व्यवस्था के नाम पर शून्य स्वास्थ्य विभाग कर रहा मरीजों की उपेक्षायें,सरकार बेखबर


प्रदेश की सरकार स्वास्थ्य व्यवस्था ठीक करने का चाहे जितना भी दावा कर ले लेकिन उन दावों के सच की पोल तो बड़े बड़े मेडिकल कॉलेजो की व्यवस्था खोल कर रख दे रही है और सरकार है कि केवल बयानो के बाजीगरी का खेल करके आम जनमानस को गुमराह करने में जुटी है और ब्रांडिंग खुद करके अपनी पीठ थपथपा रही है। 
बीएचयू अस्पताल की इमरजेंसी का एक मामला प्रकाश में आया है। यहां पर एक मरीज स्ट्रेचर के अभाव में जमीन पर कराहता रहा और बगल से कई चिकित्सक, पैरामेडिकल स्टाफ गुजरते रहे, लेकिन सिस्टम से जुड़े लोगों की नजर नहीं पड़ी। कायाकल्प की वजह से पुरानी बिल्डिंग से सुपर स्पेशियलिटी ब्लॉक (एसएसबी) में इमरजेंसी शिफ्ट होने के बाद भी समस्या बरकरार है। बेहतर इलाज के लिए मरीजों को सुविधाओं की दरकार है।
इमरजेंसी में बेड का संकट तो बना ही है, जरूरत पड़ने पर स्ट्रेचर भी नहीं मिल रहे हैं। मजबूरन मरीजों को एसएसबी में इमरजेंसी के पास जमीन पर लेटना पड़ना पड़ रहा है। शनिवार दोपहर 12 बजे एसएसबी के बाहर ऐसा ही नजारा देखने को मिला। कई चिकित्सक, पैरामेडिकल स्टाफ सहित अन्य लोग इधर से गुजरे, लेकिन किसी की इन मरीजों पर नजर नहीं पड़ी।
अस्पताल प्रशासन की अनदेखी की वजह से मरीजों की जान पर बन आई है। इस तरह की स्थिति तब है जब इमरजेंसी में भी पर्चे की फीस 20 रुपये से बढ़ाकर 30 कर दी गई है। लोगों का कहना था कि अस्पताल ने फीस तो बढ़ा दी है। सुविधाएं क्यों नहीं बढ़ाई जाती है।
सुपर स्पेशियलिटी ब्लॉक की इमरजेंसी के गेट पर कुर्सी-मेज लगाकर एक कर्मचारी स्ट्रेचर, व्हील चेयर देने के लिए बैठा था। अन्य दिनों में यहां आठ से दस स्ट्रेचर दिखते थे, लेकिन शनिवार को स्थिति उलट थी। दोपहर 12 बजे चंदौली के बबूरी निवासी एक बुजुर्ग को लेकर परिजन पहुंचे। इमरजेंसी में पर्चा कटाकर परिजन चिकित्सक को दिखाने पहुंचे, बुजुर्ग चलने में असमर्थ थे।
परिजन हाथ में आधार कार्ड लेकर स्ट्रेचर लेने गए तो कर्मचारी ने स्ट्रेचर न होने की बात कही। देखते देखते दो-तीन और लोग वहां आ गए। कोई स्ट्रेचर मांग रहा था तो किसी को व्हीलचेयर की दरकार थी। कर्मचारी भी क्या करता, बस एक ही जवाब था, अभी है नहीं। वापस आने पर ही स्ट्रेचर मिल पाएंगे।
एसएसबी इमरजेंसी के बाहर एक कोने में तीन से चार स्ट्रेचर टूटे पड़े थे। किसी का पहिया टूटा था तो किसी की सीट ही खराब थी। इस तरह की स्थिति तब है जब इमरजेंसी में स्ट्रेचर पर भी मरीजों को भर्ती कर इलाज किया जा रहा है। शनिवार को एक बुजुर्ग मरीज को स्ट्रेचर की जगह व्हील चेयर पर ही ऑक्सीजन दिया गया। करीब घंटे भर बाद उसे ऑक्सीजन देकर वापस भेजा गया।

 

 

 


Comments

Popular posts from this blog

भाजपा ने फिर जारी की 111 लोक सभा क्षेत्रो के प्रत्याशियो की सूची, देखें

बसपा ने जारी किया 16 प्रत्याशीयों की सूची जानें कौन कहां से लड़ेगा लोकसभा का चुनाव

जौनपुर मूल के इस व्यापारी को उठा ले गए बदमाश,'जिंदा चाहिए तो 50 लाख भेजो',पुलिस ने रचा चक्रव्यूह और धर लिया