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Showing posts from March 8, 2020

जन कवि के रूप में विख्यात थे पं. रूप नरायन त्रिपाठी

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जौनपुर। रचनाओं में हृदय को छूने और पढ़ने वालों को अपने रस में पिरोने की अद्भुत क्षमता तथा गांव की कोमल महक, कौमार्य की कामुकता कविताओं में परिलक्षित करने वाले कालजयी रचनाकार थे पं0 रूप नारायण त्रिपाठी। जिनकी समस्त रचनाओं में भारतीयता और स्थानीयता का रंग उन्हें रेखांकित करने योग्य बनाता है। चैथे दशक के प्रारम्भिक वर्षों में स्वाधीनता लड़ाई से जुड़ उनकी अन्तःकरण की आत्मा कविता से जुड़ गयी। उन दिनों राष्ट्रगीत लिखने लगे, प्रभातफेरियों और कविता मंच से जुड़ गये साथ ही साथ समाचार पत्र के सम्पादन से भी जुडे रहे। छठवें दशक में उ0प्र0 सरकार द्वारा गठित लोक-साहित्य समिति में पं0 राहुल सांस्कृत्यायन द्वारा सार्थक दिशा बोध एवं डा0 विद्या निवास मिश्र के साथ लोकगीतों का संग्रह, लोकसाहित्य उन्नयन तत्वों की छानबीन कर विकास करते रहे। पंडित जी के व्यक्तित्व का विवरण अपने आप में काफी महत्वपूर्ण है। मानवीय संवेदना की झलक उनकी रचनाओं में साफ दिखती है। रमता जोगी बहता पानी मुक्तक काव्य में उनकी यह रचना इस बात को रेखांकित करती है कि मनुष्य का मानवीय पक्ष दुर्बल है और अन्तःकरण कलुषित है तो उसका जीवन व्यर्थ है- ‘‘रू

बेटियों के सम्मान हेतु दहेज प्रथा का खात्मा जरूरी है - संगीता यादव

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जौनपुर । पूर्व राज्य मंत्री एवं सामाजिक कार्यकर्ती  संगीता यादव ने  महिला सशक्तीकरण के अवसर पर समाज से दहेज रूपी दानव को मिटाने का संकल्प लेते हुए बहन बेटियों से इस अभियान में साथ देने की अपील किया है। समाज में व्याप्त दहेज प्रथा के खिलाफ आवाज बुलंद करने निकली संगीता यादव यहाँ मीडिया से रूबरू होते हुए कहा कि आज समाज में बहन बेटियों का उत्पीड़न दहेज के लिए किया जा रहा है।  बेटियों को दहेज के दरिन्दों द्वारा जलाया जाता है। यह कुरीति समाज में बहन बेटियों के लिए एक गम्भीर समस्या बन चुकी है। इससे निजात पाने के लिए अब संघर्ष करना पड़ेगा।  महिला सशक्तिकरण के अवसर पर हमनें इसके खिलाफ आन्दोलन चलाने का संकल्प लिया है।  पूर्व मंत्री ने कहा कि आज समूचे महिला समाज को इस कुरीति के खिलाफ आवाज उठाने की जरूरत है तभी बेटियों को समाज में न्याय मिल सकेगा। साथ यह भी कहा कि आज समाज में बहन बेटियों के साथ दहेज के अलावां बलात्कार  एवं प्रताड़ना जैसी जघन्य अपराधिक घटनाये हो रही है।  लेकिन किसी भी स्तर पर इसके खिलाफ आवाज उठाने का काम किसी भी राजनैतिक दल अथवा समाजिक संगठन के द्वारा नहीं किया जा रहा है। इसी लिए आ