मल्हनी उपचुनावः प्रत्याशियों ने प्रचार में झोंकी ताकत, प्रशासनिक उत्पीड़न से मतदाता खफा
जौनपुर। मल्हनी विधानसभा के उप चुनाव हेतु मतदान की तिथि जैसे जैसे नजदीक आ रही है वैसे वैसे प्रत्याशियों द्वारा प्रचार में अपनी पूरी ताकत झोंका जा रहा है। कुछ मतदाता खामोश हो कर मतदान के दिन अपना फैसला देने की बात करते हैं तो कुछ मतदाता खुल कर प्रत्याशी एवं दल के साथ खड़े नजर आते हुए चुनाव लड़ने वालों का हौसला अफजाई भी कर रहे हैं। ऐसे मतदाताओं को सरकार भी सरकारी मशीनरी के जरिए उत्पीड़नात्मक कार्यवाही में तेजी दिखा रही है। इससे मल्हनी की आम जनता में अब सरकार एवं सरकारी तंत्र के प्रति खासा गुस्सा देखा जा रहा है।
बतादे मल्हनी विधानसभा का गठन जब से हुआ है तब से लगातार इस सीट पर सपा का कब्जा रहा है। सपा के कद्दावर नेता रहे स्व पारस नाथ यादव इस सीट से विधायक चुने जाते रहे है। उनके निधन के बाद अब यहाँ पर पहली बार उप चुनाव हो रहा है। मल्हनी विधानसभा में सपा के मतदाताओं की संख्या इतनी अधिक है कि स्व पारस नाथ यादव हर बार लगभग 22से 32 हजार अधिक वोटों से चुनाव जीतते रहे है। यहाँ का मतदाता सपा से साथ नजर आता था। इस उप चुनाव में स्व पारस नाथ यादव के पुत्र युवा नेता लकी यादव सपा से चुनावी जंग में है।
यहाँ बतादे कि समाजवादी पार्टी के बैनर तले चुनावी जंग में जोर आजमाइस कर रहे सपा के युवा नेता लकी यादव ने प्रचार अभियान को तेज करते हुए जिलाध्यक्ष लालबहादुर यादव के नेतृत्व में सपा के सभी वर्तमान एवं पूर्व सांसद व विधायक सहित सभी पूर्व मंत्री गणों के साथ पार्टी में सभी फ्रन्टल संगठनों के पदाधिकारी तथा कार्यकर्ताओं को सेक्टर वार जिम्मेदारी देते हुए प्रचार अभियान मे लगा दिया है। जिसके कारण अब सपा का प्रचार घर घर पहुंच रहा है। खुद प्रत्याशी सुबह से रात्रि तक मल्हनी की जनता के बीच जाकर उन्के प्यार एवं साथ की अपील करते हुए वादा कर रहे हैं कि आजीवन मल्हनी की जनता का सेवक बन कर सेवा करता रहूँगा। इसके अलावां बाहरी जनपदो से स्टार प्रचारक बनाये गये सपा नेताओं को भी मल्हनी की जनता से अनुनय विनय करने के लिए लगाया गया है। कार्यकर्ताओं के बदौलत सपा इस चुनाव में खासी मजबूत नजर आ रही है।
इसके अलावां यहाँ पर चुनाव लड़ रहे निर्दल प्रत्याशी बाहुबली नेता एवं पूर्व सांसद धनन्जय सिंह जो मल्हनी में खासी पैठ रखते है। कई राजनैतिक दलों के बैनर तले चुनाव लड़ने का प्रयास किया लेकिन किसी भी दल ने अपने दल में नहीं लिया अब निर्दल जो आजमाइस कर रहे हैं। इनके पास कार्यकर्ताओं की एक लम्बी फौज है साथ इनके स्वजातीय मतदाता इनके कदम से कदम मिलाकर मल्हनी मे साथ रहते हैं। चुनाव में कड़ी टक्कर तो देते है लेकिन आज तक मल्हनी से सफल नहीं हो सके हैं। चुनाव के इस जंग में इनके समर्थक एवं कार्यकर्ता भी डोर टू डोर जबर्दस्त कैम्पेनिंग कर रहे हैं। इसके अलावां इनके परिवार के लोग भी वोटों की मांग करने मल्हनी की जनता के दरबार में नजर आ रहें है। इस बार भी इनकी टक्कर सभी प्रत्याशियों को मिल रही है।
