आखिर सपा ने जौनपुर में नयी कमेटी घोषित करने से अब तक परहेज क्यों कर रखा है?


जौनपुर। लोकसभा चुनाव धीरे धीरे नजदीक आ रहा है। समाजवादी पार्टी का नेतृत्व चुनाव जीतने के लिए दावा तो बड़े बड़े करते नजर आ रहे है। ऐसे में एक बड़ा सवाल खड़ा होता है कि संगठन विहीन जिलो में सपा कैसे भाजपा जैसे दल को शिकस्त दे पायेगी। जी हां हम बात कर रहे है दो संसदीय क्षेत्र वाले जनपद जौनपुर की जहां पर सपा जन प्रतिनिधियों आपसी विवाद एवं खींचतान के चलते विगत दो माह पूर्व भंग कर दी गई लेकिन भंग किए जाने के दो माह तक नयी कमेटी घोषित नहीं की जा सकी है। यदि कहा जाए कि वर्तमान में जौनपुर जनपद संगठन विहीन है तो अतिशयोक्ति नहीं होगा।
यहां बता दें कि सपा में जिलाध्यक्ष के रूप में लालबहादुर यादव के लम्बे कार्यकाल के बाद सपा ने 24 अप्रैल 23 को नये जिलाध्यक्ष की नियुक्ति डाॅ अवधनाथ पाल के रूप में कर दी गई इस नियुक्ति में जैसा कि पार्टी जन ही बताते है कि केराकत विधायक तुफानी सरोज की चली और डाॅ अवधनाथ पाल अध्यक्ष बन गये। जिला कमेटी गठन का जिम्मा श्री पाल को दे दिया गया। डाॅ पाल द्वारा बनायी गई कमेटी को लेकर जिले में पार्टी के दिग्गज नेताओ खासकर वर्तमान और पूर्व जन प्रतिनिधि गणो मे गुटबाजी ऐसी चली कि अधिकतम दो माह सात दिन बाद डाॅ अवधनाथ पाल सहित पूरी जिला कमेटी को प्रदेश अध्यक्ष ने 2 जुलाई 23 को भंग कर दिया। 
इसके बाद से आज तक जनपद में सपा का न तो कोई जिलाध्यक्ष है नहीं कोई जिला कमेटी है।ऐसे में देखने को मिला यह है कि सपा के जो कार्य संघर्ष के हो रहे है उसमें जनपद के तमाम दिग्गज नेता अथवा जिम्मेदार विधायक एक दम नजर नहीं आ रहे है। सपा आन्दोलन की धार कुन्द होती जा रही है।हलांकि निवर्तमान अध्यक्ष के रूप में डाॅ पाल कार्यक्रमो में भागीदारी जरूर कर रहे है लेकिन उनके नोटिस को सायद को नेता गम्भीरता पूर्वक नहीं ले रहा है। सपा के कार्यकर्ता भी एक जुट नहीं है। हां कुछ ऐसे भी तथा कथित नेता जरूर है जो चाटुकारिता करते है।
यहां एक बात और भी स्पष्ट करना जरूरी होगा कि डाॅ पाल इसके पहले जब अध्यक्ष पद का दायित्व पाये थे उस सपा भी सपा को बड़ी पराजय झेलनी पड़ी थी। दूसरी बार अध्यक्ष बने तो पहली परीक्षा के रूप में नगर निकाय चुनाव आ गया इसमें भी डाॅ पाल फेल ही हो गये। क्योंकि जिसे सपा का प्रत्याशी बनाया था वह खुद हिन्दू वाहिनी की सदस्य रही है ऐसा पार्टी जन ही बताते है। हां एक बात और भी है कि जब जब लालबहादुर यादव तथा राज बहादुर यादव सपा के जिलाध्यक्ष पद पर आसीन रहे सपा को जनपद में बड़ी सफलताएं मिली है।लेकिन जब जब डाॅ पाल जिलाध्यक्ष बने पार्टी को नुकसान ही हुआ है।
इन सब बातो के साथ सबसे बड़ा सवाल यह है कि राष्ट्रीय अध्यक्ष सपा लोक सभा चुनाव में बड़ी जीत का दावा कर रहे है जौनपुर कैसे फतह कर सकेंगे। वर्तमान परिस्थित को दृष्टिगत रखते हुए अपने आजमाये हुए सिपाहियों पर दाव क्यों नहीं लगा रहे है।ताकि समाजवादी पार्टी जनपद जौनपुर में अपना मजबूत प्रदर्शन कर सके। जिले के संगठन को घोषित करने के पीछे कारण चाहे जो हो लेकिन विलम्ब पार्टी हित में कतई नहीं माना जा रहा है। जब तक मजबूत और दमदार अध्यक्ष नहीं बनेगा तब तक पार्टी गुटबन्दी से बाहर नहीं निकल सकेगी ऐसा राजनैतिक समीक्षको का मानना है।

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