Posts

Showing posts from May 25, 2020

कोरोना पाजिटिव मरीजों की संख्या पहुंची 138, आज 8 मरीज संक्रमित मिले

Image
जौनपुर।  आज आयी रिपोर्ट में 8 लोग कोरोना पाजिटिव पाये गये हैं इनको लेकर अब जिले में कोरोना संक्रमितो की संख्या 138 पहुंच गयी है। वहीं दूसरी ओर सरकारी सूचना के मुताबिक अब तक जनपद में 22 कोरोना संक्रमित मरीज मरीज ठीक होकर अस्पताल से छोड़े जा चुके हैं। तो  तीन को मरने की पुष्टि जिला प्रशासन करता है।  ग्रामीण इलाकों में बढ़ते कोरोना संक्रमण को लेकर अब बाहर महानगरों से आने वाले प्रवासी मजदूरों को क्वारंटाइन करने के लिए जिला प्रशासन ने ग्राम पंचायत स्तर पर निगरानी समिति बनाने का हुक्म दिया है।  ताकि प्रवासी मजदूरों को कम से कम 14 दिनों तक क्वारंटाइन किया जा सके।  इसके साथ ही जिला प्रशासन ने आदेश जारी किया है कि क्वारंटाइन की अवहेलना करने वालों के विरुद्ध कानूनी कार्यवाही किया जायेगा।  इस कार्य की निगरानी के लिए एसडीएम, थानाध्यक्ष ,एवं बीडीओ को लगाया गया है जो क्षेत्र में भ्रमण करते हुए प्रवासीयो को क्वारंटाइन करायेगे। 

पूर्वान्चल विश्वविद्यालय के आवासीय परिसर में कोविड L-1 अस्पताल बनाये जाने का शिक्षक संघ ने किया विरोध

Image
जिलाधिकारी पर लगाया एकतरफा कार्यवाही करने का आरोप इससे यहाँ के शिक्षकों सहित परिसर में रहने वाले कर्मचारियों में है गहरा रोष  जौनपुर।वीर बहादुर सिंह पूर्वान्चल विश्वविद्यालय जौनपुर के आवासीय परिसर में पी जी छात्रावास को कोविड L-1 अस्पताल बनाये जाने के जिलाधिकारी के अधिग्रहण कार्यवाही के खिलाफ आवासीय शिक्षक संघ ने अपना विरोध जताया है | परिसर शिक्षक संघ के अध्यक्ष प्रो बी बी तिवारी और महामंत्री डॉ राजकुमार ने संयुक्त हस्ताक्षरित  बयान में कहा है कि विगत तीन चार दिनों से विश्वविद्यालय  के अनुरोध को दरकिनार करते हुए जिलाधिकारी के एक तरफ़ा कार्यवाही से परिसरवासियों, कर्मचारियों,छात्रों एवं स्थानीय जनता में रोष व्याप्त है | विदित   है कि जौनपुर जनपद में सीमा पर ऐसे तमाम अस्पताल, महाविद्यालय एवं अन्य संस्थान हैं जिनके परिसर आवासीय प्रवृति के नहीं हैं उन्हें ऐसा अस्पताल बनाया जा सकता है। जबकि विश्वविदयालय एक आवासीय परिसर है जिसमें लगभग 5000 लोग  प्रवास करते है । अस्पताल बन जाने से परिसरवासियों, कर्मचारियों  एवं  छात्रों के बीच संक्रमण का खतरा सदा बना रहेगा। यदपि इस बाबत विश्वविद्याल

कोरोना काल:आत्म समीक्षा का सुनहला अवसर - डा अखिलेश्वर शुक्ला

Image
लाक डाउन को पूरी दुनिया एक आपदा एवं आर्थिक- मानसिक संकट के रूप में देख रही है। वास्तव में मानवीय क्षति का मूल्यांकन नहीं किया जा सकता । मनुष्य के पास समान आंखें हैं । दृष्टिकोण समान नहीं हो सकता। यही इंसान को इंसान से अलग करता है । एक राष्ट्र को दूसरे राष्ट्र से अलग करता है। इसके पीछे भौगोलिक, ऐतिहासिक, सांस्कृतिक ,रहन-सहन ,खान-पान, विचार- व्यवहार आदि कई कारक होते हैं । यही स्थिति विकसित विकासशील  अविकसित राष्ट्रों पर भी लागू होता है । विश्व के विकसित देश जहां सुख-सुविधाओं से लेकर स्वास्थ्य संसाधनों में अग्रणी रहे हैं। संक्रमण भी सर्वाधिक तथा सर्वप्रथम वहीं से शुरू हुआ था। आज पूरी दुनिया संक्रमित (प्रभावित )हो चुकी है।                                                               अनेकता में एकता की विशेषता के साथ भारत :- जाड़ा- गर्मी- बरसात ,पहाड़ -पठार ,नदी -नाले , झरने- तालाब, भाषा -बोली ,भेस -भुसा ,धर्म -जाति , का संगम दिखता है। लांकडाऊन के दौरान जो सामुहिक समर्पण का भाव दिखा, वह बेमिसाल रहा। जिस देश में लोग डॉक्टर, पुलिस ,अधिकारी, वकील, शिक्षक, युवा ,छात्र , पत्रकार, (म