मल्हनी उपचुनावः एक सवाल जीत किसकी जनता अथवा सत्ता की ?



जौनपुर।  मल्हनी विधानसभा के उप चुनाव में सरकारी मशीनरी का खेल शुरू हो गया है। जिससे इस बात की पुष्टि होने लगी है कि सरकार के इशारे पर निष्पक्ष चुनाव की संभावना कम होती जा रही है। सरकारी मशीनरी द्वारा सत्ता पक्ष को हर तरह की अनियमितता एवं आचार संहिता के उल्लंघन की छूट तो विपक्षी  प्रत्याशीयों पर विधिक कार्यवाही सरकारी मशीनरी के दुरुपयोग के आशंका की पुष्टि करता है। आयोग द्वारा निष्पक्ष चुनाव कराने के लिए भेजे गए अधिकारी क्यों आंख कान बन्द किये हुए हैं यह एक बड़ा एवं गम्भीर सवाल खड़ा हो गया है। 
यहाँ बतादे कि बीते दिवस 23अक्टूबर  को पुलिस विभाग द्वारा जारी विज्ञप्ति के जरिए बताया गया कि मल्हनी विधानसभा क्षेत्र के गांव में चौपाल लगाने वाले पांच लोगों के खिलाफ आचार संहिता के उल्लंघन का मुकदमा दर्ज किया गया है चौपाल लगाने वाले लोग निर्दल प्रत्याशी धनन्जय सिंह के पक्ष में बात कर रहे थे। उसी दिन सपा कार्यालय पर खड़ी 11 मोटरसाइकिलो का चालान आचार संहिता के उल्लंघन के आरोप में बक्शा पुलिस ने किया ।इतना ही नहीं 24अक्टूबर को भी बक्शा और सिकरारा पुलिस ने जिसके खिलाफ आचार संहिता के उल्लंघन की कार्यवाही किया है वे सभी भाजपा के खिलाफ चुनाव लड़ रहे प्रत्याशियों के समर्थक रहे हैं। 
वही पर भाजपा ने आचार संहिता का उल्लंघन करते हुए यादवेश इन्टर कालेज में अपना केन्द्रीय चुनाव कार्यालय खोला जिसे प्रशासन ने आचर संहिता का उल्लंघन मान कर बन्द तो करा दिया लेकिन कार्यालय खोलने वाले के खिलाफ मुकदमा नहीं दर्ज किया। भाजपा प्रत्याशी सहित समर्थक वोटों की खरीद करते मिले फोटो वायरल हुईं लेकिन कोई कार्यवाही नहीं की गयी। आयोग के नियम में है चुनाव वाले क्षेत्र में कोई मंत्री सरकारी सेवा का उपभोग नहीं कर सकता है।  लेकिन यहाँ तो मल्हनी विधानसभा में सरकार के मंत्री धड़ल्ले से पुलिस सुरक्षा  स्कोट के साथ हूटर बजाते भाजपा के प्रचार की कमान संभाले हुए हैं। न तो आयोग के अधिकारी ध्यान दे रहे हैं न ही जिले की सरकारी मशीनरी ही कोई कार्यवाही कर रही है। 
इस तरह उपरोक्त घटना क्रम इस बात का संकेत करता है कि उप चुनाव में निष्पक्षता  का बना रहना कठिन नजर आ रहा है। यूं तो हमारे सूत्र बता रहे है कि सरकारी मशीनरी के जरिए भी बड़ी गोपनीय तरीके से भाजपा  प्रत्याशी के पक्ष में वोट की मांग की जा रही है। इस तरह जो कुछ हो रहा है उसके पीछे सरकार के शीर्ष नेतृत्व की भूमिका का संकेत मिल रहा है। हलांकि की जनता भी सरकार को जबाब देने का संकल्प ले चुकी है अब देखना यह है कि जीत किसकी होती है। लोकतंत्र और जनता की अथवा सत्ता और सरकार की ? इस यक्ष प्रश्न का जबाब गणना के बाद ही स्पष्ट हो सकता है। 

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