पं0 रूप नारायन त्रिपाठी की कवितायें मानवीय मुल्यो पर थी आधारित - डाॅ राम मनोहर पाठक

जौनपुर। रूप सेवा संस्थान के तत्वावधान में महाकवि पं0 रूपनारायण त्रिपाठी की 32वीं पुण्यतिथि पर जगतनारायण इण्टर कालेज जगतगंज के परिसर में मानस कुम्भ एवं अखिल भारतीय कवि सम्मेलन एवं मुशायरे का आयोजन किया गया। मानस कुम्भ कथा में पं0 प्रकाश चन्द पाण्डेय विद्यार्थी ने भरत के चरित्र पर प्रकाश डालते हुए कहा कि भरत जी प्रभु राम के स्नेह की मूर्ति हैं। भरत का मन सदैव श्रीराम के चरण कमलों में लगा रहता। श्री विद्यार्थी ने- भरत महा महिमा जल रासी। मुनि मति तीर ठाढ़ अबला-सी।। पंक्तियों की विस्तारपूर्वक व्याख्या प्रस्तुत करके श्रोताओं में भक्ति का संचार किया। इसके पश्चात् कवि सम्मेलन के मुख्य अतिथि पूर्व कुलपति डा0 राम मोहन पाठक ने अपने उद्बोधन में कहा कि पं0 रूपनारायण त्रिपाठी की रचनायें मानवीय मूल्यों पर आधारित हैं जो प्लेटो के आदर्शों को चुनौती देती हैं। उन्होंने स्व0 त्रिपाठी की कविताओं को पाठ्यक्रमों में सम्मिलित कराये जाने पर बल दिया। श्री पाठक ने कहा कि दक्षिण भारत हिन्दी प्रचार सभा में इनकी रचनाओं को पाठ्यक्रमों में सम्मिलित किये जाने की बात चल रही है। तत्पश्चात् मुम्बई से पधारी कवियित्री श्रीमती शैलेश श्रीवास्तव ने वाणी वन्दना की। उन्होंने -’अंखियों की डिबिया में प्यारी-सी निंदिया, निंदियों में सपने हजार, मैं का करूँ राम’ जैसे गीतों के माध्यम से श्रृंगार रस की अनुपम छटा बिखेरी। प्रयागराज की धरती से पधारे नवगीत के सशक्त हस्ताक्षर यश मालवीय ने ’दबे पैरों से उजाला आ रहा है। फिर कथाओं को खंगाला जा रहा है।’ जैसी कविताओं से यथार्थ का चित्रण किया।  इसके पश्चात् हास्य कवि के रूप में पधारे प्रियांशु गजेन्द्र ने - ’इतने निर्मोही कैसे सजन हो गये। किसकी बांहों में जाकर मगन हो गये। लौटकर फिर न आये वो परदेश से, आदमी की जगह कालाधन हो गये।’ जैसी अनेक कविताओं से श्रोताओं को ठहाके लगाने के लिए बाध्य कर दिया। प्रयागराज की ही धरती से पधारे कवि श्लेष गौतम ने - ’जिस गति से नीयत गिरी, और गिरा ईमान। दोनों की गति देखकर न्यूटन भी हैरान।’ जैसी समसामयिक कविताओं से समाज में व्याप्त विसंगतियों पर प्रहार किया।
पं0 हरिराम द्विवेदी ने अपनी रचनाओं के माध्यम से गांव की मिट्टी की सुगन्ध बिखेरी। उन्होंने - ’नदिया देखतै नहाये क मन कहै तथा ओकरी ममता मतिन कइनो ममता  न बा, जग में ओकर कतौं कउनो समता न बा। जैसी कविताओं से श्रोताओं को भाव-विभोर कर दिया, ओज के कवि डा0 रणजीत सिंह ने अपनी कविताओं से राष्ट्रीय ऊर्जा का संचार किया। पं0 गिरीश पाण्डेय ने अपने अध्यक्षीय काव्य पाठ में - ’कोई चुम्बक किसी लोहे को यूँ ही नहीं खींचता, पहले उसे चुम्बक बनाता है फिर खींचता है।’ जैसी कविताओं से संवेदना जागृत की। कार्यक्रम में डा0 प्रेमचन्द विश्वकर्मा, गिरीश चन्द श्रीवास्तव, सागर जौनपुर, ओम प्रकाश, फूलचन्द भारती, श्याम सुन्दर मिश्र, रामजीत मिश्र, बेहोश जौनपुर आदि ने काव्य-पाठ से श्रोताओं पर छाप छोड़ी।
इसके पूर्व आमन्त्रित कवियों-अतिथियों को स्मृति चिन्ह एवं अंगवस्त्रम् देकर सम्मानित किया गया। आगन्तुकों का अभिवादन पं0 रामकृष्ण त्रिपाठी, आभार ज्ञापन लोकेश त्रिपाठी, तथा संचालन पं0 सभाजीत द्विवेदी प्रखर ने किया। उक्त अवसर पर नगर पालिका के पूर्व चेयरमैन दिनेश टण्डन, टी0डी0 इण्टर कालेज के प्रधानाचार्य, डा0 वीरेन्द्र प्रताप सिंह, पूर्व प्रधानाचार्य डा0 प्रमोद कुमार सिंह, पं0 छविनाथ मिश्र, वीरेन्द्र सिंह एडवोकेट, डा0 अजय, पत्रकार गण जौनपुर प्रेस क्लब के अध्यक्ष कपिल देव मौर्य, लोलारक दूबे डा0 भारतेन्दु मिश्र, रामदयाल द्विवेदी, अश्विनी दूबे एडवोकेट, आलोक मिश्र, सुशील दूबे, कलेक्ट्रेट अधिवक्त समिति के महामंत्री आनन्द मिश्र, रमाशंकर पाठक एडवोकेट, ताराचन्द मिश्र एडवोकेट, प्रशान्त त्रिपाठी, विनोद त्रिपाठी, प्राचार्य रमेशमणि त्रिपाठी, पूर्वांचल विश्वविद्यालय के जनसंचार संकायाध्यक्ष डा0 मनोज मिश्र, डा0 योगेन्द्र सिंह मुन्ना, अखिलेश तिवारी अकेला, आदि उपस्थित रहे। 

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