पेपर लीक मामले में सीम और गृह मंत्री से हस्तक्षेप की मांग, पत्रकार अब आन्दोलन की राह पर


पेपर लीक मामले में पत्रकारों की गिरफ्तारी का चौतरफा विरोध तेज हो गया है। अखिल भारतीय पत्रकार सुरक्षा समिति ने रविवार को मुख्यमंत्री को पत्र भेजकर मामले की निष्पक्ष जांच कराने की मांग की। ऐसा न होने पर बलिया प्रशासन के खिलाफ पूरे प्रदेश में आंदोलन शुरू करने का एलान किया।
समिति के प्रदेश अध्यक्ष अजय प्रताप नारायण सिंह ने कहा कि पेपर लीक मामले में पत्रकारों को घसीटना लोकतंत्र पर हमला है। पत्रकार का काम खबरों को उजागर करना है। अगर बलिया के पत्रकारों ने पेपर लीक मामले को उजागर किया तो क्या गुनाह कर दिया। वहीं, राष्ट्रीय सचिव सुनील चौधरी ने कहा कि यूपी में पत्रकारों की दशा दिन पर दिन दयनीय होती जा रही है। पत्रकारों की गिरफ्तारी मीडिया पर लगाम लगाने की कोशिश है। 
गिरफ्तार साथियों की रिहाई नहीं हुई तो प्रदेश भर में एक बड़ा आंदोलन खड़ा होगा। राष्ट्रीय प्रवक्ता मनोज सिंह ने प्रशासन की कार्रवाई को दुर्भावनापूर्ण बताते हुए गृह मंत्री अमित शाह और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से मामले में हस्तक्षेप की मांग की। कहा कि पत्रकारों को बलि का बकरा बनाया जा रहा है।
पेपर लीक मामले में पत्रकारों पर कार्रवाई से अधिवक्ता, प्रबुद्ध लोगों के अलावा विभिन्न राजनीतिक व सामाजिक संगठन भी लामबंद हो रहे हैं। बैरिया विधायक जयप्रकाश अंचल ने कहा कि पत्रकारों को गिरफ्तार कर जिला प्रशासन दहशत का माहौल तैयार करना चाहती है, ताकि फिर कोई उनकी नाकामियों को उजागर न करे। विधायक ने जल्द पत्रकारों के रिहाई की मांग की है। 
पूर्व विधायक सुरेंद्र सिंह ने कहा कि जिला प्रशासन अपनी नाकामी छिपाने के लिए पत्रकारों पर मुकदमा दर्ज कर लोकतंत्र का गला घोंट रहा है। पत्रकारों की इस लड़ाई में मैं आरपार के संघर्ष से पीछे नहीं हटूंगा। वरिष्ठ अधिवक्ता अजीत सिंह ने कहा कि सच्चाई उजागर करने वाले पत्रकारों की गिरफ्तारी निंदनीय है। तहसील बार एसोसिएशन के अध्यक्ष चंद्रशेखर यादव ने कहा कि पत्रकारों की जल्द रिहाई नहीं होती तो तहसील बार एसोसिएशन आंदोलन को बाध्य होगा। 
यूपी बोर्ड परीक्षा में पेपर लीक होने के कारण चर्चा में आए बलिया जिला प्रशासन और शिक्षा विभाग की कार्यप्रणाली पर लगातार सवाल उठ रहे हैं। अब माध्यमिक शिक्षक संघ के प्रादेशिक उपाध्यक्ष विजय कुमार सिंह ने परीक्षा कराने की जिम्मेदारी निभाने वाले अफसरों पर कई गंभीर आरोप लगाए हैं। उनका दावा है कि नकल के खेल में प्रशासन और विभाग के कई अफसरों और कर्मचारियों की मिलीभगत है।
शिक्षक नेता ने कहा कि बलिया में नकल का खेल बहुत पहले से होता आ रहा है। यहां पूरा सिस्टम दूषित हो गया है। रसड़ा और सीयर क्षेत्र के वित्तविहीन विद्यालयों में नकल का व्यापार होता रहा है। इसमें प्रबंधक और प्रधानाचार्यों के अलावा विभागीय अधिकारी भी समान रूप से दोषी हैं। लाखों रुपये खर्च कर केंद्र बने विद्यालय पर्चे खोलकर, कॉपी लिखकर धड़ल्ले से पैसा कमा रहे हैं। केंद्र के निरीक्षण में जो भी अफसर जाते हैं तो उनकी खातिरदारी होती है। 
डीआईओएस बृजेश मिश्र ने रकम लेकर कई ऐसे वित्तविहीन विद्यालयों को केंद्र बनाया है, जहां न तो मानक के अनुसार भवन है और न फर्नीचर सहित अन्य सुविधाएं। जिले में 91 सवित्त विद्यालय हैं, जबकि उनसे पांच गुना वित्तविहीन विद्यालय। केंद्र बनाने में भी राजकीय और सवित्त को छोड़कर वित्तविहीन को वरीयता देना अफसरों की मंशा को दर्शाता है। इन सबके बावजूद प्रशासन अपनी कमियों को छिपाने के लिए पत्रकारों पर मुकदमे दर्ज कर रहा है, जो निंदनीय है।

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