मल्हनी उपचुनाव: प्रत्याशियों द्वारा हो रही है वोटों की खरीद,जिम्मेदारोजिम्मेदारों के आंख कान बन्द क्यों ?


जौनपुर। मल्हनी विधानसभा के उप चुनाव में मतदाताओं के बीच दावे और वादे के साथ स्थानीय एवं स्टार प्रचारकों के जरिए अपने पक्ष में वोट करने की अपील करने के उपरांत अब मतदान की तिथि करीब आते ही प्रत्याशी एवं समर्थकों द्वारा वोटों के खरीद फरोख्त का खेल शुरू कर दिया गया है। निष्पक्ष चुनाव कराने के लिए भेजे गये आयोग के अधिकारी प्रेक्षक आंख कान दोनों बन्द किये हुए पड़े हैं। 
मतदाता भी अवसर का लाभ उठाते हुए अपना डेढ़ साल पांच सौ से एक हजार रुपये मे बेंच भी रहा है। बतादे वोटों बेचने वाले मतदाताओं मे दलित समाज एवं अति पिछड़े समाज के मतदाताओं की संख्या अधिक बतायी जा रही है। इसके अलावां अल्पसंख्यक समुदाय के लोग भी इस चुनाव में पैसे को तरजीह देते सुने जा रहे हैं। खबर यह भी मिली है कि भाजपा से नाराज कुछ सवर्ण मतदाता भी इस खेल में शामिल हो गये है। इस तरह जिसे जहां भी अवसर मिल रहा है धनोपार्जन करने से नहीं चूक रहा है।  
यहाँ बतादे कि सत्ता धारी दल भाजपा के प्रत्याशी एवं समर्थकों द्वारा खुले आम वोटों की खरीद फरोख्त करते वीडियो फोटो वायरल हुआ शोसल मीडिया से शुरू हो कल सभी मीडिया पर दिखाया गया लेकिन न तो प्रशासन ने ध्यान दिया  नहीं आयोग के अधिकारी द्वारा कोई कार्यवाही की गयी जिसका परिणाम रहा कि इस उप चुनाव में अब लगभग ज्यादातर प्रत्याशी वोटों की खरीद फरोख्त शुरू कर दिये हैं। खबर मिली है कि भाजपा प्रत्याशी द्वारा ग्राम प्रधानो के जरिए अब वोटों की खरीद करायी जा रही है तो कार्यकर्ता भी मतदाताओं के बीच वोटों की खरीद कर रहे हैं। 
सूत्र की माने तो निर्दल प्रत्याशी के लोग भी इस खेल में पूरी ताकत से लगे हुए हैं। इनके स्तर से तो आचार संहिता के दौरान कुछ गांवो में ट्रान्सफार्मर अथवा पेय जल आदि की सुविधा प्रदान कर वोटों को अपने पक्ष में मतदान की अपील किया जा रहा है। इसके अलावां रात्रि के समय में पैसा भी बांटने का काम किया जा रहा है जिसका कोई लेखा जोखा कहीं भी नहीं मिल सकता है। 
इतना ही नहीं बसपा भी किसी से कम नहीं है अपने जनाधार को बढ़ाने के लिए तथा दलित वोटों को बसपा के पक्ष में रोकने के लिए दलित बस्तीयों सहित सवर्ण मतदाताओं को खरीदने का खेल किया जा रहा है। इस तरह इस चुनाव में जीत के इरादे से जंग कर रहे लगभग सभी प्रत्याशियों द्वारा मतदाताओं के खरीद फरोख्त का खेल किया जा रहा है। 
आयोग के द्वारा भेजे गये प्रेक्षक क्यों मौन है और प्रशासन कान आंख क्यों बन्द किये हुए हैं यह तो अधिकारी जाने लेकिन वोटों की खरीद से इतना तो साफ हो गया कि मतदाता निष्पक्ष हो कर अपने जन प्रतिनिधि का चुनाव न करते हुए धन बल के सामने नत मस्तक होने लगा है। जो भी हो पैसे से वोटों को खरीद कर विधायक बनने वाले से चुनाव बाद अगर जनता अपेक्षा करेगी तो उसे ठेंगा के अलावां सायद कुछ भी मिलना कठिन होगा ।

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