सरकारी गाइड लाइन के पालन के साथ माता दुर्गा की मूर्तियों का हुआ विसर्जन


जौनपुर। कोविड 19 संक्रमण के बाद भी  शारदीय नवरात्रि की पूजा अर्चना के पश्चात आज सरकारी गाइड लाइन का पालन करते हुए दुर्गा पूजा समितियों ने मां दुर्गा की प्रतिमाओं का विसर्जन सदभावना पुल के पास गोमती तट पर बने जलासय मे कर दिया है। नवमी की संध्या पर घरों और पूजा पंडालों में नवरात्रि की पूजा के अंतिम चरण का यज्ञ एवं हवन आदि सम्पन्न किया गया। पुरोहितों ने माता रानी की प्रतिमाओं के समक्ष बनाए गए विशेष हवन कुंड में यजमान और भक्त जनों से हवन आदि करवाया। संपूर्ण वातावरण ‘स्वाहा’ के घोष से गूंज रहा था। विदित हो कि  नवरात्र की नवमी तिथि के दिन देवी सिद्धिदात्रि देवी की पूजा अर्चना की जाती है। देवी सिद्धिदात्रि नौ दिनों की तपस्या का पूर्णफल प्रदान करती हैं। इसलिए इन्हें कमल पर विराजमान बताया गया है । पुराणों के अनुसार हवन अथवा यज्ञ सनातन परंपरा में शुद्धिकरण का एक कर्मकांड है। कुंड में अग्नि के माध्यम से देवताओं के निकट पहुंचाने की प्रक्रिया को यज्ञ कहते हैं। नवरात्रि की नवमी तिथि पर हवन करने का विशेष महत्व है। हवन करके नवरात्रि पूजन को पूर्णता प्रदान की जाती है। मान्यता है कि हमारे आसपास यदि आसुरी शक्तियां सक्रिय हैं तो हवन प्रक्रिया इनसे मुक्ति दिलाती है। शुभकामना, स्वास्थ्य और समृद्धि के लिए हवन का सनातन धर्म में बहुत महत्व है।
विसर्जन के समय जिला प्रशासन के अधिकारी एवं सुरक्षा व्यवस्था में लगे पुलिस कर्मी लगातार विसर्जित करने वालों पर दृष्टि लगाये थे ताकि कोई अव्यवस्था न हो सके। हलांकि इस वर्ष जिला प्रशासन ने कोविड 19 संक्रमण के चलते दिन में ही मूर्ति विसर्जन की अनुमति दिया था। जिसका पालन करते हुए दुर्गा पूजा समितियों ने शान्ति पूर्वक ढंग से मूर्तियों का विसर्जन किया। इस कार्य में दुर्गा पूजा महा समिति के पदाधिकारियों ने अपनी भूमिका का निर्वहन किया। 

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