अमीर -गरीब की खाई को पाटने वाला है यह पर्व गिले शिकवे भुलाकर एक दूसरे को गले लगाने का है पर्व सनातन धर्म में हर पर पर्व को देवी- देवताओं से जोड़कर इसलिए रखा गया है की लोग नैतिक आचरण का पालन कर कर उसे अपने जीवन में उतारें। साथ ही साथ अपने तन मन को स्वच्छ और आनंदित रखें। होली का त्यौहार हिंदी के फाल्गुन माह में वसंत पंचमी से ही आरंभ हो जाता है, लोग यह भी कहते हैं कि इस पर्व वसंत ऋतु का आगमन भी होता है, क्योंकि इस समय पेड़ पौधों में नई पत्तियां, रंग बिरंगे फूलों और से वातावरण भी रंगीन हो जाता है। खेतों में सरसों, गेहूँ की बालियाँ, बाग-बगीचों में फूलों और पेड़-पौधे, पशु-पक्षी और मनुष्य सब के सब उल्लास और उत्साह में होते हैं। आज हम बात कर रहे हैं होली की। काशी की होली काशी में होली, बनारस, शिव,मस्ती,भंग, तरंग और ठण्डाई से जुड़ी हैं। इन्हें इससे अलग नहीं जा सकता। ये उतना ही सच है जितना ‘ब्रह्म सत्य जगत मिथ्या।’ बनारस की होली के आगे सब मिथ्या लगता है।आज भी लगता है कि असली होली उन शहरों में हुआ करती थी जिन्हें हम पीछे छोड़ आए हैं। ऐसी रंग और उमंग की होली जहॉ सब इकट्ठा होते,खुश