जौनपुर में पराली जलाते 07 किसान चिन्हित विधिक कार्यवाई की तैयारी शुरू लगेगा जुर्माना

जौनपुर।खेतों के लाभदायक जीवाणुओं को बचाने और पर्यावरण संरक्षण के लिए राष्ट्रीय हरित अभिकरण (एनजीटी) ने कड़े कानून लागू किया है। इतना ही नहीं सेटेलाइट से निगहबानी की जा रही है। बावजूद इसके किसान पराली जलाने से बाज नहीं आ रहे हैं। अभी धान की कटाई चल रही है। ऐसे में चार स्थानों पर पराली जलाने की तस्वीर कैद कर एनजीटी ने कार्रवाई के लिए भेज दी है। जांच में सात किसान चिह्नित किए गए हैं। उनके खिलाफ कार्रवाई के लिए एसडीएम को रिपोर्ट भेजी गई है। 
पराली जलाने से कई बस्तियों, खेतों, जंगलों आदि स्थानों पर अगलगी की तमाम दुर्घटनाएं होती रहती हैं। इस समस्या को देखते हुए राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) ने खेतों में फसल अवशेष जलाने वालों पर दंडात्मक कानून बना दिया है। पराली जलाने पर जहां ढाई से लेकर 15 हजार रुपये तक जुर्माने की राशि तय की गई है वहीं दोबारा जलाते हुए पकड़े जाने पर कृषि विभाग से मिलने वाले अनुदान से भी वंचित कर दिया जाएगा।
पराली जलाते हुए पकड़े गये किसानो का नाम 
1-पृथ्वीपाल सजईकला खुर्द मुंगराबादशाहपुर।
2- राजनाथ काजीशाहपुर खुटहन। 3- कमला छंगापुर रामनगर।4- झरिहक तलाशपुर रामनगर।5- अमृता शुक्ला खोइरी बरसठी। 6- नासिर, खोइरी बरसठी। 7- रुस्तम, खोइरी बरसठी है।
उप परियोजना निदेशक (आत्मा) रमेश चंद्र यादव ने किसानों को सुझाव दिया है कि धान की कटाई स्ट्रा रीपर सहित हार्वेस्टर से ही कराएं। यह डंठल का भूसा बना देगी। पशुओं के लिए चारा भी मिल जाएगा। वहीं दूसरी सबसे बड़ी समस्या खेत में आग लगाने से भूमि की उर्वरा शक्ति नष्ट हो जाती है और मिट्टी के अंदर स्थित मित्र कीट नष्ट हो जाते है। इससे मृदा का संतुलन भी बिगड़ जाता है। 
उन्होंने बताया कि बगैर स्ट्रा रीपर के हार्वेस्टर मशीन से कटाई पर भी रोक लगाई गई है, जो भी हार्वेस्टर मशीन धारक बिना स्ट्रा रीपर के कटाई करते हुए पाया गया उसकी मशीन जब्त कर कानूनी कार्रवाई की जाएगी। उन्होंने बताया कि खेतों में डंठल जलाने से किसानों एवं पर्यावरण दोनों को क्षति होती है। 
मिट्टी में स्थित पोषक तत्व नष्ट हो जाते हैं, वहीं मिट्टी के अंदर पल रहे केंचुआ व अन्य मित्र कीटों की भी असमय मौत हो जाती है। केचुआ मिट्टी को भुरभुरा बनाकर मृदा को उर्वर बनाने का कार्य करता है।
कृषि उप निदेशक जय प्रकाश की माने तो एनजीटी ने फसल अवशेष जलाने की तस्वीर भेजी है। एडीओ एजी, एटीएम व बीटीएम से अक्षांश व देशांतर के माध्यम से सत्यापन कराकर किसानों को चिन्हित किया गया है। आरोपित किसानों के खिलाफ कार्रवाई के लिए संबंधित तहसीलों के एसडीएम को सूची भेज दी गई है। किसानों से आह्वान है कि वह खेतों के लाभदायक जीवाणुओं को बचाने और पर्यावरण संरक्षण के लिए पराली न जलाएं।

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