एथिकल हैकिंग को बनाएं चमकदार करियर, कमाएं मोटा मुनाफाः डा.मयंक


अशोका इंस्टीट्यूट  में तीन दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय सेमिनार “टेक यात्रा-2022” का समापन

वाराणसी। अशोका इंस्टीट्यूट आफ टेक्नालाजी एंड मैनेजमेंट में आयोजित तीन दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय सेमिनार “टेक यात्रा-2022” के आखिरी दिन काशी हिन्दू विश्वविद्यालय (बीएचयू) के कंप्यूटर साइंस विभाग में एथिकल हैकिंग विशेषज्ञ डा. मयंक स्वर्णकार ने कहा कि समूची दुनिया में भारतीय हैकर्स का दबदबा बढ़ रहा है। साइबर एक्सपर्ट के रूप में पहचाने जाने वाले बड़ी तदाद में एथिकल हैकर्स कानूनी तौर पर मोटी कमाई कर रहे हैं। एथिकल हैकिंग एक पाजिटिव हैकिंग है, जो किसी भी संस्था को बुरे हैकरों से बचाने का काम करती है। जहां भी इंटरनेट है, वहां हैकिंग है और स्कैम संभव है। एथिकल हैकिंग के क्षेत्र में स्टूडेंट्स अपना करियर चमकदार बना सकते हैं।
अशोका इंस्टीट्यूट के स्टूडेंट्स को संबोधित करते हुए डा. मयंक ने कहा कि आमतौर पर युवाओं के पास काफी समय होता है और बहुत कुछ नया जानने की इच्छा भी होती है। साइबर हैकिंग उनके लिए रोमांच की तरह होता है। बहुत से यूथ हैकिंग के जरिये दोस्त का फ़ेसबुक अथवा व्हाट्सएप हैक कर उनके सभी मैसेज पढ़ने के लिए हैकिंग सीखने लग जाते हैं। उन्होंने कहा कि हैकिंग के ज़रिए जब बग बाउंटी का काम करते हैं तो आपको ईनाम का पैसा तो मिलता है, पहचान भी मिलती है। पूरी दुनिया में जितने बग बाउंटी हैकर्स हैं उनमें से अधिकतर 23 फीसदी भारत में हैं। इनमें से 90 फीसदी हैकर्स युवा हैं। हैकरों में दो तिहाई की उम्र 18 से 29 साल के बीच है। उन्होंने कहा कि हैकिंग का दुरुपयोग कतई नहीं करना चाहिए। हैकर चाहे कितनी भी कोशिश करें, ऐसा संभव नहीं है कि वो अपने पीछे सबूत न छोड़े। अगर कोई हैकिंग का दुरुपयोग करता है तो उसका पकड़ा जाना तय होता है। अगर इससे सीखें तो बेहतर हैकर बनेंगे और आखिर में आपकी अपनी समझ ही आपको ग़लत रास्ते पर जाने से रोकेगी। 
प्रो.स्वर्णकार ने कहा कि टेक इंडस्ट्री में बग की पहचान पर इनामी रकम देने का चलन नया है, लेकिन अब इनाम की रकम बढ़ रही है क्योंकि संस्थाएं अपने सुरक्षा को बेहतर करना चाहती हैं। साइबर एक्सपर्ट वेब कोड की कमी का पता लगाते हैं और इनाम जीतते हैं। इस काम के लिए उन्हें हज़ारों डॉलर की रकम मिलती है, यह एक तरह से इथिकल हैकरों के लिए बड़ी इनसेंटिव होती है। इस तरह की इनामी रकम ही आमदनी का स्रोत होता है। यह एक तरह से फन भी है और चुनौतीपूर्ण काम भी। इसके लिए काफ़ी मेहनत करनी होती है। आईटी सेक्टर की कंपनियां इस बात को समझ रही है कि अगर अभी पर्याप्त क़दम नहीं उठाया तो किसी भी कमी के चलते हैकिंग के संभावित हमले