अब भाजपा में आस्तीन के सांपो की तलाश शुरू,आखिर कौन है आस्तीन का सांप,ऐसे लोगो पर गिर सकती है गाज


जौनपुर।चुनाव बीत गया केन्द्र में नयी सरकार भी बन गई लेकिन यूपी में करारी हार से भाजपा उबल रही है। प्रत्याशी अब भाजपा में आस्तीन के सांपों की तलाश शुरू कर दिए है। गद्दारों की तलाश है हारे हुए लोग चीख-चीखकर कह रहे हैं, मेरी पीठ में अपनों ने खंजर घोंपा है। वो सांसद जो कम मार्जिन से जीते है वह भी इस आरोप प्रत्यारोप में पीछे नहीं है। उन्होंने भी आस्तीन के सांपों के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। 
कुल मिलाकर हार पर रार मची हुई है। अब तक एक दर्जन से अधिक प्रत्याशियों ने पार्टी हाईकमान को अपनी रिपोर्ट भेजी है। सभी की रिपोर्टें भितरघात के आघात से रंगी हुई हैं। बता दें कि लोकसभा चुनाव में इस बार भाजपा को आश्चर्यजनक तौर से करीब- करीब आधी सीटों का नुकसान उठाना पड़ा है। सात केंद्रीय मंत्रियों तक को हार का सामना करना पड़ा है। 
अब तक की पड़ताल में यही सामने आया है कि टिकट वितरण की खामियों की वजह से ही भाजपा की ऐसी गति हुई। तमाम ऐसे सांसद हैं, जिनके खिलाफ माहौल को देखते हुए स्थानीय कार्यकर्ताओं और पदाधिकारियों ने उनको टिकट नहीं देने की गुजारिश की थी, लेकिन उनकी बातों को नजरअंदाज कर प्रत्याशी थोप दिए गए। लिहाजा नाराज पार्टी कार्यकर्ता भी घर बैठ गए, जिसका परिणाम सामने है।
देखा जाए तो टिकट बंटवारे को लेकर ही कई सीटों पर भितरघात की आग सुलगने लगी थी, लेकिन प्रदेश संगठन इसे दबाता रहा। यह बात ऊपर पहुंचाने के बजाय भितरघात की बात को नकारा जाता रहा। लिहाजा इसका 'साइड इफेक्ट' अब सामने आ रहा है। पार्टी का प्रदेश संगठन अंदर ही अंदर उबल रहा है। जिन बड़े चेहरों को हार मिली है, उन्होंने भी पार्टी नेताओं पर हार का ठीकरा फोड़ना शुरू कर दिया है। इतना ही नहीं कम मार्जिन से जीतने वाले भी आस्तीन के सांपो कहांनी उपर नेतृत्व को बताने में जुटे हुए है। आरोप लग रहे है कि पार्टी के अंदर काम करने वाले कुछ 'गद्दारों' और 'आस्तीन के सांपों' की वजह से वोट कम हुए।
इस चुनाव बाद जिस तरह से पार्टी में भितरघात की बातें सामने आ रही हैं, उसे लेकर संगठन पर सवाल उठने लगे हैं। जौनपुर, मछलीशहर, भदोही, फिरोजाबाद, मैनपुरी, लालगंज, सीतापुर, बस्ती, चंदौली, फैजाबाद समेत करीब 36 सांसदों का टिकट काटने की संस्तुति राज्य स्तर से की गई थी। पर, हाईकमान ने उसमें से 24 लोगों को दोबारा टिकट दे दिया, जो यूपी में भाजपा का संख्याबल घटाने में बड़ा कारण साबित हुआ।
सबसे बड़ा सवाल यह है कि आखिर किसके कहने पर राज्य स्तर की संस्तुति को दरकिनार कर टिकटों का वितरण किया गया। किस एजेंसी के सर्वे को ढाल बनाकर जनता की नापसंद वाले सांसदों को टिकट दिया गया? 
आम तौर पर भितरघात के आरोपों को खारिज करने वाले भाजपा हाईकमान के पास हर सीटों से भितरघात की रिपोर्ट पहुंच रही है। चुनाव परिणाम आने के बाद से तमाम लोगों ने पार्टी हाईकमान के साथ ही मुख्यमंत्री को भी अपनी-अपनी सीटों की रिपोर्ट सौंपी है। सूत्रों का कहना है कि शुक्रवार को एनडीए की बैठक से पहले भाजपा हाईकमान ने भितरघात की शिकायतों को लेकर गंभीरता से चर्चा की है।
बंद कमरे में करीब दो घंटे तक चली बैठक के बाद हाईकमान ने प्रदेश संगठन से भितरघात करने वालों को चिह्नित कर रिपोर्ट मांगी है। इस आधार पर संगठन ने प्रदेश के एक-एक बूथ की रिपोर्ट मांगी है। साथ ही सभी हारे हुए प्रत्याशियों और जीते सांसदों से भी एक-एक सीट पर बूथवार रिपोर्ट मांगी गई है।
सूत्र की माने तो जौनपुर और मछलीशहर सुरक्षित से चुनाव लड़ने वाले प्रत्याशी गण जिला कमेटी से लेकर जिले के जन प्रतिनिधियों की शिकायत की है और सभी को आस्तीन का सांफ बता दिया है। हालांकि अपनी कमियों को बताने से परहेज किया है।जब सच यह है कि भाजपा के दोनो प्रत्याशी गण भाजपा कार्यकर्त्ताओ पर तनिक भी विश्वास नहीं किए जिसके परिणाम सामने है।हलांकि खबर यह भी आ रही है कि महाराष्ट्र से जौनपुर चुनाव लड़ने के लिए आने वाले को जौनपुर के नेता गण एक दम नही पसंद किए तो सवर्णो के खिलाफ कार्रवाई कराने वाले को धूल चटाने का काम तो मतदाताओ ने ही किया है।नाराज मतदाता नोटा बटन दबाने का काम किया है।

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