पंचायत चुनावः चुनाव लड़ने के लिए हर हथकंडे अपना रहे गाँव के नेता,अन्तर्जातीय विवाह करने से परहेज नहीं



नये आरक्षण की सूची जारी होते ही बदली सियासत आरक्षित वर्ग में कर रहे हैं शादियां,जाने क्या है मामला  


गाँव की सरकार पर कब्जा जमाने हेतु पंचायत चुनाव में आने के लिए अब लोग नया फार्मूला खोजते नजर आ रहें है आरक्षण के अनुसार शादियां तक करने से परहेज नहीं है जी हां ऐसा मामला प्रदेश के देवरिया जिले में सामने आया है। यहां नए सिरे से आरक्षण सूची जारी होने के बाद गांव की सियासत बदल गई है। आरक्षण के कारण चुनाव से वंचित न हो, इसका भी उपाय संभावित कुछ प्रत्याशी तलाश रहे है।
उत्तर प्रदेश के देवरिया जिले में एक हैरान करने वाला सामने आया है। यहां नए सिरे से आरक्षण सूची जारी होने के बाद गांव की सियासत बदल गई है। आरक्षण के कारण चुनाव से वंचित न हो, इसका भी उपाय संभावित कुछ प्रत्याशी तलाश रहे है।
वहीं तरकुलवा विकास खंड के एक गांव निवासी व्यक्ति ने गांव का प्रधान पद पिछड़ी जाति के लिए आरक्षित हुआ तो उसने बहू को प्रधान का चुनाव लड़ाने के लिए बेटे की पिछड़ी जाति में शादी कर दी। ताकि बहू को चुनाव लड़ाया जा सके। इसको लेकर क्षेत्र में चर्चा जोर शोर से हो रही है।
विकास खंड के एक गांव वर्ष 2015 में महिला के लिए आरक्षित था। उस समय इस गांव में प्रधान के लिए जो प्रत्याशी चुनाव मैदान में रहे हैं। वह इस बार भी चुनाव लड़ने की मंशा रखे हुए हैं। पिछले सप्ताह अनंतिम आरक्षण सूची जारी होने पर इस गांव का प्रधान पद पिछड़ी वर्ग के लिए आरक्षित हो गया।
इसके कारण सामान्य वर्ग के लोग चुनाव नहीं लड़ सकते है। इसके बाद एक शख्स ने इसका तोड़ निकालते हुए उसने पिछड़ी सीट पर लड़ने के लिए मंगलवार को अपने बेटे की शादी पिछड़ी जाति की एक युवती से कर दी। यह शादी लड़की से निकाह नामे के साथ कराया। शादी होते ही खबर पूरे क्षेत्र में फैल गई।
ठीक इसी तरह का एक और मामला विकास खंड से भी सामने आया है। यहां ब्लाक प्रमुख ओबीसी आरक्षित वर्ग में हुआ है। इसके कारण आरक्षण एक सामान्य वर्ग की शादी दूसरी गैर जाति में हुई हैं। जिसके क्षेत्र पंचायत के चुनाव में आने की चर्चा है।हीं तरकुलवा विकास खंड के एक गांव निवासी व्यक्ति ने गांव का प्रधान पद पिछड़ी जाति के लिए आरक्षित हुआ तो उसने बहू को प्रधान का चुनाव लड़ाने के लिए बेटे की पिछड़ी जाति में शादी कर दी। ताकि बहू को चुनाव लड़ाया जा सके। इसको लेकर क्षेत्र में चर्चा जोर शोर से हो रही है।
विकास खंड के एक गांव वर्ष 2015 में महिला के लिए आरक्षित था। उस समय इस गांव में प्रधान के लिए जो प्रत्याशी चुनाव मैदान में रहे हैं। वह इस बार भी चुनाव लड़ने की मंशा रखे हुए हैं। पिछले सप्ताह अनंतिम आरक्षण सूची जारी होने पर इस गांव का प्रधान पद पिछड़ी वर्ग के लिए आरक्षित हो गया।
इसके कारण सामान्य वर्ग के लोग चुनाव नहीं लड़ सकते है। इसके बाद एक शख्स ने इसका तोड़ निकालते हुए उसने पिछड़ी सीट पर लड़ने के लिए मंगलवार को अपने बेटे की शादी पिछड़ी जाति की एक युवती से कर दी। यह शादी लड़की से निकाह नामे के साथ कराया। शादी होते ही खबर पूरे क्षेत्र में फैल गई।
ठीक इसी तरह का एक और मामला विकास खंड से भी सामने आया है। यहां ब्लाक प्रमुख ओबीसी आरक्षित वर्ग में हुआ है। इसके कारण आरक्षण एक सामान्य वर्ग की शादी दूसरी गैर जाति में हुई हैं। जिसके क्षेत्र पंचायत के चुनाव में आने की चर्चा है।

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