कोरोना का मनोवैज्ञानिक प्रभाव - डॉ अखिलेश्वर शुक्ला
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Nडॉ अखिलेश्वर शुक्ला विभागाध्यक्ष स्वतंत्र भारत में यह पहला मौका है जब हम एक बड़ी अंतरराष्ट्रीय घटना (कोरोना संक्रमण ) का सामना कर रहे हैं। प्रथम विश्वयुद्ध (1914 से 1918) के समय जल थल वायु सेना ने लड़ाई लड़ी थी। दुनिया का पहला अनुभव था। जिसमें गुलाम भारत सहित तीन महत्वपूर्ण महाद्वीपों को भारी खामियाजा भुगतना पड़ा था। अमेरिका एक शक्तिशाली राष्ट्र के रूप में उभरा । द्वितीय विश्वयुद्ध (1939 से 1945 ) में अमेरिका ने परमाणु बम का प्रयोग करके जापान के नागासाकी- हिरोशिमा को इतना प्रभावित किया कि आज तक वहां इसका प्रभाव देखा जा सकता है। यह तीसरा मौका है जिसे हम तृतीय विश्व युद्ध के आगाज के रूप में भी देख सकते हैं । पिछली दो अंतरराष्ट्रीय घटनाओं से यह भिन्न इसलिए है ,क्योकि शत्रु अदृश्य है। दिखाई नहीं देता । तमाम साक्ष्यों ...