वर्ल्ड एथलेटिक्स चैंपियनशिप से एक कदम दूर रह गया रोहित यादव, फाइनल में मिला 10वां स्थान


कॉमनवेल्थ गेम्स के लिए क्वालीफाई कर चुके बनारस रेल इंजन कारखाना (बरेका) के जैवलिन थ्रोअर रोहित यादव इतिहास रचने से एक कदम दूर रह गए। वर्ल्ड एथलेटिक्स चैंपियनशिप के फाइनल मुकाबले में वो पदक से चूक गए। अमेरिका के यूजीन में आयोजित इस प्रतियोगिता में भारत के स्टार भालाफेंक एथलीट नीरज चोपड़ा ने रजत पदक हासिल किया।वहीं जौनपुर मूल के निवासी रोहित यादव ने फाइनल में 10वां स्थान हासिल किया। वह तीसरे राउंड के बाद बाहर हो गए। उन्होंने पहले राउंड में 77.96,  दूसरे राउंड में 78.05 और तीसरे राउंड में 78.72 मीटर दूर भाला फेंका। बता दें कि रोहित यादव ने 82.54 मीटर भाला फेंककर कॉमनवेल्थ गेम्स के लिए क्वालीफाई किया है। जबकि 80.42 मीटर भाला फेंककर वर्ल्ड एथलेटिक्स चैंपियनशिप के फाइनल के लिए क्वालीफाई किया था।


वर्ल्ड एथलेटिक्स चैंपियनशिप में पदक ना जीत पाने का मलाल रोहित अब कॉमनवेल्थ गेम्स में दूर करेंगे। बरेका के जनसंपर्क अधिकारी राजेश कुमार के अनुसार विद्युत विभाग में वरिष्ठ लिपिक रोहित मूलरूप से जौनपुर के निवासी हैं। बरेका के रोहित ऐसे पहले खिलाड़ी हैं, जिन्होंने विश्व एथलेटिक्स चैंपियनशिप के फाइनल में जगह बनाई है।
विश्व एथलेटिक्स चैम्पियनशिप के फाइनल में पदक से चूकने वाले रोहित यादव के पीछे सफलता की कहानी उनके किसान पिता की कोचिंग में की गई मेहनत है, जिसके बल पर आज रोहित ऊचाईयों को छू रहे हैं। रोहित के पिता सभाजीत यादव खुद मैराथन धावक रहे हैं। वह मैराथन में सैकड़ों मैडल जीत चुके हैं, उनके तीन बेटे राहुल, रोहित और रोहन हैं।
उन्होंने ने घर पर ही जैवलिंग थ्रो की कोचिंग देना शुरू किया। सभाजीत ने घर पर ही मेहनत कराकर उन्हें मजबूत बनाया। इसके लिए टंगारा चलाना, वजन उठाना सहित तमाम मेहनत कराना शामिल रहा है। राहुल चोट के कारण आगे नहीं बढ पाया, लेकिन रोहित 2017 में विश्व स्कूल गेम चैम्पियनशिप में स्वर्ण पदक जीतते ही आगे बढ़ता चला गया। 
रोहित यादव के पिता ने बताया कि वह खुद मैराथन प्रतियोगिता में भाग लेते चले आ रहे हैं। बताया कि जब वह अपने बच्चों को प्रशिक्षण देते थे, तब अगल-बगल के लोग कोसते थे। वे कहते थे कि पढ़ा लिखा कर कमाई करने के लिए भेजो, लेकिन उन्होंने इसकी परवाह नहीं की और अपने लड़कों को तैयार किया।
खेल की बदौलत रोहित को रेलवे में नौकरी मिली है। अब अगल-बगल के लड़के भी उनके घर ट्रेनिंग लेने आते हैं। उनका कहना है कि खेल के लिए मेहनत और लगन जरूरी है। सभाजीत के अनुसार,  उन्होंने खेती किसानी कर  बेटों को खिलाड़ी बनाया है। तीनों बेटे भाला फेंक खिलाड़ी हैं। रोहित और रोहन अंतरराष्ट्रीय और राहुल राष्ट्रीय स्तर की प्रतियोगिता खेल चुका है। कहा कि मीडिया ने हमेशा मनोबल बढ़ाया है। अमर उजाला 2016 से ही रोहित के विश्व स्कूल गेम चैंपियन बनने से लेकर आज तक हर खबर प्रमुखता से छापता रहा है।
जैवलिंग थ्रोवर रोहित यादव कई प्रतियोगिता को जीत पदक जीता है। 6 फरवरी 2021 भारतीय अंडर /20 प्रतियोगिता गुवाहाटी में 77.86 मीटर, 9 मई 2022 इंडियन ओपन प्रतियोगिता जमशेदपुर 78.31 मीटर , 5 मार्च 2021 इंडियन ग्रा.पी.पटियाला 78.47 मीटर, 5 नवम्बर 2022 भारतीय अंडर  20 मंगल गिरि 70.60 मीटर, 17 मार्च 2021 फेडरेशन कप पटियाला 78.80 मीटर, 3 अगस्त 2019 अन्तराष्ट्रीय अध्याय लखनऊ 78.98 मीटर , 13 मार्च 2022 को इंडियन ग्रा पी तिरुवनंतपुरम 80.03 मीटर, 24 मई 2022 इंडियन ग्रा पी भुवनेश्वर 80.83 मीटर, 3 अप्रैल 2022 को नेशनल फेडरेशन कप थेनिपालामी 81.83 मीटर और 11 जून 2022 को नेशनल इंटर स्टेट सीनियर  चैम्पियनशिप चेन्नई में 82.54 मीटर भाला फेंक चुका है।

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