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Showing posts from November 28, 2020

केन्द्र की सरकार अन्नदाता के दमन में जुटी हुई है कांग्रेस किसानों के साथ है खड़ी

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 जौनपुर। उत्तर प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष अजय कुमार लल्लू के निर्देश पर जिला एवं शहर कांग्रेस व फ्रन्टल कांग्रेस संगठन के पदाधिकारियों के द्वारा देश में चल रहे किसान आंदोलन को अपना समर्थन देते हुए जिला कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष फैसल हसन तबरेज ने कहा कि कि देश के अन्नदाता आज सड़कों पर ठंड के मौसम पर अपनी मांग के लिए दिल्ली कूच कर रहे हैं लेकिन केंद्र की तानाशाह सरकार गलत तरीके से उनके आंदोलन को दमन करने के लिए वाटर कैनन व बैरीकेटिंग करके उनको रोकने का प्रयास कर रही है जैसे कि वह देश के अन्नदाता नहीं कोई राष्ट्र के दुश्मन है हम कांग्रेस के लोग यह मांग करते हैं कि केंद्र की सरकार किसान विरोधी लायी 3 काले कानून तत्काल वापस ले। किसान विरोधी इस कानून को तत्काल प्रभाव से वापस न  लिया गया तो इसका परिणाम भयानक हो सकता है। कांग्रेसियों ने कलेक्ट्रेट में प्रदर्शन कर जिलाधिकारी के माध्यम से महामहिम राष्ट्रपति को ज्ञापन सौंपा इस मौके पर युवा कांग्रेस के अध्यक्ष सत्यवीर सिंह इंद्रमणि दुबे, पंकज सोनकर, आज़म ज़ैदी,राकेश सिंह डब्बू, शिखर द्विवेदी, राजकुमार गुप्ता, तौकीर खान

पिछड़े, दलित समाज के सुधारक ज्योतिराव फूले की पुण्यतिथि पर विशेष

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कपिल देव मौर्य ज्योतिराव गोविंदराव फुले की आज पुण्यतिथि है। वे एक महान समाजसुधारक, विचारक, समाजसेवी, लेखक, दार्शनिक और क्रान्तिकारी कार्यकर्ता थे। इन्हें महात्मा फुले और ज्योतिबा फुले के नाम से भी जाना जाता है। उन्‍होंने विधवाओं और महिलाओं के कल्याण के लिए बहुत काम किया, इसके साथ ही किसानों की हालत सुधारने और उनके कल्याण के लिए भी काफी प्रयास किये। महिलाओं को शिक्षा प्रदान कराने के महान कार्य के लिए उन्हें 1883 में तत्कालीन ब्रिटिश सरकार द्वारा ‘स्त्री शिक्षण के आद्यजनक’ कहा गया था। जिस समय में दलितों और महिलाओं की सामाजिक स्थिति शोचनीय थी और उनको बहुत निचला दर्जा प्राप्त था उस समय में ज्योतिराव फुले ने दलितों और महिलाओं के अधिकारों की अलख जगाई। उन्होंने सितम्बर 1873 में महाराष्ट्र में ‘सत्य शोधक समाज’ नामक संस्था का गठन किया। जिसके जरिये महिलाओं और दलितों के उत्थान के लिए क्रांतिकारी काम किये। ज्योतिराव समाज के सभी वर्गों को शिक्षा प्रदान करने के प्रबल समर्थक होने के अलावा भारतीय समाज में प्रचलित जाति पर आधारित विभाजन और भेदभाव के विरुद्ध थे। ज्योतिराव फु

