सुप्रीम कोर्ट का आदेश: अब सभी थानों में लगे सीसीटीवी कैमरा



सुप्रीम कोर्ट ने एक जनहित याचिका का निस्तारण करते अपने अहम आदेश में कहा है कि सभी राज्य सरकारें और केंद्र शासित प्रदेश अपने सभी थानों में सीसीटीवी कैमरे लगाना सुनिश्चित करें। इनकी रिकॉर्डिंग को कम से कम एक साल तक के लिए सुरक्षित रखना होगा। सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस आरएफ नरीमन की अगुवाई वाली पीठ ने कहा कि अदालत के निर्देशों को अक्षरश: जल्द से जल्द लागू किया जाए। कोर्ट ने केंद्र सरकार को सीबीआई, एनआईए, ईडी आदि केंद्रीय एजेंसियों के कार्यालयों में भी सीसीटीवी कैमरे और रिकॉर्डिंग उपकरण लगाने का भी निर्देश दिया है। सुप्रीम कोर्ट की बेंच में जस्टिस केएम जोसेफ और जस्टिस अनिरुद्ध बोस भी शामिल थे।

सर्वोच्च अदालत ने ये निर्देश परमवीर सिंह सैनी द्वारा दायर जनहित याचिका का निपटारा करते हुए जारी किए। याचिका में बयानों की ऑडियो-वीडियो रिकॉर्डिंग और पुलिस थानों में सीसीटीवी कैमरे लगाने के बारे में मुद्दे उठाए गए थे। शीर्ष न्यायालय की पीठ ने निर्देश जारी करते हुए कहा कि चूंकि ये निर्देश भारत के संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत गारंटीकृत भारत के प्रत्येक नागरिक के मौलिक अधिकारों को आगे बढ़ाते हैं और चूंकि हमारे दिनांक 3 अप्रैल 2018 के पिछले आदेश के बाद ढ़ाई साल से अधिक समय तक इस संबंध में कुछ भी पर्याप्त नहीं किया गया है। इसलिए कार्यकारी/ प्रशासनिक/ पुलिस अधिकारियों को इस आदेश को ‘लेटर और आत्मा’ दोनों में जल्द से जल्द लागू करना है। अदालत ने कहा कि उसके आदेश के अनुपालन के लिए सटीक समय सीमा के साथ कार्य योजना पर प्रत्येक न्यायालय/केंद्र शासित प्रदेश के प्रमुख सचिव / कैबिनेट सचिव/गृह सचिव द्वारा शपथ पत्र दाखिल किया जाएगा। यह आज से छह सप्ताह की अवधि के भीतर किया जाना है।


यह सुनिश्चित करने के लिए कि किसी पुलिस स्टेशन का कोई हिस्सा खुला न बचे, यह तय करना अनिवार्य है कि सभी प्रवेश और निकास बिंदुओं पर सीसीटीवी कैमरे लगे हों।थाने का मुख्य द्वार, सभी लॉक-अप, सभी गलियारे, लॉबी और रिसेप्शन क्षेत्र, सभी बरामदे और आउटहाउस, इंस्पेक्टर का कमरा, सब-इंस्पेक्टर का कमरा, लॉक-अप रूम के बाहर के क्षेत्र, स्टेशन हॉल, पुलिस स्टेशन परिसर के सामने, टॉयलेट-वाशरूम के बाहर, ड्यूटी ऑफिसर का कमरा, थाने का पिछला हिस्सा आदि में सीसीटीवी कैमरे लगेंगे।

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