किसान यदि खेत में पराली जलाया तो लगेगा दन्ड देना होगा जुर्माना - जिलाधिकारी


 जौनपुर। जिलाधिकारी दिनेश कुमार सिंह ने कहा है कि कोई भी किसान फसल अवशेष खेत में न जलाए बल्कि उनका प्रबंधन कर मृदा स्वास्थ्य को टिकाऊ एवं अक्षुण्ण बनाए, कंबाइन हार्वेस्टर के साथ फसल अवशेष प्रबंधन वाले यंत्र के साथ फसल की कटाई कराए, यदि कोई भी हार्वेस्टर धारक बगैर फसल अवशेष प्रबंधन वाले यंत्रों के कटाई करते हुए पाए गए तो तत्काल उनकी मशीन सीज कर दी जाएगी। किसानों को फसल अवशेष न जलाने के लिए उन्हें जागरूक करने के लिए न्याय पंचायतवार एवं ग्राम पंचायतवार कृषि विभाग तथा राजस्व विभाग के कर्मचारियों की ड्यूटी लगाई गई है जो आवंटित गांव में 05 अक्टूबर से जनपद के सभी राजस्व गांव में कैंप लगाकर के किसानों को पराली न जलाने के संबंध में जागरूकता अभियान चलाएंगे साथ ही पीएम किसान के लाभार्थी जो केसीसी लेना चाहते हैं उनका भी फार्म भरवा करके संबंधित बैंकों को भेजेंगे तथा किसान सम्मान निधि योजना में किसी किसान का पीएम किसान के आधार पर डाटा सत्यापित नहीं है या कोई समस्या है उसका भी समाधान करेंगे। जिलाधिकारी दिनेश कुमार सिंह ने बताया कि मुख्य सचिव उत्तर प्रदेश शासन के निर्देश पर फसल अवशेष जलाए जाने से उत्पन्न हो रहे प्रदूषण की रोकथाम हेतु जागरूकता अभियान चलाया जा रहा है, इसके लिए जनपद स्तर पर एक सेल का गठन अपर जिलाधिकारी वित्त एवं राजस्व के यहां होगी, जहां पर प्रत्येक दिन की घटनाओं का अनुश्रवण किए जाने तथा प्रत्येक गांव के ग्राम प्रधान, क्षेत्रीय लेखपाल एवं कृषि विभाग के समस्त क्षेत्र कर्मचारी को किसी भी दशा में पराली न जलाने की घटना रोकने हेत अपने-अपने क्षेत्र में कार्यवाही सुनिश्चित करेंगे। माननीय राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) के आदेश के अनुसार फसल अवशेष को जलाना एक दंडनीय अपराध है इससे होने वाली क्षति की वसूली में 2 एकड़ से कम क्षेत्रफल पर रु. 2500 और 2 एकड़ से 5 एकड़ के लिए रु. 5000 और 5 एकड़ से ऊपर के क्षेत्रफल के लिए रु. 15000 तक का दंड लगाकर वसूली किए जाने के निर्देश हैं। फसल अवशेष जलाने की पुनरावृत्ति होने पर संबंधित कृषक के विरुद्ध कारावास, अर्थ दंड की व्यवस्था है साथ ही कृषि विभाग द्वारा दी जाने वाली अनुदान अनुदान की धनराशि बंद कर दी जाएगी। जिलाधिकारी दिनेश कुमार सिंह ने बताया कि गत वर्ष जनपद में 17 घटनाएं घटी थी उनगांव में विशेष रूप से कृषि विभाग का एक-एक कर्मचारी की टीम लगाकर पराली न जलाने के लिए कृषको को जागरूक करेगे। हर हार्वेस्टर मशीन पर कृषि विभाग का कर्मचारी नियुक्त किये हैं जो प्रतिदिन कटाई की सूचना सेल को उपलब्ध कराएगें, जागरूकता अभियान विशेष रूप से हर न्याय पंचायतवार व ग्राम पंचायतवार क्लस्टर बनाकर 1200 राजकीय कर्मचारियों को नामित किया गया है, ताकि फसल अवशेष जलाए जाने की घटनाएं बिल्कुल न हो। 
जनपद के समस्त थाना प्रभारियों को निर्देश दिए गए हैं कि अपने क्षेत्र में फसल अवशेष को जलाने से रोकने हेतु प्रभावी कार्यवाही करें तथा किसी भी दशा में न जलने दे फसल कटाई के दौरान कंबाइन हार्वेस्टर के साथ सुपर स्ट्रा मैनेजमेंट सिस्टम अथवा अथवा स्ट्रा रीपर या बेलर का उपयोग किया जाना अनिवार्य होगा इस व्यवस्था के बगैर कोई भी कंबाइन हार्वेस्टर फसल की कटाई नहीं करेगा यदि कटाई करते हुए पाया जाता है तो उसके कंबाइन को जप्त कर लिया जाएगा और उसके ऊपर अर्थदंड भी लगाया जाएगा जिसके तहत कंबाइन मालिक के स्वयं के खर्चे पर सुपरस्टार मैनेजमेंट सिस्टम लगवाकर ही छोड़ा जाएगा। जिलाधिकारी दिनेश कुमार सिंह ने बताया कि जनपद में इन-सीटू योजना से ग्राम पंचायत समिति के 2 लक्ष्य प्राप्त हुए थे संबंधित ग्राम पंचायतों को रु0 चार लाख के अनुदान की राशि खाते में पहुंच गई है अति शीघ्र फसल अवशेष प्रबंधन यंत्र खरीद कर कटाई में प्रयोग कराएगें। 5 अक्टूबर से सभी राजस्व गांव में कृषि विभाग के तकनीकी सहायक बीटीएम, एटीएम एवं राजस्व विभाग के लेखपाल को पराली न जलाने के संबंध में जागरूकता अभियान चल रहे है।  
     कृषि विभाग के उप परियोजना निदेशक प्रसार डा. रमेश चंद्र यादव ने किसानों को सुझाव देते हुए बताया कि पराली को जलाने के अतिरिक्त पराली प्रबंधन के कई विकल्प है, अगर किसान पराली काटकर गौशाला भेजेगा तो उसे राज वित्त से धनराशि मिलेगी, इसके साथ ही डी-कम्पोजर से पराली का प्रबंधन कर सकते है, किसान चाहे तो मनरेगा से पराली की कटाई करा सकते हैं, वही कृषि विभाग भी पराली के प्रबंधन के लिए कई यंत्रों को 50-80 प्रतिशत अनुदान पर उपलब्ध करा रहा है।

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