बढ़ सकते हैं। इससे कंपनी के डेटा चोरी होंगे, वित्तीय नुकसान होगा और कंपनी की छवि भी धूमिल होगी। साइबर सिक्यूरिटी का क्षेत्र परंपरागत तौर पर पुरुषों के दबदबे वाला क्षेत्र रहा है,  लेकिन इस क्षेत्र में महिला हैकर्स भी आगे बढ़ रही हैं। युक्रेन और रूस में एथिकल हैकर्स के लड़ने का उदाहरण देते हुए कहा कि जब कभी दो देशों में विवाद छिड़ता है अथवा लड़ाई होती है तो  इंटरनेट पर भी लड़ाई शुरू हो जाती है। दुश्मन देश अपने विरोधी देश का डाटा निकलाने और गलत सूचनाओं का प्रसारण, डाटा प्लान की चोरी और सुरक्षा संस्थानों के इंटरनेट व डाटा को हैक करना शुरू कर देते हैं। उन्होंने यह भी कहा कि मेरे समझ से एवीएम को हैक नहीं किया जा सकता, क्योंकि यह एलोन मशीन है। पैगासस जासूसी कांड का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि मोबाइल में बग भेजकर थर्ड पार्टी के बीच में आकर बातचीत सुनी जा सकती है और टेप किया जा सकता है। किसी भी चैट, आकड़ों को लीक किया जा सकता है। इन दिनों हर कोई टेक्नाजाली यूज कर रहा है, लेकिन ज्यादातर लोगों को इसकी बेसिक जानकारी नहीं होती है। यही वजह है कि मामूली ज्ञान रखने वाले भी स्कैम का धंधा शुरू कर लोगों को ठगना शुरू कर देते हैं।
मोबाइल हैकिंग से बचने की सलाह देते हुए डा.मयंक ने कहा कि किसी भी क्यूआर कोड को स्कैन न करें। क्यूआर कोड से पैसा नहीं आता, सिर्फ भेजा जाता है। मोबाइल पर लाटरी न खेलें और न ही ओटीपी का लेनदेन न करें। कोई भी बैंक और अथवा आफिस आपसे ओटीपी या बैंक एकाउंट नंबर नहीं पूछता। बैंक का कोई भी काम मोबाइल के जरिये नहीं होता, इसलिए किसी को भी अपने मोबाइल की गोपनीय सूचनाएं नहीं देनी चाहिए। मोबाइल पर हैकिंग से बचने का एक मात्र उपाय यह भी है कि जब जरूरत न हो मोबाइल का डाटा बंद रखें। केएनआईटी सुल्तानपुर के एसोसिएट प्रोफेसर डा.बिंदेश्वर सिंह ने शोध में अप्टिमाइजेशन टेक्नीक का महत्व बताते हुए कहा कि यूथ इनोवेशन पर काम करें। इनोवेशन करने के लिए गहन शोध की जरूरत पड़ती है।
सेमिनार में अशोका इंस्टीट्यूट के चेयरमैन अंकित मौर्य और वाइस चेयरमैन अमित मौर्य ने देश-विदेश से आए इंफार्मेशन टेक्नालाजी के विशेषज्ञों का स्वागत किया। निदेशक डा.सारिका श्रीवास्तव ने अतिथियों का आभार व्यक्त किया। कार्यक्रम का संचालन प्रोफेसर डा.वंदना दुबे, डा.प्रीति सिंह, डा. सना फातिमा ने किया। इस अवसर पर अशोका इंस्टीट्यूट के फार्मेसी विभाग के प्रिंसिपल डा.बृजेश सिंह, अशोका स्कूल आफ बिजनेस के प्रिंसिपल सीपी मल्ल, अरविंद कुमार, कविता पटेल, अर्जुन मुखर्जी, गौरव ओझा, सोनी ओझा, अंकुर श्रीवास्तव, मनीष कुमार, आकाश श्रीवास्तव समेत बड़ी संख्या में शिक्षक एवं स्टूडेंट्स मौजूद रहे।

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