आखिर मनरेगा श्रमिको के मजदूरी का साढ़े 44 करोड़ रूपए का भुगतान अभी तक क्यों नहीं, जिम्मेदार कौन?


जौनपुर। जिले के करीब एक लाख मनरेगा श्रमिकों का दुर्गा पूजा व दशहरा का मेला तो फीका पड़ा ही अब दीपावली पर श्रमिकों की आस लगी है। वजह कि शासन से बजट न प्राप्त होने के कारण तीन माह से जनपद के करीब एक लाख मनरेगा श्रमिकों का 44.53 करोड़ रुपये भुगतान बाकी है। वहीं प्रशासन की तरफ से जोरों से स्कूलों में बाउंड्रीवाल, अमृत सरोवर, खेल मैदान का निर्माण आदि पर विशेष ध्यान केंद्रित है। श्रमिकों को मजदूरी न मिलने से जहां मजदूर परेशान है वहीं प्रधानों पर बोझ है।
जिले में मनरेगा कार्ड धारकों की संख्या चार लाख 57 हजार 282 हैं। जिसमें तीन लाख 24 हजार 31 कार्ड धारक सक्रिय है। समय पर मजदूरी दिलाने के लिए सक्रिय कार्ड धारकों के आधार कार्ड की फीडिंग कर दी गई। अभी तक करीब एक लाख मनरेगा श्रमिकों के खाते में 44 करोड़ 57 लाख 53 हजार 896 रुपये मजदूरी का पैसा नहीं आया है। आए दिन श्रमिक मजदूरी के लिए प्रधानों का चक्कर लगा रहे है। उधर प्रधान बकाए भुगतान के लिए विकास खंड कार्यालय जिला मुख्यालय का चक्कर काट रहे है। वहीं अब मनरेगा श्रमिक काम पर जाने के लिए कतराने लगे है। ग्राम पंचायतों में मनरेगा गरीबों को रोजगार उपलब्ध कराने व शहरों की ओर से हो रहे पलायन को रोकने का एक बड़ा माध्यम है। कोविड काल के दौरान लगे लाॅक डाउन में बड़े पैमाने पर बाहर से आए बेरोजगारों को मनरेगा ने रोजगार देकर बड़ा सहारा दिया था।
उपायुक्त मनरेगा की माने तो बीते तीन माह से मनरेगा श्रमिकों की करीब 44 करोड़ 57 लाख 53 हजार 896 रुपये मजदूरी का भुगतान बाधित है। दीपावली के पूर्व ही सभी श्रमिकों का भुगतान हो जाएगा। मनरेगा श्रमिक भी त्योहार उत्साह पूर्वक मना सके इसका विशेष ध्यान दिया जा रहा है।

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