अब डाक पर एक और जिम्मेदारी, डाकिया पहुचायेगा टीबी के मरीजों का सैम्पल


राज्य क्षय रोग विभाग और डाक विभाग में करार,आयुष मंत्रालय के निर्देशों का पालन करने की अपील 

 जौनपुर। क्षय रोग विभाग तथा डाक विभाग के बीच हुये करार के मुताबिक अब डाकिये टीबी मरीज़ों का सैम्पल सीबी नॉट सेंटर व लैब तक पहुचायेंगे। इससे जांच और इलाज में तेजी आएगी। पीएम नरेंद्र मोदी के सन् 2025 तक देश से क्षय रोग यानी टीबी के खात्मे का लेकर कई नई योजनाए और कार्यक्रम शुरू किए हैं। इसी क्रम में स्वास्थ्य भवन में राज्य क्षय रोग विभाग और भारतीय डाक विभाग में विधिवत एक करार हुआ, जिसके तहत प्रदेश के सभी 75 जिलों में टीबी मरीजों का सैम्पल लैब तक पहुचाने का काम अब डाकिए करेंगे। इससे पहले यह सैम्पल कोरियर से भेजे जाते थे, जिससे रोगियों की पहचान और इलाज शूरू होने में विलम्ब होता था। इस करार के साथ ही उत्तर प्रदेश इस नई व्यवस्था को लागू करने वाला देश का पहला राज्य बन गया है 
करार के मुताबिक ज़िले के 23 अधिकृत डेज़ीगनेटेड माइक्रोस्कोपिक सेंटर (डीएमसी) से 24 घंटे के अन्दर सीबीनाट मशीन सेंटर तक सैम्पल पहुंचाने का काम डाक विभाग करेगा। इसके साथ ही सीबीनाट मशीन सेंटर से प्रदेश के आठ जिलों (लखनऊ, आगरा, अलीगढ़, बरेली, मेरठ, वाराणसी, गोरखपुर और इटावा) में स्थित ड्रग कल्चर सेंसटिविटी टेस्ट सेंटर तक 48 घंटे के अन्दर सैम्पल पहुंचाने का भी काम करेगा। यहां फालोअप जांच की जाएगी। पायलट प्रोजेक्ट के तहत लखनऊ, आगरा, बदायूं और चंदौली जिले में पहले चरण में यह कार्यक्रम चलाया गया था । उस दौरान मिली सफलता के आधार पर अब  यह व्यवस्था पूरे प्रदेश में मूर्त रूप लेने जा रही है।
डीटीओ (डिस्ट्रिक्ट ट्यूबरक्लोसिस ऑफिसर) डॉ. सीएल कन्नौजिया ने बताया कि टीबी मरीजों के मामले में सबसे बड़ी चुनौती जल्द से जल्द जांच कराने की होती है, क्योंकि एक टीबी मरीज अनजाने में न जाने कितने लोगों को संक्रमित कर सकता है। इस करार के बाद सैम्पल की जांच में तेजी आएगी और रिपोर्ट आते ही जल्द से जल्द उनका इलाज शुरू कर दिया जाएगा। इससे संक्रमण का खतरा कम रहेगा। इस कार्यक्रम की रूपरेखा विश्व क्षय रोग दिवस यानि 24 मार्च को ही तय हो गई थी, जिसे अब विधिवत मूर्त रूप दिया जा रहा है।

आयुष मंत्रालय की सलाह पर करें अमल

1. दिनभर समय-समय पर गर्म पानी पीते रहें. पानी को हल्का गर्म करके पिएं।
2. रोजाना कम से कम 30 मिनट तक योग करें।
3. अपने आहार में हल्दी, जीरा, धनिया और लहसुन जैसे मसालों का इस्तेमाल जरूर करें।
4. एक चम्मच या 10 ग्राम च्यवनप्राश का सेवन रोज सुबह करें. डायबिटीज के रोगी शुगर फ्री च्यवनप्राश का सेवन करें।
5. दिन में एक या दो बार हर्बल चाय, काढ़ा पीएं. काढ़ा बनाने के लिए पानी में तुलसी, दालचीनी, काली मिर्च, सूखी अदरक, मुनक्का मिलाकर अच्छी तरह धीमी आंच पर उबालें. अगर मीठा लेना हो तो स्वादानुसार गुड़ डालें या खट्टा लेना हो तो नींबू का रस मिला लें।
6. दिन में कम से कम एक या दो बार हल्दी वाला दूध लें. 150 मिली लीटर गर्म दूध में करीब आधी छोटी चम्मच हल्दी मिलाकर पीएं।
7. नैजल एप्लीकेशनः तिल का तेल या नारियल का तेल या घी रोज सुबह और शाम नाक के दोनों छिद्रों में लगाएं।
8. ऑयल पुलिंग थेरेपीः एक बड़ी चम्मच तिल का तेल या नारियल का तेल मुंब में लें. इसे पीना नहीं है. इसे दो से तीन मिनट तक मुंह में घुमाने के बाद थूक दें. इसके बाद गुनगुने पानी से कुल्ला करें. दिन में एक या दो बार ऐसा किया जा सकता है।
9. गले में खरास या सूखा कफ होने पर पुदीने की कुछ पत्तियां और अजवाइन को पानी में गर्म करके स्टीम लें।
10. गुड़ या शहद के साथ लौंग का पाउडर मिलाकर इसे दिन में दो से तीन बार खाएं। सूखा कफ या गले में खरास ज्यादा दिनों तक है तो डॉक्टर को दिखाएं।

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