महामारी हमें जीने का नया तरीका सिखाया : प्रो. खत्री

मनोविज्ञान विभाग के कार्यालय का दूसरा दिन

जौनपुर। वीर बहादुर सिंह पूर्वांचल विश्वविद्यालय के व्यावहारिक मनोविज्ञान विभाग ने कुलपति प्रो,. निर्मला एस. मौर्य की प्रेरणा से तीन दिवसीय कार्यशाला के दूसरे दिन कोविड-19 का मानवीय सभ्यता और मानवता पर मनोवैज्ञानिक प्रभाव " विषय पर चर्चा हुई।   बतौर मुख्य वक्ता  मनोविज्ञान विभाग लखनऊ यूनिवर्सिटी के प्रो. प्रदीप कुमार खत्री ने कहा कि किसी समस्या का मुकाबला करते समय हमारे सामने दो विकल्प होते हैं लड़ो या मैदान छोड़ो। अगर हम सफलतापूर्वक मुकाबला करते हैं तो यह आत्मबल बढ़ाता है और भविष्य में वह अनुभव हमें संबल प्रदान करता हैं। महामारी का प्रभाव हमें अनुशासित और समायोजित करने के नए तरीके सिखाए हैं। 
कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए अध्यक्ष काउंसलर( हिंदी) मौलाना आज़ाद यूनिवर्सिटी के प्रो. ऋषभ देव शर्मा ने कहा कि ज्ञान प्रिया और इच्छा का संतुलन नहीं होगा तो व्यक्तित्व सामान्य हो जाएगा। फिजिकल इम्यूनिटी की बात तो सभी करते हैं पर अब मेंटल एबिलिटी की बात करनी होगी। आज आत्म नियंत्रण की आवश्यकता है नकारात्मकता से मृत्यु की इच्छा बलवती होती है मनुष्य को यह सीखनी है कि हमें विपरीत समय में झुकना नहीं है हारना नहीं है डरना नहीं है यदि हम ऐसा करते हैं तभी हम विपरीत परिस्थितियों का सामना कर सकते हैं।
 बतौर  विशिष्ट वक्ता विभागाध्यक्ष मनोविज्ञान विभाग मोहनलाल सुखाड़िया यूनिवर्सिटी प्रोफ़ेसर कल्पना जैन ने कहा कि बच्चों को चैनेलाइज करने की आवश्यकता है । बच्चे घर तक सीमित होकर रह गए हैं बच्चों के विद्यालय छोड़ने की समस्या बनी है । गरीब बच्चों में इसका अन्य समूहों की तुलना में नकारात्मक प्रभाव ज्यादा है स्मार्टफोन एवं कंप्यूटर तक सभी की पहुंच नहीं है विद्यालयों लर्निंग की सुविधा नहीं है शिक्षक भी ऑनलाइन कक्षाओं के लिए प्रशिक्षित नहीं है।  कोविद काल में बच्चों एवं माता-पिता में आक्रामकता एवं हिंसक प्रवृत्ति बढ़ी है जिसका कारण उनका सीमित स्थान में रहना है।बच्चों में इंटरनेट एडिक्शन मोटापा एवं अवसाद की समस्या बढ़ी है इस काम में हमें बच्चों की दिनचर्या को बदलने की आवश्यकता है। कार्यक्रम में अतिथियों का स्वागत प्रोफेसर अजय प्रताप सिंह जी ने संचालन डॉ मनोज पाण्डेय ने किया तथा आभार डॉ जान्हवी श्रीवास्तव ने व्यक्त किया। कार्यक्रम में प्रो. मानस पांडेय , डॉ.मनोज मिश्र,डॉ प्रमोद यादव, डॉ .अनुराग मिश्र, डॉ.पुनीत धवन, डॉ. राजकुमार डॉ.सुनील कुमार, डॉ.अवधेश, प्रो देवराज, डॉ वनिता आदि उपस्थित रहीं। निकी सहयोग शोध छात्र अवनीश विश्वकर्मा ने प्रदान किया।

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