सपा अधिवक्ता सभा ने पार्टी प्रत्याशी के पक्ष में किया मतदान की अपील

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जौनपुर  । स्नातक विधान परिषद सदस्य का चुनाव लड़ रहे सपा के अधिकृत प्रत्याशी आशुतोष सिन्हा के पक्ष में आज सपा अधिवक्ता सभा के जिलाध्यक्ष समर बहादुर यादव के नेतृत्व में अधिवक्ताओं ने कलेक्ट्रेट एवं दीवानी बार एसोसिएशन के सदस्यों से मिल कर सपा के पक्ष मे मतदान करने की अपील किया है।  इस अवसर पर सपा अधिवक्ता सभा के जिलाध्यक्ष समर बहादुर यादव ने कहा कि समाजवादी पार्टी हमेशा युवाओं के हितों की लड़ाई लड़ रही है। बेरोजगारी दूर करने की दिशा में सपा के शासन काल में कई पहल किया है। स्नातक एवं अधिवक्ता समाज से अपील है कि सपा को विधान परिषद के लिए चुनें ताकि वहां पर उनके हितों की लड़ाई लड़ी जा सके।  इस अवसर पर उनके साथ अधिवक्ता गण सुहेल,  मृदुल यादव,  अखिलेश यादव, जेपी पाल आदि प्रचार मे लगे हुए थे। 

कोरोना काल में पेरोल पर रिहा 24 बन्दी कहां छिपे हैं,अभी जेल वापसी क्यों नहीं

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जौनपुर। कोरोना संक्रमण काल में संक्रमण से बचाव के चलते जेल से पेरोल पर रिहा किये गये 40 बन्दीयों में से अभी 24 बन्दी पेरोल का समय पूरा हो जाने के बाद भी जेल में वापसी नहीं किया है। अब ऐसे सभी बन्दीयो के खिलाफ जेल प्रशासन विधिक कार्यवाही करने जा रहा है। सभी बन्दी बजरिये पुलिस गिरफ्तार करके फिर जेल की सलाखों के पीछे पहुंचायें जायेंगे। साथ ही साथ ही कानून के उल्लंघन का एक नया मुकदमा झेलना पड़ेगा।  यहाँ बतादे कि कोरोना संक्रमण काल के दौरान जेल खचाखच भरी हुई थी संक्रमण तेजी से पांव पसार रहा था चौतरफा हाहाकार मचा हुआ था ऐसे में जेल प्रशासन के समक्ष कैदियों, बन्दीयों को सुरक्षित रखने की गम्भीर समस्या थी। शासन के निर्णय के तहत कोरोना संक्रमण से बचने के लिए बन्दीयों को पेरोल पर कुछ समय के लिये रिहा करने का निर्णय लिया गया। शासन के इस निर्णय के तहत जौनपुर की जेल से 40बन्दी दो बार में पेरोल पर रिहा किये गये। सभी को आदेश था कि 14 नवम्बर तक पुनः जेल में अपनी आमद करा ले।  इस आदेश के तहत 15 बन्दी तो पेरोल की तिथि खत्म होने पर जेल वापसी कर लिए और एक बन्दी पेरोल की तिथि से पहले

आखिर गरीब का कसूर क्या था जो सीओ ने उसे पीटा और गलियों से नवाजा

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  प्रदेश सरकार की उदासीनता एवं पुलिस प्रशासन को दी गयी मनमानी छूटों के कारण पुलिस जनों के हौसले इतने बुलन्द है कि किसी भी व्यक्ति को कहीं भी बेइज्जत करना अथवा बल का प्रयोग करना उनका तो सगल बन गया है। ऐसे मामले लगभग प्रतिदिन प्रदेश में देखने को मिल रहे है जो खबरों की सुर्खियों में रहते हैं।  जिससे सरकार बार-बार विपक्ष के निशाने पर आ रही और सरकार को जवाब नही बन रहा। अब मित्र पुलिस के कारनामों का ताजा मामला डिप्टी सीएम दिनेश शर्मा के प्रभार वाले जिले रायबरेली का है। यहां आईजी एसएन साबत जिले के दौरे पर आने वाले थे, ठीक पहले ट्रैफिक की जिम्मेदारी संभाल रहे सीओ सिटी डॉ. अंजनी चतुर्वेदी ने वर्दी की खुलेआम धौंस दिखाई। उन्होंने रायबरेली-लखनऊ एनच-30 के रतापुर चौराहे पर गरीब ई-रिक्शा चालक को न सिर्फ बेरहमी के साथ जमकर पीटा बल्कि चौराहे पर ही जमकर मां-बहन की भद्दी-भद्दी गालियां भी दी। गरीब ई रिक्शा चालक की पिटाई करते हुए सीओ सिटी डॉ अंजनी चतुर्वेदी कैमरे में कैद हो गए और उनका वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया। कोरोना काल में गरीबों को आत्मनिर्भर बनाने के लिए केंद्र और राज्य सरकारों ने स्वनि

