भाजपा कांग्रेस के पत्ते खुलते ही मल्हनी विजेता की तस्वीर हो सकती है साफ



जौनपुर। मल्हनी विधानसभा के उप चुनाव हेतु नामांकन की प्रक्रिया शुरू हो गयी है लेकिन भाजपा और कांग्रेस दोनों राष्ट्रीय दलों द्वारा अपने प्रत्याशी मैदान में अभी तक न उतार पाना मल्हनी विधानसभा क्षेत्र में चर्चा का बिषय बना हुआ है। यहां एक बड़ा सवाल खड़ा है कि  आखिर इन दोनों दलों को किस फाइटर की तलाश है। 
सत्ता की कुर्सी पर काबिज जहां तक भाजपा का सवाल है इस दल से चुनाव लड़ने वाले यह मानते हुए कि भाजपा की सरकार है उप चुनाव सरकार का होता है इस लिए माननीय विधायक बनना तय मानते हुए टिकटार्थियों की एक लम्बी फेहरिस्त है। जिसमें मनोज कुमार सिंह, दिनेश सिंह बब्बू, सुशील उपाध्याय, सतीश सिंह पाड़नी सिंह, प्रमोद यादव का नाम प्रमुख रूप से चर्चा में है। चुनाव कौन लड़ेगा इसे तो पार्टी ही जाने लेकिन इन दावेदारों का अगर विशलेषण किया जाये तो इसमें सबसे सरल एवं व्यवहारिक प्रत्याशी दिनेश सिंह नजर आ सकते है। 
यहाँ बतादे कि विगत चुनाव 2017 में सतीश सिंह भाजपा से चुनाव लड़े थे लेकिन पराजय ही नहीं मिली बल्कि चौथे स्थान पर रहे है। इनके राह में सबसे बड़ा रोड़ा इनके समाज का ही एक नेता है जो खुद निर्दल चुनावी जंग में है। सुशील उपाध्याय अपने अध्यक्ष रहते हुए जो सत्ता का खेल किया था उसे मल्हनी ही नहीं पूरे जनपद की आवाम जानती है सरकार भले भाजपा की है लेकिन इनको चुनाव में आने से भाजपा की जो गति होगी उसकी कल्पना भी नहीं कर सकती है। प्रमोद यादव पार्टी में यादव मतदाता अपने पक्ष में करने का दावा भले करे लेकिन इस बार यादवों ने संकल्प लिया है सिर्फ और सिर्फ अखिलेश इसकी खबर सायद टिकटार्थी को नहीं है। इस तरह लगभग जितने नामों पर पार्टी में विचार चल रहा है उनकी कमो बेस स्थित कुछ इसी तरह की है। अब पार्टी किस पर दांव लगायेगी यह तो पार्टी को तय करना है। 

इसी तरह कांग्रेस ने भी अभी पत्ता नहीं खोला है यहाँ पर तीन चार नामों पर मंथन चल रहा है जिसमें पूर्व विधायक स्व तेज बहादुर सिंह के पुत्र सुरेन्द्र वीर विक्रम सिंह, धर्मेन्द्र निषाद, सौरभ शुक्ला, रबी सिंह का नाम चर्चा में आया है इनमें से जो भी लड़ेगा चुनाव भले ही नहीं जीत सकेगा लेकिन कई चुनाव लड़ने वाले योद्धाओं की गणित तो बिगाड़ सकता है। इसके बाद यह भी साफ हो सकेगा कि उप चुनाव का विजेता कौन होगा। 

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