उत्तर प्रदेश में लगभग 7 हजार फैक्टरियां बन्द होने के कगार पर सरकार क्यों है बेखबर





दिल्ली से सटे उत्तर प्रदेश के नोयडा में सूक्ष्म लघु एवं मध्यम उद्योग वर्तमान समय में सरकार की अव्यवस्थाओ के चलते गहरे संकट में आ गये है। जिसका परिणाम है कि तमाम बड़ी फैक्ट्रियों ने कर्मचारियों की छंटनी शुरू कर दिया है जिसके चलते लोग बेरोजगार होने को मजबूर हैं। हलांकि सरकारी तंत्र इसे कोरोना संक्रमण से जोड़ रहा है लेकिन सच इससे बिलकुल अलग है  ।
नोएडा की एमएसएमई (MSME) एसोसिएशन ने बताया कि 50 से ज़्यादा फैक्ट्रियों पर ताले लटके हुए हैं और करीब 7 हजार फैक्ट्रियां बंद होने के कगार पर हैं। काम न होने के चलते इन फैक्ट्रियों पर संकट के बादल छाए हुए हैं। साथ ही यहां काम करने वाले मजदूर भी गहरे संकट में हैं। ऐसे में एसोसिएशन ने सरकार मदद की गुहार लगाई है। देश की राजधानी से सटे नोएडा बड़ा इंडस्ट्रियल क्षेत्र है। यहां हजारों की तादाद में सुक्ष्म, लघु और मध्यम उद्योग हैं जिन पर ताले लटके हुए हैं।
बता दें कि नोएडा के सेक्टर 10 में नरेंद्र डोगरा की प्रिंटिंग की दो फैक्ट्रियां थीं। अब यहां दोनों पर ताले लटके हैं। लॉकडाउन के बाद से फैक्ट्रियां बंद हैं, क्योंकि इनके पास कोई काम नहीं है। नरेंद्र का एक करोड़ रुपए से ऊपर का टर्नओवर था। नरेंद्र ने बताया कि लॉकडाउन के बाद से ही फैक्ट्रियां बंद हैं। ऑर्डर न होने के कारण दिसंबर तक काम नहीं है।
अहसान अली की पैकेजिंग बनाने की मशीन बनाने की फैक्ट्री है। यहां लॉकडाउन से पहले 10 मज़दूर काम करते थे। अब सिर्फ दो मज़दूर ही काम कर रहे हैं। अहसान अली ने बताया कि महीने में 3-4 मशीन बेच लिया करते थे। अब न लेबर है और न काम है। दो महीने में हमने एक या दो मशीनें ही बेची हैं। अहसान ने बताया कि 15 हज़ार किराया है, वह भी निकालना मुश्किल हो रहा है। अहसान कहते हैं कि अगर हालात नहीं सुधरे तो काम बंद करना पड़ेगा।
गौरतलब है कि गौतमबुद्ध नगर ज़िले में नोएडा और ग्रेटर नोएडा बड़ी इंडस्ट्रियल अथॉरिटी हैं। इनमें छोटी बड़ी करीब 20 हज़ार यूनिट हैं। MSME इंडस्ट्रियल एसोसिएशन नोएडा के अध्यक्ष सुरेंद्र सिंह नाहटा ने बताया कि 50 से ऊपर फैक्ट्रियां पूरी तरह बंद हो चुकी हैं और हज़ारों अन्य बंद होने के कगार पर हैं। नोएडा में कुल 11 हज़ार फैक्ट्रियां है। बड़ी फैक्ट्रियां 100-200 हैं। इन्हें अगर छोड़ दिया जाए दूसरी सभी कंपनियां परेशान हैं।
बंद पड़ी इन फैक्ट्रियों की सुधि कोई नहीं लेने वाला है इनके हाल पर प्रशासन भी चुप है। सभी प्रशासनिक अधिकारी कैमरा पर बोलने से बचते नज़र आये। MSME की इन इकाइयों की स्थिति पर प्रशासन का पक्ष जानने के लिए गौतमबुद्ध नगर के डीएम सुहास एल वाई से संपर्क किया गया। उन्होंने कहा कि इस मामले पर पक्ष रखने के लिए NOIDA सीईओ सक्षम अधिकारी हैं। 
जब नोएडा के CEO ऋतु माहेश्वरी से संपर्क किया गया तो उन्होंने कहा कि उन्हें इस इंडस्ट्री के बंद होने की जानकारी नहीं है। उन्होंने आंकड़ों को भी संदेहास्पद बताया। MSME इंडस्ट्री की देखरेख स्थानीय स्तर जीएम इंडस्ट्री करते हैं। ज़िला उद्योग केंद्र के उपयुक्त अनिल कुमार ने बताया कि उनके पास ऐसा कोई आंकड़ा नहीं है। अब सवाल है कि इंडस्ट्री के पास ऐसा कोई आंकड़ा क्यों नहीं है ?

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