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Showing posts from October 24, 2023

आखिर हाईकोर्ट ने लिव-इन रिलेशनशिप को क्यों बताया टाइम पास, सुरक्षा देने से मना क्यों किया जानें कारण

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इलाहाबाद हाई कोर्ट ने अंतर-धार्मिक जोड़े के ‘लिव-इन’ रिलेशनशिप को ‘टाइम पास’ की संज्ञा दी है और कहा है कि ऐसे रिश्ते स्थायी नहीं होते। जब तक जोड़ा इस रिश्ते को शादी के जरिये कोई नाम देने को तैयार न हो, इसे संरक्षण देने का आदेश नहीं दिया जा सकता। कोर्ट ने कहा, जीवन फूलों की सेज नहीं, बहुत कठिन व मुश्किल है। कोर्ट ने प्राथमिकी रद करने तथा सुरक्षा की मांग वाली याचिका खारिज कर दी है और हस्तक्षेप करने से इनकार कर दिया है। यह आदेश न्यायमूर्ति राहुल चतुर्वेदी तथा न्यायमूर्ति एमएएच इदरीसी की खंडपीठ ने कुमारी राधिका व सोहैल खान की याचिका पर दिया है। याची ने कहा, दोनों लिव-इन रिलेशनशिप में रहना चाहते हैं। इसलिए अपहरण के आरोप में राधिका की बुआ द्वारा मथुरा के रिफाइनरी थाने में दर्ज कराई गई प्राथमिकी रद की जाए और गिरफ्तारी पर रोक लगाते हुए पुलिस संरक्षण दिया जाए। कोर्ट ने कहा, हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने कई मामलों में लिव-इन रिलेशनशिप को मान्यता दी है किंतु, दो महीने की अवधि में और वह भी 20-22 साल की उम्र में युगल इस प्रकार के अस्थायी रिश्ते पर शायद ही गंभीरता से विचार कर पाएंगे। ख

तालाबो और झीलों को कब्जा मुक्त कराने के लिए सरकार हुई शख्त सीएम योगी ने जानें क्या जारी किया है आदेश

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फसली वर्ष 1359 (वर्ष 1952) के अभिलेखों में दर्ज तालाबों, झीलों व जलाशयों के बारे में विकसित पोर्टल को एंटी भू-माफिया पोर्टल से जोड़ा जाएगा। उद्देश्य यह है कि तालाबों व जलाशयों पर अतिक्रमण करने वालों के विरुद्ध हुई कार्रवाई की समेकित रिपोर्ट पोर्टल पर प्रदर्शित हो सके। इलाहाबाद हाई कोर्ट के आदेश के अनुपालन में शासन ने 30 जून 2020 को शासनादेश जारी कर तालाबों को अवैध कब्जों से मुक्त कराने की निगरानी और समीक्षा के लिए आयुक्त एवं सचिव राजस्व परिषद की अध्यक्षता में समिति गठित की थी। हाई कोर्ट के आदेश के क्रम में राजस्व परिषद ने तालाबों/झीलों के लिए एक पोर्टल विकसित किया है। पोर्टल पर वर्ष 1952 के अभिलेखों के अनुसार राजस्व गांवों और शहरों में दर्ज तालाबों की ग्रामवार/गाटावार सूचना दर्ज कराई जा रही है। उनके फोटो भी अपलोड किए जा रहे हैं। संबंधित विभाग तालाबों पर अवैध कब्जे की सूचनाएं भी पोर्टल पर दर्ज करा रहे हैं। हालांकि इसकी रफ्तार सुस्त है। तालाबों पर अतिक्रमण की शिकायतों पर पुलिस द्वारा की गई कार्रवाई एंटी भू माफिया पोर्टल पर दर्ज होती है। हाल ही में संपन्न राज्य स्तरीय समिति की

अधिवक्ता एवं कांग्रेस नेता राज कपूर श्रीवास्तव का हृदयाघात के चलते निधन

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जौनपुर। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता एवं दीवानी न्यायालय के अधिवक्ता राज कपूर श्रीवास्तव का बीती देर रात हृदयाघात के चलते निधन हो गया है उनके निधन की खबर वायरल होते ही शुभ चिन्तको सहित परिवार में शोक छा गया है।  बता दें राज कपूर एक अधिवक्ता के रूप में अपनी जिम्मेदारियों का निर्वहन करते हुए आजीवन कांग्रेस से जुड़कर समाज की सेवा में लगे रहे अपने राजनैतिक जीवन की शुरुआत कांग्रेस सेवा दल से करते हुए कांग्रेस से जुड़े रहे कांग्रेस के टिकट पर नगर पालिका का चुनाव भी लड़े थे।  उनके निधन की खबर मिलने के पश्चात कांग्रेस के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष एवं पूर्व मंत्री उत्तर प्रदेश सरकार अरूण कुमार सिंह मुन्ना सहित अखिलेश श्रीवास्तव, इन्द्र भुवन सिंह, इन्द्र सेन श्रीवास्तव सहित बड़ी तादाद में कांग्रेस जनों ने शोक संवेदना व्यक्त करते हुए मृत आत्मा की शान्ति के लिए ईश्वर से प्रार्थना किया है और कहा की राज कपूर श्रीवास्तव के निधन से समाज और कांग्रेस को एक बड़ी अपूरणीय क्षति हुई है। शोक प्रकट करने वालो का उनके आवास पर तांता लगा है।

दशहरा: यूपी के इस जिले में नहीं जलता रावण का पुतला, मार-मारकर, कर दिए जाते हैं टुकड़े, मनाई जाती है तेरहवीं

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यूपी के जसवंतनगर की रामलीला अलवेली है। यहां लोहे के मुखौटों के साथ जहां मैदान में दौड़ते हुए पात्र नजर आते हैं, वहीं यहां रावण पूजनीय भी है। इस रामलीला के अंत में रावण का पुतला नहीं फूंका जाता है। इससे इतर लोग अपने घर के संकटों को दूर करने के लिए पुतले की लकड़ियां घर ले जाते हैं। 2010 में यूनेस्को की रामलीलाओं के बारे जारी की गई रिपोर्ट में इस रामलीला को जगह दी गई थी। 164 साल से अधिक समय से हो रहीं रामलीलाएं दक्षिण भारतीय शैली में मुखोटा लगाकर खुले मैदान में होती हैं। रामायण का सबसे क्रूर पात्रों में से एक रावण के बारे मे तरह-तरह की कहानियां सुनने को मिलती हैं लेकिन जसवंतनगर में रावण की पूजा-आरती होती है। यहां रावण के पुतले को जलाया भी नहीं जाता।  त्रिनिदाद की शोधार्थी इंद्राणी बनर्जी करीब 400 से अधिक रामलीलाओं पर शोध कर चुकी हैं, लेकिन उनको जसवंतनगर जैसी रामलीला कहीं भी देखने को नहीं मिली। रामलीला समिति के प्रबंधक राजीव गुप्ता बबलू तथा संयोजक अजेंद्र गौर हैं यहां रामलीला की शुरुआत 1857 से पहले हुई थी। यहां रावण, मेघनाथ, कुंभकरण तांबे, पीतल और लौह से निर्मित मुखौटे पहनकर मै