शिक्षक में वात्सल्य,धैर्य,क्षमता, समता समानता का भाव होना चाहिए - डा हरिओम त्रिपाठी
जौनपुर।भारत के पूर्व राष्ट्रपति डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन जी की याद में 5 से 9 सितम्बर तक तिलकधारी महाविद्यालय में मनाये जा रहे शिक्षक दिवस के पर्व के तीसरे दिन मुख्य वक्ता अंग्रेजी विभाग की विभागाध्यक्ष प्रोफेसर डॉ. वंदना दुबे तथा विशिष्ट वक्ता समाजशास्त्र विभाग के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. हरिओम त्रिपाठी रहे। अपने उदबोधन में प्रोफेसर वन्दना दुबे ने सर्वपल्ली डॉ. राधाकृष्णन, अब्दुल जे कलाम तथा सावित्री बाई फुले के साथ अन्य महान शिक्षकों का उदारहण देते हुए समाज मे शिक्षकों की भूमिका व महत्ता को दर्शाया और बताया कि विपरीत परिस्थतियो में शिक्षा ही बल व आगे की राह दिखाती है, इसलिए हमें महान पुरुषों की आत्मकथायें तथा अच्छी पुस्तकों का अध्ययन अवश्य करनी चाहिए।
विशिष्ट वक्ता के रूप मे समाजशास्त्र विभाग के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. हरिओम त्रिपाठी ने महान शिक्षक डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन, महामना पंडित मदन मोहन मालवीया, भटनागर जी तथा अन्य महान शिक्षकों को याद किया तथा उनके संस्मरणों को साझा किया और शिक्षक के उन महत्वपूर्ण गुणों को बताया जो पंडित मदन मोहन मालवीय जी शिक्षकों के अंदर देखा करते थे। उन गुणों को सन्दर्भित करते हुए डॉ. त्रिपाठी ने बताया कि वात्सल्य प्रेम, आचरण में सदाचार और आदर्श, समता-समानता का भाव, धैर्य और क्षमावान, अध्ययन और अध्यापन जैसे कुछ महत्वपूर्ण गुण एक शिक्षक में होना आवश्यक है। इस अवसर पर शिक्षक शिक्षा विभाग के प्रोफेसर अजय कुमार दुबे, प्रोफेसए रीता सिंह, असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. गीता सिंह, डॉ. सुलेखा सिंह, हिंदी विभाग की प्रोफेसर सुष्मा सिंह, मनोविज्ञान विभाग की एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. माया सिंह, रसायनशास्त्र की असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ मंजू , भूगोल विभाग की डॉ. आसिया परवीन तथा अंग्रेजी विभाग के डॉ. कुँवर शेखर गुप्ता उपस्थित रहे। अतिथियों का स्वागत प्रोफेसर अजय कुमार दुबे ने किया तथा कार्यक्रम का संचालन प्रोफेसर श्रद्धा सिंह और धन्यवाद ज्ञापन प्रोफेसर सुष्मा सिंह ने किया।
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