एक और सरकारी तेल कम्पनी का प्राइवेटाईजेशन करने की तैयारी में है सरकार



केंद्र सरकार अब एक और सरकरी कंपनी के निजीकरण की तैयारी में है. वित्‍त वर्ष 2020-21 के दौरान कच्‍चे तेल व प्राकृतिक गैस आउटपुट में कमी के बाद पेट्रोलियम मंत्रालय एक बार फिर ऑयल एंड नेचुरल गैस कॉरपोरेशन (ओएनजीसी) की कुछ हिस्‍सेदारी बेचने की तैयारी कर रही है. यह तीसरी बार है जब मोदी सरकार ओएनजीसी के ऑयल एंड गैस फील्‍ड्स और इन्‍फ्रास्‍ट्रक्‍चर के कुछ हिस्‍से को बेचकर उत्‍पादन बढ़ाने पर जोर देना चाहती है.
इसी महीने की शुरुआत में पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्रालय ने देश की इस सबसे बड़ तेल व गैस उत्‍पादक कंपनी को लेटर लिखकर कहा है कि वो अपने ऑयल फील्‍ड्स को प्राइवेट फर्म्‍स को बेच दे. इससे विदेशी पार्टनर्स को भी KG बेसिन में मौका मिलेगा. मंत्रालय की ओर से भेजे गए इस लेटर में कुछ मौजूदा इन्‍फ्रास्‍ट्रक्‍चर के साथ-साथ ड्रिलिंग व अन्‍य सेवाओं को भी मोनेटाइज करने की बात कही गई है. पेट्रोलियम मंत्रालय की ओर से ओएनजीसी चेयरमैन को भेजे गए इस लेटर में 7 बिंदुओं का जिक्र है.

अगले दो साल में उत्‍पादन बढ़ाने का लक्ष्‍य

सरकार चाहती है कि ओएनजीसी वित्‍त वर्ष 2023-24 तक अपने तेल व गैस उत्‍पादन में एक तिहाई इजाफ करे. सरकार की रणनीति के तहत ओएनजीसी से पश्चिमी ऑफशोर स्थित पन्‍ना-मुक्‍त और रत्‍न आर-सीरीज और ऑनशोर स्‍थ‍ित गंधार फील्‍ड को प्रावइेट हाथों बेचने को कहा गया है. इस प्‍लान में नॉन-परफॉर्मिंग मार्जिनल फील्‍ड्स के निजीकरण का भी प्‍लान है.

कई अलग ईकाईयां बनाने की भी तैयारी

मंत्रालय चाहता है कि ओएनजीसी गैस से भरपूर KG-DWN-98/2 ब्‍लॉक में वैश्विक कंपनियों को मौका दे ताकि अगले वित्‍त वर्ष आउटपुट में इजाफा हो सके. साथ ही ड्रिलिंग, तेल कुओं की सर्विसिंग, लॉगिंग समेत डेटा प्रोसेसिंग को लेकर अलग से ईकाई के रूप में तैयार करने पर भी विचार करने को कहा गया है.

विनिवेश और निजीकरण के लिए पहले भी हो चुकी है कोशिश

इसके पहले साल 2017 में हाइड्रोकार्बन निदेशालय ने 15 फील्‍ड्स को निजीकरण के लिए चिन्हित किया था. इनमें कच्‍चे तेल का कुल रिज़व 791.‍2 मिलियन टन और गैस का 333.46 अरब क्‍युबिक मीटर का भंडार है. इसके ठीक एक साल बाद ओनएनजीसी के 149 छोटे व सीमांत स्‍तर के फील्‍ड्स को प्राइवेट हाथों सौंपने के लिए चिन्हित किया गया. उस वक्‍त इसका तर्क था कि इस कदम के बाद ओएनजीसी अपना पूरा फोकस बडे़ फील्‍ड्स पर ही कर सकेगी.
फरवरी 2019 को इस प्‍लान को कैबिनेट में पेश किया गया. उस दौरान सीमांत स्‍तर के 64 ऑयल फील्‍ड्स की नीलामी का फैसला किया गया. लेकिन इसके लिए जारी किए गए टेंडर को कुछ अच्‍छा रिस्‍पॉन्‍स नहीं मिला. अंतत: इसमें से 49 फील्‍ड्स को 3 साल तक कड़ी निगरानी रखने की शर्त के साथ रख लिया गया.

इस बार नीलामी की शर्तों में ढील दी जाएगी

अब इस बार ओएनजीसी को भेजे गए लेटर में कहा गया है कि कैबिनेट के फैसले के दो साल बीत चुके हैं और अभी तक विनिवेश और निजीकरण के लिए नॉन-परफॉर्मिंग फील्‍ड्स को चिन्हित नहीं किया गया है. इसमें यह भी कहा कि इस बार नीलामी की शर्तों में कुछ ढील दी जाए. जैसे – रॉयल्‍टी रेट कम करना, मार्केटिंग व प्राइसिंग की पूरी आजादी.

पिछले साल घटा कच्‍चे तेल का उत्‍पादन

दरअसल, सरकार यह भी चाहती है कि कच्‍चे तेल और गैस पर भारत की निर्भरता कम हो. मंत्रालय ने वित्‍त वर्ष 2021-24 तक घरेलू उत्‍पादन के लिए कच्‍चे तेल उत्‍पादन का लक्ष्‍य 4 करोड़ टन और प्राकृतिक गैस के उत्‍पादन का लक्ष्‍य 50 अरब क्‍यूबिक मीटर रखा है. वित्‍त वर्ष 2020-21 में ओएनजीसी ने 2.02 करोड़ टन कच्‍चे तेल का उत्‍पादन किया है. इसके पिछले वित्‍त वर्ष में यह 2.06 करोड़ टन था।

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