मंकीपाक्स को लेकर स्वास्थ्य विभाग का अलर्ट, जानें कैसे फैलती है यह बीमारी
प्रदेश में मंकीपाक्स को लेकर अलर्ट जारी किया गया है। स्वास्थ्य विभाग ने सीमावर्ती जिलों में विशेष निगरानी के निर्देश दिए हैं। स्वास्थ्य महानिदेशालय इस संबंध में सोमवार यानी आज गाइडलाइन भी जारी की हैं। लगभग चार माह से दुनिया भर में मंकीपाक्स के मरीज मिल रहे हैं। बीते दिनों केरल में भी मंकीपाक्स का मरीज मिलने के बाद केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने राज्यों को सतर्कता बरतने के निर्देश दिए हैं।
स्वास्थ्य विभाग ने सभी मुख्य चिकित्सा अधिकारियों को लक्षण वाले मरीजों की जानकारी देने और उनके नमूने एकत्र करने की तैयारी रखने का निर्देश दिया है। यह भी निर्देश दिया गया है कि जहां भी विदेश यात्रा से कोई लौटा हो, उसे अन्य लोगों से अलग रहने के लिए कहा जाए। यदि विदेश से लौटने वालों में लक्षण हैं तो उसकी तत्काल जांच कराई जाए।
यदि विदेश यात्रा से लौटने वाला व्यक्ति मंकीपाक्स संक्रमित किसी मरीज के संपर्क में आया है और उसमें लक्षण हैं तो उसे तत्काल आइसोलेट करने के निर्देश दिए गए हैं। जिला अस्पतालों के साथ सभी सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों में भी नमूने एकत्र करने की व्यवस्था के निर्देश दिए गए हैं। आशा व एएनएम कार्यकर्ताओं को भी इसके लक्षण की जानकारी देने की हिदायत दी गई है।
मंकीपाक्स चेचक वायरस परिवार से संबंधित है। इसे पहली बार 1958 में शोध के लिए रखे गए बंदरों में देखा गया था। 1970 में पहली बार इंसान में इस वायरस की पुष्टि हुई थी। वायरस के दो मुख्य स्ट्रेन हैं पश्चिम अफ्रीकी और मध्य अफ्रीकी।
क्या हैं इसके लक्षण: मंकीपाक्स के संक्रमण में बुखार, सिरदर्द, सूजन, पीठ दर्द, मांसपेशियों में दर्द और सामान्य रूप से सुस्ती शामिल हैं। बुखार के समय अत्यधिक खुजली वाले दाने विकसित हो सकते हैं, जो अक्सर चेहरे से शुरू होकर शरीर के अन्य हिस्सों में फैल जाते हैं। संक्रमण आमतौर पर 14 से 21 दिन तक रहता है।
कैसे फैलता है संंक्रमण: मंकीपाक्स वायरस त्वचा, आंख, नाक या मुंह के माध्यम से शरीर में प्रवेश करता है। यह संक्रमित जानवर के काटने से, या उसके खून, शरीर के तरल पदार्थ, या फर को छूने से हो सकता है। संक्रमित जानवर का मांस खाने से भी मंकीपाक्स हो सकता है।
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