद खुलासा हुआ कि गरीब शिव पूजन की जमीन  70 लाख रुपये में मुआयदा कराने के बहाने ले गया और रजिस्ट्री करा लिया है। पैसा एक रूपये नहीं दिया। बाद में जब भाजपा के कुछ बिकाऊ विधायक का दबाव पड़ा तो कहांनी बदल गयी डाक्टर हवालात से बाहर आ गये और डाक्टर के खास निलेश तिवारी अन्दर हो गये। दूसरी कहानी बनाने में पुलिस भी डाक्टर के साथ नजर आने लगी। घटना की नयी कहानी यह है कि डाक्टर ने गरीब यादव का पैसा निलेश के जरिए चेक से उसके खाते में जमा करने के लिए दिया था निलेश ने बैनामा करने वाले के खाते में जमा न करके अपने खाते में जमा कर लिया है। 
यहाँ पर सवाल खड़ा होता है कि बैंक नियमावली के अनुसार चेक उसी के खाते में जमा हो सकता है जिसके नाम से होगा। इसका मतलब विनय कुमार तिवारी ने चेक बैनामा करने वाले के नाम से बनाया ही नहीं था। 70 लाख रुपये नकद दिये नहीं जा सकते है। जो भी हो सत्ता धारी दल के जन प्रतिनिधि की कृपा से यमराज बन चुके डाक्टर साहब पुलिस हिरासत से बाहर आ गये है और निलेश तिवारी अन्दर है। हलांकि राजनैतिक दबावों के कारण घटना के 24 घन्टे बाद तक मुकदमा नहीं पंजीकृत हुआ था। 
ऐसे में सहज अनुमान लगाया जा सकता है कि भ्रष्टाचार में जब राजनीति और कार्यपालिका दोनों डुबकी लगा रही हो तो कमजोर गरीब पीड़ित को न्याय कैसे मिलेगा। ऐसे लुटेरों चिकित्सक तो जनता का खून चूसने के साथ ही उनकी सम्पत्तियां भी भ्रष्टाचारियों की सह पर लूट लेंगे कानून कुछ नहीं कर सकेगा।

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