उत्तर प्रदेश के 23 गांव ऐसे है जो आजद भारत में पहली बार बनाने जा रहे है गांव की सरकार



आजादी के 73 साल बाद प्रदेश के गोरखपुर और महराजगंज के 23 वनटांगिया गांवों के लोग पहली बार पंचायत चुनाव लड़ेगें। यह पहली बार अद्भुत नजारा होगा जब वनटांगिया गांवों के लोग ग्राम प्रधान चुनेंगे और अपने गांव की सरकार बनाएंगे। बता दें कि साल 2017 से पहले यह 23 वनटांगिया गांव राजस्व ग्राम के तौर पर सरकारी रिकार्ड में दर्ज नहीं थे। 
 खबरें विस्तार से- भले ही देश अंग्रेजों से आजाद हो गया लेकिन इस देश में कुछ ऐसे भी गांव हैं जहां न तो चुनाव लड़ने का अधिकार है और न ही सरकार द्वारा मुहैया कराये गए सुविधाओं का लाभ उठाने का। लेकिन अब वर्तमान योगी सरकार ने इन गांवों को राजस्व ग्राम घोषित कर उन्हें आजाद देश में शामिल कर लिया है। अब यह वनटांगिया गांव सरकार द्वारा मुहैया कराये गए सभी सुविधायों का लाभ उठा सकते हैं इतना ही नहीं यह सभी गांव पहली बार पंचायत चुनाव लड़ेगे और अपने गांव की सरकार बनाएंगे। 
बताते चले कि राजस्व ग्राम घोषित होने के बाद गोरखपुर और महराजगंज के 23 वनटांगिया गांव पहली बार पंचायत चुनाव में भाग ले रहे हैं और गांव की सरकार चुनने जा रहें हैं। इनमें से गोरखपुर के पांच और महराजगंज के 18 वनटांगिया गांव हैं। पिछले चुनाव में इन गांवों के लोगों ने भले ही वोट डाले हो लेकिन ये खुद का गांव राजस्व ग्राम न होने से सरकार द्वारा कोई फायदा नहीं मिल पा रहे थे। मुख्यमंत्री योगी आदित्‍यनाथ ने साल 2017 में इन सभी गांवों को राजस्व ग्राम का दर्जा दिलाया और गांवों में स्कूल बना तो राशन कार्ड से राशन मिलने लगा। इतना ही नहीं इन सभी गांवों में बिजली, सड़क, पानी और आवास जैसी सुविधाएं भी मुहैया कराया और यहां के लोग वृद्धा, विधवा और दिव्यांग पेंशन योजनाओं का लाभ उठा रहे हैं। 
वनटांगिया गांव को अंग्रेजों ने 1918 में बसाया  था। इन गांवों में पौधों का रोपण कर वनक्षेत्र बनाना था। यहां के लोग अपना जीवन पेड़ों के बीच की खाली जमीन पर खेती कर गुजारा करते थे। इन गांवों में गोरखपुर में कुसम्ही जंगल के पांच इलाकों में फैले जंगल तिनकोनिया नम्बर तीन, रजही खाले टोला, रजही नर्सरी, आमबाग नर्सरी और चिलबिलवा में बसी इनकी बस्तियां 100 साल से अधिक पुरानी हैं। 
गोरखपुर में 1998 में पहली बार सांसद बनने के बाद योगी ने वनटांगियों के लिए संसदीय कार्यकाल में सड़क से सदन तक उनके हक के लिए आवाज उठाया। साल 2009 से योगी उन्हीं के बीच दिवाली मनाते हैं और आज तक योगी और वनटांगियों के बीच का यह रिश्ता बरकरार है।

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