गोमती के तट पर इस वर्ष नहीं होगी छठी मईया की पूजा, नहीं होंगे कोई कार्यक्रम



जौनपुर।  गोमती नदी के तट पर इस बार “उगा हो सुरुज देव अरघ के बेरिया ” की स्वर गूंज से छठ व्रतियों का उत्साह बढ़ाने के लिए लोक कलाकार मौजूद नहीं होंगे। इस बार पहले की तरह बड़ा आयोजन भी नहीं होगा। इसकी वजह कोरोना वायरस का ग्रहण है। कोरोना महामारी के कारण इस बार गोमती नदी के तट पर पिछले कई सालों से हो रही पूजा इस वर्ष नहीं होगी।   कई समाज सेवी एवं सामाजिक संस्थाये इसके आयोजन की भागीदारी होती रही लेकिन कोरोना को देखते हुए सांस्कृतिक आयोजन नहीं कराया जा रहा है। छठ घाट पर भी लोग कोरोना प्रोटोकॉल का पालन कर ही जा सकेंगे। ऐसे में बेहतर होगा कि इस बार लोग छठ पूजा अपने घर व पार्क में ही करें। जहां कम से कम लोग शारीरिक दूरी नियम का पालन कर पूजा कर सकेंगे। ऐसा सरकार का निर्देश जारी हुआ है। 
 बताया जाता है कि गोमती नदी के तट पर यहाँ उत्तर प्रदेश में पूजा की शुरुआत 1984 में हुई थी । इसके बाद यहाँ जनपद में बड़े स्तर पर सदभावना पुल के पास स्थित विसर्जन घाट, हनुमान घाट, गोपी घाट, शिव घाट सहित आदि आस पास के घाटों पर समाज सेवी संस्थाओं द्वारा  मिलकर भव्य कार्यक्रम का आयोजन होने लगा था।  जिससे बड़ी संख्या में कालाकारों द्वारा 18 घण्टे तक सांस्कृतिक कार्य क्रम एवं समाजिक व राजनैतिक सहित समाज के हर वर्ग के लोग लाखों की संख्या में भाग लेने लगे।
इस कार्य क्रम मे कई बार कठिनाई भी आई छठ पूजा लक्ष्मण मेला में न हो पिछली सरकारो न रोक लगाई ,छठ घाट को तोड़ा भी गया । छठ पूजा की लड़ाई हाईकोर्ट तक लड़ी गई और छठ पूजा के आयोजन होते रहे। सुंदरीकरण के दौरान भी छठ घाट तोड़े गए लेकिन पूजा कार्यक्रम होते रहे। इस बार यह पहला मौका है कि कोरोना संक्रमण के कारण छठी मइया की पूजा गोमती तट पर इस साल नहीं होगा ।
छठ पूजा अपने परिवार की सुख शांति, स्वस्थ्य ऊर्जावान एवं दीर्घायु के लिए महिलायें करती है।इस पवित्र. पर्व में साठी के चावल का विशेष महत्व है। सभी मौसमी फल जैसे सरीफा केला, अमरुद, सेव, अनन्नास, सूथनी हल्दी, अदरक, गन्ना, आदि। प्रयोग किया जाता है मिट्टी के बने कोशी जिसमे 6- 12- 24- दिये लगे होते है सारे फलो को रख कर कोशी भरा जाता है। इस पूजा मे सभी पूजन सामग्री को डाला मे रख कर किया जाता है इस लिए इसको डाला छठ भी कहते है। नदी के जल में खड़ी होकर महिलायें सुबह शाम अर्घ देकर छठी मइया की पूजा करते हुए अपने परिवार के सुख शांति की कामना करती है। सुबह शाम पूजा का दृश्य मनोहारी एवं अति सुन्दर नजारा देखने को मिलता है जो कोरोना के चलते इस वर्ष सायद संभव नहीं हो सकेगा। 

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