नये परिसीमन के चलते इस बार जाने कैसे कम हो जायेगी 880 गांव पंचायतो की संख्या


  
उत्तर प्रदेश ग्राम पंचायत चुनाव में इस बार 2016 के मुकाबले 880 ग्राम पंचायतें कम हो जाएंगी। ऐसा नए परिसीमन के कारण होगा। चुनाव कराने में हो रही देरी की वजह साफ करते हुए प्रदेश सरकार ने इलाहाबाद हाईकोर्ट में चल रही सुनवाई के दौरान यह जानकारी दी थी। चार फरवरी को हाईकोर्ट ने राज्य सरकार और चुनाव आयोग के प्रस्ताव को मंजूरी देते हुए 30 अप्रैल तक ग्राम पंचायतों का प्रत्यक्ष चुनाव कराने को मंजूरी दे दी थी। शनिवार को जारी हुई आदेश की प्रति से स्पष्ट है कि हाईकोर्ट ने कई अन्य राज्यों में पंचायत चुनाव में हुई देरी को देखते हुए चुनाव आयोग द्वारा 30 अप्रैल तक चुनाव कराने की छूट दी है। 
कोर्ट में सुनवाई के दौरान महाधिवक्ता राघवेंद्र सिंह ने पंचायत चुनाव कराने में हो रही देरी की वजह साफ की। बताया कि प्रदेश में शहरीकरण के कारण तमाम ग्राम पंचायतें शहरी सीमा में शामिल कर ली गईं हैं। इसकी वजह से ग्राम पंचायतों का नए सिरे से परिसीमन करना पड़ा। नए परिसीमन के कारण जहां 2016 में 59074 ग्राम प्रधानों का चुनाव हुआ था वहीं इस बार 58194 ग्राम प्रधान ही चुने जाएंगे।
इस प्रकार से 880 प्रधान कम चुने जाएंगे। इसी क्रम में पिछड़ी जातियों का निर्धारण व प्रकाशन नियमावली 1994 में 2015 में संशोधन किया गया है। इस संशोधन के अनुरूप पिछड़ी जातियों का नए सिरे से निर्धारण करने के लिए डोर टू डोर सर्वे करना होगा। इसके बाद पंचायतों के आरक्षण का काम हो सकेगा। सरकार ने यह यह कार्य 17 मार्च तक पूरा कर लेने की उम्मीद जताई है। 
निर्वाचन आयोग इस स्थिति में (यदि 17 मार्च तक आरक्षण का काम पूरा हो जाए) 30 अप्रैल तक चुनाव करा लेने के लिए तैयार है। कोर्ट के समक्ष भी आयोग की ओर से यही प्रस्ताव रखा गया। जिसे हाईकोर्ट ने मंजूर करते हुए कहा कि कोविड19 के कारण कई राज्यों में पंचायत और म्यूनिस्पल चुनाव कराने में देरी हुई है। आंध्र प्रदेश और राजस्थान इसका उदाहरण हैं।
कोर्ट ने 30 अप्रैल तक प्रत्यक्ष चुनाव और 15 मई तक अप्रत्यक्ष चुनावों की प्रक्रिया पूरी कर लेने का आदेश दिया है। कोर्ट ने पंचायतों के आरक्षण का काम 17 मार्च तक हर हाल में पूरा कर लेने का निर्देश दिया है। कोर्ट ने साफ किया है कि इसके अतिरिक्त चुनाव कराने के लिए और समय नहीं दिया जाएगा क्योंकि पहले ही सरकार और आयोग को पर्याप्त समय दिया जा चुका है।

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