आज कांग्रेस की स्थिति है कि जीत के भी हार जाती है, देश के छ: राज्यों का जाने हाल



कपिल देव मौर्य 
भारत की सबसे बड़ी और पुरानी राजनैतिक पार्टी कांग्रेस मोदी सरकार के आने के बाद से ही संकट में हैं। कांग्रेस का लगभग हर राज्य से सूपड़ा साफ़ होता जा रहा है। जिन राज्यों में जनता उन्हें मत देकर सत्ता तक लेकर आई, वहां भीं उनका कार्यकाल पूरा होने से पहले ही तख्ता पलट हो गया। हालाँकि कांग्रेस बार-बार सरकार गिराने की साजिशों का आरोप भाजपा पर लगाती रही हैं लेकिन अपने दल के विधायक नेताओं की बगावत और कमजोरियों के कारण ही कांग्रेस अब तक भारत के छ राज्यों में जीत के भी हार गई।

राजस्थान में गहलोत सरकार पर संकट

राजस्थान में गहलोत सरकार अंदरूनी कलह के चलते संकट में हैं। उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट के बगावत के बाद उन्हें राज्य कांग्रेस अध्यक्ष पद से हटा दिया गया। उपमुख्यमंत्री का पद भी छीन लिया गया। सचिन पायलट के समर्थक विधायक सरकार के खिलाफ हो गए हैं। ऐसे में अगर सचिन पायलट के साथ विधायकों ने इस्तीफा दे दिया तो गहलोत सरकार के पास बहुमत से कम विधायक बचेंगे। इसका फायदा अगर भाजपा ने उठाया तो कांग्रेस की सरकार गिर जायेगी।
6 राज्य जहां कांग्रेस का तख्तापलट

मध्य प्रदेश में सिंधिया की बगावत ने गिराई थी कमलनाथ सरकार

ऐसे ही माहौल कुछ महीने पहले मध्य प्रदेश में देखने को मिलता था, जब ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कांग्रेस से इस्तीफा दिया था, उनके साथ 22 विधायकों ने पार्टी छोड़ दी थी और सीएम कमलनाथ फ्लोर टेस्ट में महंत साबित नहीं कर सके और भाजपा को बनी बनाई सरकार मिल गयी। सिंधिया और कई दिग्गज कांग्रेसी नेता भाजपा में शामिल हो गए।


कर्नाटक में विपक्षी एकता की जीत के बाद भी गिर गयी सरकार

कर्नाटक में जब कांग्रेस ने जेडीएस के मिलकर सरकार बनाई और एचडी कुमारस्वामी ने मंच से सीएम पद की शपथ ली तो भाजपा के खिलाफ लगभग सभी बड़े विपक्षी दल एक साथ नजर आये। हालंकि ये एकता ज्यादा दिन टिकी नहीं और अपने विधायकों को बचाने की लाख कोशिशों के बाद जब फ्लोर टेस्ट हुआ तो कांग्रेस जेडीएस का गठबंधन फेल हो गया। इस साथ 17 विधायकों ने कांग्रेस का साथ छोड़ दिया और भाजपा की येदियुरप्पा सरकार सत्ता में आ गयी।

मेघालय में बड़ी जीत के बाद भी कांग्रेस नहीं पहुँच सकी सत्ता तक

इसके पहले साल 2018 में मेघालय में विधानसभा चुनाव के दौरान भाजपा की बुरी तरह हार हुई थी, जनता ने कांग्रेस को 21 सीटों पर जीत दिला कर मेघायल की सियासत तक पहुँचाया लेकिन कांग्रेस इसे संभाल न सकी। भाजपा ने विधानसभा में सिर्फ दो सीट जीतने के बावजूद भी अन्य दलों से गठबंधन कर सरकार बना ली।

गोवा की सत्ता से ऐसे कांग्रेस हो गयी बेदखल

साल 2017 विधानसभा चुनाव में कांग्रेस गोवा की सबसे बड़ी पार्टी बनी, लेकिन जब तक सरकार बनाने का दावा करती भाजपा नाक के नीचे से उनकी जीत को छीन कर ले गयी। दरअसल, गोवा की 40 सदस्यीय विधानसभा में कांग्रेस ने 17 सीटों पर जीत दर्ज करवाई, सरकार बनाने के लिए चार विधायकों की जरूरत थी। भाजपा के पास 13 सीटें थीं, इसके बावजूद उसने दो क्षेत्रीय दलों के समर्थन में कांग्रेस से पहले सरकार बनाने की दावेदारी पेश कर दी और कांग्रेस जीती हुई बाजी हार गई।

मणिपुर में कांग्रेस के मुंह में आई खुराक भाजपा ले गयी

कांग्रेस ने साल 2017 में मणिपुर विधानसभा चुनाव में भी सबसे ज्यादा सीटों 28 सीटों पर कब्जा किया लेकिन सरकार बनाने के लिए अन्य क्षेत्रीय दलों का समर्थन नहीं प्राप्त कर सकी, वहीं भाजपा ने एन बिरेन सिंह को सीएम का चेहरा करते हुए क्षेत्रीय दलों को अपने पक्ष में कर लिया और यहां भी कांग्रेस जीतते जीतते हार गयी।

अरुणाचल में कांग्रेस को 43 विधायकों ने एक साथ दिया झटका

सबसे पहले कांग्रेस का तख्ता पलट हुआ था साल 2016 अरुणाचल प्रदेश में। कांग्रेस के विधायकों ने फिर कांग्रेस को देखा दिया और एक साथ 43 विधायक पार्टी छोड़ कर पेमा खांडू के साथ पार्टी पीपुल्स पार्टी ऑफ अरुणाचल (PPA) में शामिल हो गए। बाद में खांडू पीपीए छोड़कर अपने समर्थक 33 विधायकों के साथ बीजेपी में शामिल हो गए और भाजपा ने यहां भी कांग्रेस की बनी बनाई सरकार गिरा दी।

 

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