डा मुनिराज शास्त्री के निधन से सामाजिक क्षेत्र से लेकर शिक्षा जगत को हुईं अपूर्णीय क्षति - डा लाल रत्नाकर



जौनपुर। शोषित एवं दलित सहित पिछड़ो के हितों के लिए आपने जीवन काल तक संघर्ष रत रहने वाले तथा विद्यार्थी जीवन से ही समाजवादी विचारधारा के समर्थक एक प्राचार्य के रूप में शिक्षा जगत में अलख जगाने वाले डा मुनिराज शास्त्री को कोरोना संक्रमण ने अपने आगोश में लेकर बीते 16 अप्रैल को अचानक काल के गाल में पहुंचा दिया है। उनके निधन से सामाजिक क्षेत्र से लेकर शिक्षा जगत को भारी अपूर्णीय क्षति हुई है। 
डॉ मनराज शास्त्री के प्रति अपनी शोक संवेदना व्यक्त करते हुए डा लाला रत्नाकर ने जानकारी दिया है कि डा शास्त्री जी का जन्म 1 जुलाई 1941 को जौनपुर जनपद के बटाऊबीर के पास स्थित सराय गुंजा गांव में हुआ । इनकी आरंभिक शिक्षा दीक्षा प्राइमरी स्कूल से शुरू होकर सल्तनत बहादुर इंटर कॉलेज से इंटर की परीक्षा के उपरांत इन्होंने अपनी स्नातक तक की पढ़ाई बदलापुर डिग्री कॉलेज से की, आगे की पढ़ाई के लिए इलाहाबाद विश्वविद्यालय गये और वहीं से इन्होंने संस्कृत विषय में एम ए और पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। तदुपरांत यह राजकीय महाविद्यालय की सेवा में इसलिए आ गए कि विश्वविद्यालयों में उस समय भी तमाम नियुक्तियों को लेकर के काबिलियत की वजह अन्य बहुत सारे कारण, कारण बन जाते थे। राजकीय महाविद्यालय से जब शाहगंज डिग्री कॉलेज के लिए प्रिंसिपल की पोस्ट विज्ञापित हुई तो उसके लिए इन्होंने विज्ञापन भरा और इनका चयन हो गया इन्होंने गन्ना कृषक महाविद्यालय शाहगंज में प्रिंसपल के रूप में कार्य करना आरंभ किया। 
ज्ञातव्य है कि शास्त्री जी जब विद्यार्थी थे तभी यह सामाजिक विचारधारा को लेकर के बहुत सशक्त और आने वाले दिनों में चौधरी चरण जैसे किसान नेता के संपर्क में आए और उनके सिद्धांतों को इन्होंने अपने जीवन में उतारने का प्रयास किया। इसी माध्यम श्री रामस्वरूप वर्मा के संपर्क में आए। बाबू जगदेव प्रसाद कुशवाहा के संपर्क में आए। इन सब के संपर्क में आने की वजह से आने की वजह से वह अर्जक संघ के प्रचारक के रूप में भी कार्य करने लगे तमाम शादी विवाह अर्जक पद्धति से उन्होंने संपन्न कराए।
इसके साथ लंबे समय तक अखिल भारतीय यादव महासभा की उत्तर प्रदेश इकाई के अध्यक्ष रहे और समाज के लिए बहुत बड़ा काम किया सेवा में निवृत्ति के उपरांत वह निरंतर शिक्षा के प्रचार प्रसार में लगे रहे और सांस्कृतिक साम्राज्यवाद के खिलाफ अभियान में सहयोग करते रहे।
सपा संरक्षक एवं पूर्व मुख्यमंत्री उप्र सरकार  मुलायम सिंह यादव जब राजनीति में शुरुआत कर रहे थे तो उन दिनों यह सारे लोग इलाहाबाद विश्वविद्यालय और शिक्षा जगत में समाजवादी आंदोलन को गति दे रहे थे जिससे मुलायम सिंह की विचारधारा के समर्थक होने के साथ-साथ उनके राजनीतिक आंदोलन में अनेकों तरह से सहयोग किए।
हालांकि इनके बहुत सारे साथी सपा सरकार के विभिन्न पदों पर विराजमान रहे लेकिन इन्होंने कभी भी किसी पद को हासिल करने की इच्छा जाहिर नहीं की और वह निरंतर निर्पेक्ष भाव से समाजवादी आंदोलन के हिमायती बने रहे यहां तक की जब से अखिलेश यादव समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष के रूप में काम कर रहे हैं तो उनके कामों की प्रशंसा और उसके प्रचार-प्रसार की हमेशा बात करते रहते रहे हैं, अखिलेश यादव से भविष्य की राजनीति की उन्हें बहुत बड़ी उम्मीद रही है उम्मीद है कि आने वाले दिनों में उनकी उम्मीद फलीभूत होगी।
ऐसे समाजवाद सच्चे सिपाही के निधन पर उनकी आत्मा की शांति के लिए ईश्वर से प्रार्थना है। 

Comments

Popular posts from this blog

धनंजय की जमानत के मामले में फैसला सुरक्षित, अगले सप्ताह आयेगा निर्णय

धनंजय सिंह को जौनपुर की जेल से बरेली भेजने की असली कहांनी क्या है,जानिए क्या है असली खेल

धनंजय सिंह को जौनपुर जेल से बरेली जेल भेजा गया