भाजपा की बात करें तो भाजपा प्रत्याशी मनोज कुमार सिंह मल्हनी के बाहर से नाता रखते हैं लेकिन सत्ता पक्ष के प्रत्याशी होने के नाते सरकार इनके साथ खड़ी है सरकार के चार मंत्री तो दिन रात मल्हनी मे घूम रहे हैं इसके अलावां सरकार के मुखिया मुख्यमंत्री योगी आदित्य नाथ स्वयं दो बार मल्हनी आ चुके और तीसरी बार मतदाताओ को रिझाने आने की खबर है। इसके अलावां पूरी पार्टी मल्हनी को सपा से छीनने के लिए लगी हुई है। इतना ही नहीं सरकार ने अपने सरकारी मशीनरी को लगा रखा है कि मल्हनी पर काबिज हो सके। इस क्रम में खबर यह भी मिली है कि मल्हनी के सभी ग्राम्य विकास अधिकारी एवं ग्राम प्रधान तथा कोटेदारो को भाजपा के पक्ष में मतदान कराने के लिए लगाया गया है। कई अधिकारी को भाजपा के पक्ष में वोटिंग कराने का दायित्व दिया गया है। पुलिस विभाग द्वारा विपक्षी दलों के प्रत्याशी समर्थकों एवं प्रत्याशीयों के खिलाफ विधिक कार्यवाही की जा रही है वहीं भाजपा प्रत्याशी के द्वारा आयोग के नियमों के उल्लंघन की अनदेखी किया जा रहा है। आयोग और प्रशासन दोनों सत्ता के साथ खड़े नजर आ रहे है।
बसपा की बात करे तो यहाँ भी पार्टी ने ब्राह्मण को मैदान में उतार कर ब्राह्मण कार्ड खेला है इसके प्रत्याशी जेपी दूबे बसपा के मूल मतदाताओं के साथ ब्राह्मण समाज को जोड़ने मे लगे हुए हैं इनके साथ बसपा के कार्यकर्ता लगने से परहेज कर रहे हैं लेकिन पार्टी के बड़े ब्राह्मण नेता जैसे सतीश चन्द्र मिश्रा मिटिंग करके बसपा के लिए वोट मांगते हुए ब्राह्मण समाज को लाम बंद करने का प्रयास कर रहे हैं। हलांकि की सारे प्रयासों के बावजूद ब्राह्मण मतदाता बसपा के साथ न के बराबर नजर आ रहा है।
कांग्रेस ने भी ब्राह्मण कार्ड खेलते हुए मल्हनी विधानसभा क्षेत्र के निवासी ब्राह्मण राकेश मिश्रा मंगला गुरू को चुनाव मैदान में उतारा है ये भी मतदाताओ के दर दस्तक दे रहे हैं इनके साथ प्रचारकों की संख्या कम है लेकिन लोकल होने के नाते ब्राह्मण इन्हें सम्मान दे रहा है। कांग्रेस नेतृत्व ने पार्टी के प्रचार को गति देने के लिए बाजीराव खड़गे को यहाँ प्रभारी बना कर भेजा मजेदार बात यह है कि जिलाध्यक्ष एवं खड़गे के बीच आपसी सामंजस्य ही नहीं बन सका है। जिससे दोनों अलग अलग काम कर रहे हैं ऐसे में कांग्रेस कितना दम दिखा सकेगी अनुमान लगाया जा सकता है।
जो भी हो अब सभी दल मतदाताओं की चौखट पर वोट की भीख मांगने के साथ ही खरीदने का खुला खेल कर रहे हैं लेकिन आयोग द्वारा नियुक्त प्रेक्षक को इसकी भनक तक नहीं है अथवा जान बूझ कर आंखे बन्द किये हुए हैं यह जांच का बिषय है।
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