भाजपा नेता एवं अध्यक्ष केन्द्रीय उपभोक्ता सहकारी भंडार राम सिंह मौर्य के विरुद्ध संगीन धाराओ में मुकदमा दर्ज


जौनपुर। केन्द्रीय उपभोक्ता सहकारी भंडार लि. के अध्यक्ष पद पर आसीन भाजपा नेता राम सिंह मौर्य के खिलाफ अपर जिला सहकारी अधिकारी सदर की तहरीर पर थाना लाइन में धारा 154 दण्ड प्रक्रिया के तहत मुअसं 166 से धारा 419, 420, 467, 468 एवं 471 आईपीसी के तहत दिनांक 26 मई 22 को पंजीकृत कर विवेचना शुरू कर दी गयी। केन्द्रीय उपभोक्ता सहकारी भंडार के इतिहास में राम सिंह मौर्य पहले अध्यक्ष है जिनके उपर अपराधिक मुकदमा दर्ज हुआ है। 
यहां बता दें कि राम सिंह मौर्य केन्द्रीय उपभोक्ता सहकारी भंडार के अध्यक्ष की हैसियत से दीवानी न्यायालय सिविल जज जूनियर डिवीजन के न्यायालय में वर्षो से विचाराधीन मुकदमा जिला उपभोक्ता सहकारी समिति बनाम वशिष्ठ नरायन सिंह के वाद में अनाधिकृत रूप से सुलह समझौता करके केन्द्रीय उपभोक्ता सहकारी भंडार की सम्पत्ति को क्षति पहुंचाने का काम किया है। इसके खिलाफ केन्द्रीय उपभोक्ता सहकारी भंडार बोर्ड के सदस्यो द्वारा जिलाधिकारी के समक्ष शिकयती पत्र दिया गया। जिलाधिकारी ने जांच का आदेश ज्वाइंट मजिस्ट्रेट/ एसडीएम सदर हिमांशु नागपाल को दिया। ज्वाइंट मजिस्ट्रेट के आदेश पर एक जांच कमेटी बना कर अपर जिला सहकारी अधिकारी मुख्यालय और बदलापुर को जांच अधिकारी नामित कर दिया गया। 
जांच कमेटी ने जांच के दौरान राम सिंह मौर्य अध्यक्ष केन्द्रीय उपभोक्ता सहकारी भंडार को संस्था के हित के विपरीत संस्था की परसम्पत्तियों को क्षति पहुंचाने के लिए दोषी पाया। इतना ही नहीं संस्था का कार्यवाही रजिस्टर अनाधिकृत रूप से अपने पास रखते हुए उसमें ओवर राइटिंग और कूटरचना किया जाना पाया गया। जांच टीम ने अपनी रिपोर्ट ज्वाइंट मजिस्ट्रेट/ एसडीएम सदर को भेज दिया। जिसमें राम सिंह मौर्य को व्यक्तिगत रूप से उत्तरदायी मानते हुए उनके खिलाफ विभागीय और विधिक कार्यवाई के तहत सुसंगत धाराओ में मुकदमा दर्ज कराने की संस्तुति की गयी।
इसके बाद ज्वाइंट मजिस्ट्रेट हिमांशु नागपाल के आदेश के बाद विभाग ने सभी आरोपो के साथ थाना लाइन बाजार में तहरीर दे दिया। तमाम राजनैतिक दबाओ के बाद भी थाना प्रभारी लाइन बाजार ने राम सिंह मौर्य अध्यक्ष केन्द्रीय उपभोक्ता भंडार एवं भाजपा नेता के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर विवेचना शुरू कर दिया है।
पुलिस सूत्र के अनुसार उपरोक्त के विरुद्ध पंजीकृत मुकदमें ऐसी भी धाराएं लगी है जिसमें कम से कम दस साल की सजा और जुर्माने का भी प्रावधान है। ऐसे में कानून का सही अनुपालन हुआ तो गिरफ्तारी भी संभव है।

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