मल्हनी उप चुनाव: मतदाताओं को लुभाने का काम शुरू,कांग्रेस भाजपा के पत्ते नहीं खुले



जौनपुर। मल्हनी विधानसभा के उप चुनाव हेतु विगुल बजने के साथ ही सभी राजनैतिक दलों सहित निर्दल प्रत्याशी द्वारा आम जनता के दरबार में नतमस्तक होने का सिलसिला शुरू हो गया है। लेकिन सभी दलों के प्रत्याशी अभी मैदान में नहीं आने से चुनावी परिदृश्य अभी पूरी तरह से पर्दे के पीछे सिमटा हुआ है। हलांकि चुनाव को फतह करने के लिए सम्भावित लोग अपना अपना प्रचार अभियान शुरू कर दिये हैं।
सपा और भाजपा द्वारा अभी मल्हनी के उप चुनाव को अखिलेश यादव बनाम मुख्यमंत्री  योगी आदित्य नाथ करने का प्रयास किया जा रहा है।  यहां यह भी बता दे कि जब से मल्हनी विधानसभा बनी है तब से इस सीट पर सपा का कब्जा रहा है और पारस नाथ यादव  विधायक होते रहे हैं। 
यहाँ बतादे कि इस विधानसभा में इस समय 3,62,365 मतदाता है जो मतदान के लिए अहर्य माने गये है और चुनाव की जंग में आये सपा भाजपा बसपा कांग्रेस निर्दलियों के भाग्य का फैसला करने वाले हैं। इसमें 1,88,993 पुरुष है तो 1,73,354 महिला मतदाता शामिल है। इसमें जातीय आंकड़े पर नजर डालें तो यहाँ पर एक मुहावरा स्पष्ट रूप से नजर आ रहा है। "आधा में भेलूपुर और आधा में बनारस" 3,62,365 मतदाताओं की संख्या में लगभग 01 लाख 12 हजार मतदाता केवल यादव है। और लगभग 35 से 40 हजार के बीच ब्राह्मण मतदाता बताये जा रहे हैं। वहीं क्षत्रिय मतदाताओं की संख्या 30 से 35 हजार के बीच आंकी जा रही है। हरिजन मतदाताओं की संख्या 25 हजार के आस पास बतायी जा रही है। बिन्द निषाद मतदाता भी लगभग 30 हजार के आस पास इस विधानसभा में हो सकतें है। इसके अलावा मौर्य मतदाताओं की संख्या भी 20 से 25 हजार के आस पास होना बताया जा रहा है।  मुसलमान मतदाता 15 से 18 हजार के आस पास है लगभग 87 हजार में अन्य जातियां शामिल है। 
यहाँ पर जो भी प्रत्याशी चुनावी मैदान में है वह अपनी जीत के लिये जातीय समीकरण बैठाने की जुगत में लगा हुआ है। सपा ने यहाँ से दो बार  विधायक रहे पूर्व मंत्री स्व पारस नाथ यादव के पुत्र युवा नेता लकी यादव को अपना अधिकृत प्रत्याशी घोषित कर दिया है तो बसपा ने ब्राह्मण पर दांव लगाते हुए जे पी दूबे को अपना प्रत्याशी घोषित कर दिया है लेकिन नामांकन प्रक्रिया शुरू होने के एक दिन पहले तक भाजपा और कांग्रेस ने अपने पत्ते नहीं खोले हैं। वहीं क्षेत्र के बाहुबली नेता एवं पूर्व सांसद धनन्जय सिंह  राजनैतिक दलों से टिकट की उम्मीद खत्म होने पर अब निर्दल चुनावी जंग में कूद गये है। अपना प्रचार अभियान भी तेज कर दिये हैं।  
यहाँ बतादे कि इस विधानसभा के युवा मतदाता बेरोजगारी की समस्या से जूझ रहे हैं वहीं पर आवाम पानी, बिजली, सड़क, शिक्षा स्वास्थ्य आदि तमाम समस्याओं से जूझती नजर आ रही है इस पर कोई भी व्यक्ति जो चुनावी जंग में है न तो इस पर बहस कर रहा है न ही विकास के किसी मुद्दे की बात कर रहा है। केवल वह जातीय आंकड़े को दुरूस्त करने मे लगा हुआ है।  हलांकि इस उप चुनाव में खास कर युवा मतदाता इस बात की चर्चा कर रहा है कि जो युवाओं को रोजगार देने का वादा करेगा वोट के समय उस पर युवा विचार कर सकता है। 
इस चुनाव में आयोग कितनी सक्रियता से अपने निर्देशो का पालन करा सकेगा यह तो भविष्य के गर्भ में है लेकिन जो परिदृश्य नजर आ रहा है उसे देखते हुए यह कहने में जरा भी गुरेज नहीं है कि आयोग की गाइड लाइन की धज्जियां इस चुनाव में धड़ल्ले से उड़ती नजर आयेगी। धन बल से लेकर बाहु बल का प्रदर्शन देखने को मिल सकता है। हलांकि सरकारी तंत्र कड़ाई और आयोग की गाइड लाइन का पालन कराने का दावा तो कर रहा है लेकिन वह कितना करा सकेगा यह तो नामांकन प्रक्रिया के बाद ही पता चल सकेगा। 

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