हक के लिये लड़ रहे हजारों किसानों के खिलाफ मुकदमा हुआ दर्ज

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केंद्र सरकार के कृषि कानूनों के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे किसानों का आन्दोलन जारी है। कृषि विधेयक के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे किसानों को दिल्ली जाने की इजाजत भी मिल गई है। लेकिन हरियाणा सरकार ने हजारों किसानों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर एक नया विवाद खड़ा कर दिया है।  फिलहाल सिंधु बॉर्डर पर पंजाब के किसानों संगठनों की मीटिंग जारी है। हालांकि अब तक आंदोलित किसानों की आगे की रणनीति क्या होगा, ये अब तक साफ नहीं हो पाया है। लेकिन ज्यादातर का कहना है कि जब तक उनकी मांगे पूरी नहीं की जाएंगी, वो यहां से नहीं हटेंगे। इस बीच हरियाणा के कुरुक्षेत्र में दिल्ली की ओर कूच करने वाले किसानों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया है। इन किसानों पर कुरुक्षेत्र पेहवा के साथ-साथ शाहाबाद में भी केस दर्ज किया गया है। बता दें कि पंजाब के किसानों के खिलाफ यह मुकदमा ट्यूकर बॉर्डर पर बैरिकेड तोड़ने पर दर्ज किया गया है। उनके खिलाफ डिजास्टर मैनेजमेंट एक्ट की धारा के तहत मामला दर्ज है। इसके अलावा पुलिस से भिड़ने, बैरिकेड तोड़ने और हत्या की कोशिश करने के लिए 11 किसान नेता को नामजद किया गया है। पेहवा में छह किसान ने

आज तय होगा किसानों के आन्दोलन की रूपरेखा जाने कैसे आगे बढ़ेगा प्रदर्शन

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केंद्र सरकार द्वारा लाये गए कृषि विधेयक के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे किसानों को दिल्ली में प्रवेश की इजाजत मिल गई है। लेकिन अभी भी सिंघु बॉर्डर पर डटे हैं। आंदोलन कर रहे किसानों में गुटबाजी हो रही है। कुछ किसान संगठन बुराड़ी के निरंकारी ग्राउंड में जाने से इनकार कर रहे हैं, तो कुछ जाने के लिए कह रहे हैं। किसानों का आंदोलन सिंघु बॉर्डर पर जारी रहेगा या वे बुराड़ी जाएंगे, इसका फैसला मीटिंग में होगा। किसान संगठनों की मीटिंग अभी जारी है। दरअसल, शनिवार यानी आज सुबह की बैठक में तय होगा कि आंदोलन को कैसे आगे बढ़ाना है। किसान यूनियन के पंजाब के अध्यक्ष जगजीत सिंह का कहना है सरकार जब तक हमारी मांगें नहीं मानती, काले कानून वापस नहीं लेती, एमएसपी को लेकर चीजें साफ नहीं करती तब तक हमारा आंदोलन जारी रहेगा। वहीं किसानों का एक गुट इस बात पर अड़ गया है कि सरकार का कोई नुमाइंदा उनसे बॉर्डर पर आकर बात करें। आगे जगजीत सिंह ने कहा कि अगर सरकार हमसे बात करना चाहती है तो हम सरकार से बात करने को तैयार हैं, लेकिन जो डेथ वारंट किसान का लिखा गया है उसको वापस करना पड़ेगा। रही बात आंदोलन की तो वो सु