इंडिया गठबंधन: जुड़ने से पहले ही सपा - कांग्रेस में तल्खी, चिरकुट और बाप शब्दों तक पहुंची जुबानी जंग

मध्य प्रदेश में सीटों के मुद्दे पर सपा-कांग्रेस के बीच शुरू हुई तल्खी लगातार बढ़ती जा रही हैं। मध्य प्रदेश के कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ ने हिकारत के साथ जहां अखिलेश पर कटाक्ष किया, वहीं यूपी के कांग्रेस अध्यक्ष अजय राय ने सपा अध्यक्ष को लेकर कहा कि जो अपने पिता का सम्मान न कर सका, उससे क्या उम्मीद की जा सकती है। इस तल्खी का असर सबसे ज्यादा लोकसभा सीटों वाले यूपी में इंडिया गठबंधन पर पड़ना तय माना जा रहा है।
मध्य प्रदेश के विधानसभा चुनाव में सपा को छह सीटें देने के बारे में बातचीत इंडिया गठबंधन के मंच से शुरू हुई थी। सपा के प्रमुख महासचिव प्रो. रामगोपाल यादव और कांग्रेस के मध्य प्रदेश प्रभारी रणदीप सुरजेवाला ने वार्ता की कमान संभाली। इसके बाद सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव, कमलनाथ और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता दिग्विजय सिंह के बीच भी बातचीत हुई। बताते हैं कि तय हुआ था कि नवरात्र में जारी होने वाली कांग्रेस की पहली सूची में ही सपा प्रत्याशियों के भी नाम होंगे। लेकिन जब ऐसा नहीं हुआ तो अखिलेश ने कांग्रेस पर धोखा देने का आरोप लगाते हुए इस संबंध में बयान देने वाले यूपी के कांग्रेस अध्यक्ष अजय राय को चिरकुट तक कह डाला।
कांग्रेस की ओर से कमलनाथ और अजय राय के बयान आने के बाद अखिलेश ने फिर कहा है कि कमलनाथ को टिप्पणी करने से पहले सोचना चाहिए। वहीं, सपा प्रवक्ता फखरुल हसन ने अजय राय को सड़क छाप गुंडा तक कह डाला। मुलायम सिंह यादव के समय से ही सपा रायबरेली और अमेठी में लोकसभा प्रत्याशी नहीं उतारती रही है, क्योंकि यहां से गांधी परिवार के सदस्य चुनाव लड़ते हैं। सपा सूत्रों के मुताबिक, हालिया रार के बाद रायबरेली और अमेठी में भी प्रत्याशी की तलाश शुरू हो गई है। इस मुद्दे पर फीडबैक के लिए अखिलेश ने 25 अक्तूबर को अमेठी व रायबरेली के पार्टी पदाधिकारियों और विधायकों की बैठक बुलाई है। राजनीतिक विश्लेशक प्रो. संजय गुप्ता कहते हैं कि केंद्र में ताजपोशी का रास्ता यूपी से होकर ही गुजरता है। ऐसे में अगर यूपी में ही गठबंधन खटाई में पड़ा तो अन्य राज्यों में भी इसका कोई खास महत्व नहीं रह जाएगा।
कहीं सोची-समझी रणनीति तो नहीं
इंडिया के सूत्रों के मुताबिक, यूपी में कांग्रेस के नेता सपा के खिलाफ सोची-समझी रणनीति के तहत बोल रहे हैं, क्योंकि कांग्रेस नेतृत्व सपा के मुकाबले बसपा का साथ लेने को ज्यादा फायदेमंद मान रहा है। वहीं, जिस तरह से ओबीसी राजनीति पर कांग्रेस और उसके नेता राहुल गांधी आगे बढ़ रहे हैं, उससे सपा असहज है। सपा संस्थापक मुलायम सिंह भी कभी कांग्रेस को साथ लेने के पक्ष में नहीं रहे थे, क्योंकि यूपी में क्षेत्रीय दलों का उभार कांग्रेस की कीमत पर ही हुआ था।
तेलंगाना भी बन रहा रार की वजह
तेलंगाना में मुख्य लड़ाई कांग्रेस और मौजूदा सत्ताधारी दल भारत राष्ट्र समिति (बीआरएस) के बीच है, लेकिन वहां सपा बीआरएस के लिए प्रचार वाहन मुहैया करा रही है। अखिलेश और बीआरएस प्रमुख केसी राव के बीच अच्छे रिश्ते जगजाहिर हैं।
इंडिया गठबंधन में सपा के प्रतिनिधि व राज्यसभा सांसद जावेद अली खान कहते हैं कि कांग्रेस इंडिया का सबसे बड़ा घटक दल है। इसलिए यह कांग्रेस की प्राथमिक जिम्मेदारी है कि वह सबको साथ लेकर चले। यह नहीं भूलना चाहिए कि इंडिया के तमाम दल एनडीए में भी कभी न कभी रहे हैं, पर सपा अपने जन्म से लेकर आज तक भाजपा के विरोध में ही रही है। इसलिए हम इंडिया गठबंधन में भाजपा के खिलाफ सबसे ज्यादा भरोसेमंद दलों से एक हैं।
कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष अजय राय कहते हैं कि उन्होंने कभी भी सपा के किसी नेता के लिए असंसदीय भाषा का प्रयोग नहीं किया। लेकिन जो लोग (अखिलेश यादव) अपने पिता का सम्मान नहीं कर पाए, उनसे बेहतर भाषा की क्या उम्मीद की जाए। हमारी संस्कृति में पिता और गुरु को भगवान के समान माना गया है।

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