अज्ञात बुखार से छः बच्चो की मौत से मचा हड़कंप, मानवाधिकार ने लिया संज्ञान



सोनभद्र में पिछले दिनों दूषित पानी पीने से दो मासूमों सहित छह की हुई मौत का मामला सामने आया है। अज्ञात बुखार चढ़ने से हुई मौतों का राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने संज्ञान में लेकर सुनवाई शुरू कर दी है। गांव में शुद्ध पेयजल की व्यवस्था न होने के कारण लोग रिहन्द डैम का प्रदूषित पानी पीने को मजबूर हैं।वहीं सड़क की व्यवस्था ठीक न होने से इलाज के लिए लोगों को कई मील पैदन चलकर अस्पताल जाना पड़ता है। इसी कारण बेलहत्थी ग्राम पंचायत के कई टोलों तक एंबुलेंसभी नहीं पहुंच पाती। 
अस्पतालों में एंटी वेनम की कमी ने बढ़ाई चिंता बताते चलें कि म्योरपुर ब्लाक के बेलहत्थी ग्राम पंचायत में पखवाड़े भर पूर्व अज्ञात बुखार से दो मासूमों सहित छह की हुई मौत के मामले का राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने संज्ञान में लेकर सुनवाई शुरू कर दी है। इसके लिए पक्षकारों को जानकारी भी भेज दी गई है। प्रदूषित पानी के सेवन को मौत का कारण बताया जा रहा है। गत 15 जुलाई को बेलहत्थी ग्राम पंचायत में एक सप्ताह के भीतर दो मासूमों सहित कई की मौत का मामला प्रकाश में आने के बाद हड़कंप मच गया था। राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग पीपुल्स फ्रंट के जिला संयोजक कृपा शंकर पनिका, ग्राम पंचायत सदस्य कुंज बिहारी, रामबिचार खरवार, दिलबसिया, फुलकुमारी, मजदूर किसान मंच के सचिव रमेश सिंह खरवार आदि का दावा था कि सभी मौतें प्रदूषित पानी के सेवन से और समय से उपचार उपलब्ध न होने के कारण हुई हैं। कल्लू (2) पुत्र हरिकिशुन निवासी बेलगुड़ी टोला, सतवंती (26) पत्नी रामविचार निवासी सहजनवा टोला, राजेश खरवार (27) पुत्र राजेंद्र की रजनी टोला में, रोमा बैगा (2.5) पुत्री रुपम निवासी लालीमाटी टोला, ननकी देवी (30) निवासी रजनी टोला सहित छह की हुई मौत को लेकर आल इंडिया पीपुल्स फ्रंट के नेता दिनकर कपूर ने राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग को पत्र भेजकर शिकायत दर्ज कराई। 
बता दें कि पत्र के माध्यम से अवगत कराया था कि गांव में शुद्ध पेयजल की व्यवस्था न होने के कारण लोग रिहन्द डैम का प्रदूषित पानी पीने को मजबूर हैं। और इसी कारण बीमार हो रहे हैं। समय से उपचार न मिलने पर ग्रामीणों की मौत हो जा रही है। यहां के लोग सड़क को लेकर भी जीवन जीने को विवश हैं। इस कारण बेलहत्थी ग्राम पंचायत के कई टोलों तक एंबुलेंस नहीं पहुंच पाती। मुख्य सड़क तक पहुंचने में भी ग्रामीणों को सात से नौ किमी की पैदल दूरी तय करनी पड़ती है। यह स्थिति तब से है, जब वर्ष 2019 में इसी गांव में प्रदूषित पानी को पीने के कारण कई आदिवासियों और ग्रामीणों की मृत्यु हुई थी। उस मामले में भी राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने वाद संख्या दर्ज कर उत्तर प्रदेश सरकार के मुख्य सचिव और डीएम सोनभद्र को ग्रामीणों के प्राणों की रक्षा के लिए आवश्यक कार्यवाही करने का निर्देश दिया था। 

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