पंचायत चुनावः आरक्षण तैयार करने में जाने क्या क्या गुल खिले, क्या रहा फार्मूला


जौनपुर। पंचायत चुनाव में गांवों का आरक्षण जानने के लिए दावेदारों की लम्बी लाइनें आज सुबह से ब्लॉक और जिला मुख्यालय पर पहुंच गयी और रात्रि में लगी आरक्षण सूची का अवलोकन करने में जुट गयी है। अब जारी सूची पर आपत्ति दाख़िल होगा इसके बाद फाइनल सूची लगभग 15 मार्च तक जारी होगी जिसपर चुनाव सम्पन्न कराया जायेगा। अफसरों, कर्मचारियों और अपने संपर्क में आए लोगों से आरक्षण सूची प्रकाशन की जानकारी लेने की होड़ मची हुई है । हलांकि की देर रात आरक्षण की सूची जारी कर प्रशासन राहत महसूस कर रहा है। खबर मिली है कि आरक्षण को तैयार करने में विभागीय स्तर पर धनोपार्जन का भी खेल बड़ी सावधानी एवं बारीकी के साथ किया गया है। 
त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव के लिए शासन ने प्रधान, ग्राम पंचायत सदस्य, क्षेत्र पंचायत सदस्य, ब्लॉक प्रमुख, जिला पंचायत सदस्य के पदों का आरक्षण तय करने का नया फॉर्मूला दिया है। इसके तहत जिला स्तर पर यह सूची तैयार कर दो से तीन मार्च तक प्रकाशित करने का निर्देश था। लिहाजा सूची तैयार करने के लिए विभाग के अधिकारी एवं कर्मचारी अपना कार्यालय छोड़ अन्डर ग्राउन्ड हो गये थे। 2 मार्च को हर कोई आरक्षण सूची की तलाश करता रहा है। अफवाहों के चलते विकास भवन और ब्लॉकों में चुनाव से संबंधित पूर्व में जारी दिशा-निर्देशों से संबंधित नोटिस देखने के लिए भीड़ लगी रही। रात आठ बजे तक अधिकृत सूची जारी नहीं हुई थी। डीपीआरओ संतोष कुमार का कहना था कि सूची तैयार है, लेकिन उच्चाधिकारियों के निर्देश के बाद ही इसे सार्वजनिक किया जाएगा।
अधिकारी बताते हैं ऐसे तय किया गया आरक्षण 

इस बार पंचायतों में आरक्षण के फॉर्मूले में शासन ने थोड़ी तब्दीली की है। कम आबादी के आधार पर जो ग्राम पंचायतें अब तक आरक्षित श्रेणी में आने से वंचित रही हैं, उन्हें सबसे पहले ही आरक्षित श्रेणी में लिया गया है। आरक्षण का चक्र पहले अनुसूचित जाति महिला, अनुसूचित जाति, अन्य पिछड़ा वर्ग महिला, अन्य पिछड़ा वर्ग और फिर सामान्य महिला के लिए पदों का आरक्षण निर्धारित किया गया है। शेष बचे पदों को अनारक्षित रखा गया है।

जिले में इतने पदों पर होने हैं चुनाव::
21544 ग्राम पंचायत सदस्य के पद।
1740 ग्राम प्रधान के पद।
2027 क्षेत्र पंचायत सदस्य।
21 ब्लॅाकों में प्रमुख का पद।
83 वार्डों में जिला पंचायत सदस्य।
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 वैसे तो आरक्षण की सूची को एक दिन पहले ही अंतिम रूप दे दिया गया था, बावजूद इसके तमाम लोग अंतिम समय तक इसमें फेरबदल कराने का दावा करते रहे। ऐसे लोग उन दावेदारों को साध रहे थे, जिनके गांव अब तक अनारक्षित रहे हैं और इस बार उनका आरक्षित होना तय है। आरक्षण सूची को लेकर सबसे ज्यादा बेकरारी भी उन्हीं में नजर आई। किसी तरह जब उन्हें अपने से विपरीत आरक्षण की जानकारी हो रही थी तो वह मायूस हो जा रहे थे। इतना ही नहीं पंचायत विभाग के कुछ कर्मचारी ऐसे भी मिले जो आरक्षण मन मुताबिक कराने के लिए चुनाव लडाकुओं की जेब भी ढीली कराते नजर आये हैं। जो संकेत करता है कि आरक्षण को तैयार करने में विभागीय स्तर पर धनोपार्जन का भी खेल हुआ है। 

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