सामासिक संस्कृति की दिशा में कार्य करने की जरूरतः प्रो विनोद पांडेय
दो सत्रों में 50 से अधिक शोध पत्र पढ़े गए जौनपुर। वीर बहादुर सिंह पूर्वांचल विश्वविद्यालय के आर्यभट्ट सभागार में सामासिक संस्कृति के संवाहक: भाषा, साहित्य और मीडिया विषयक दो दिवसीय अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन का शनिवार को तृतीय सत्र शुरू हुआ। इस अवसर पर मुख्य अतिथि गुजरात विद्यापीठ जनसंचार विभाग के पूर्व विभागाध्यक्ष प्रोफ़ेसर विनोद पांडेय ने कहा कि वर्तमान समय में हमें सामासिक संस्कृति की दिशा में कार्य करने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि मीडिया एथिक्स पर चलती है सोशल मीडिया पर किसी का नियंत्रण नहीं है। पत्रकारिता की भाषा आक्रामक नहीं होनी चाहिए। यह लोक कंठ की भाषा होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि साहित्य में संस्कृति का होना जरूरी है। इस अवसर पर 50 से अधिक शोधार्थियों ने ऑनलाइन तथा ऑफलाइन दोनों मोड में अपने रिसर्च पेपर को प्रस्तुत किया। इस मौके पर जनसंचार विभाग के सहायक आचार्य डॉ दिग्विजय सिंह ने साइबर अपराध को लेकर अपनी प्रस्तुति दिया और वर्तमान में हो रहे साइबर अपराधों के प्रति जागरूक किया। डॉ सुनील कुमार ने शब्दों के संक्षिप्तता को लेकर कई उदाहरण दिए और हिंदी और अंग्...