सूर्य उपसना का महाव्रत शुरू, आज है खरना

 

जौनपुर। सूर्य की उपासना का महापर्व छठ नहाय खाय के साथ आरंभ हो चुका है। घरों से लेकर घाट-कुंड और सरोवरों की रौनक देखते ही बन रही है। छठी मईया के गीतों से घर-आंगन भी गूंजने लगे हैं। भगवान भास्कर को अर्घ्य अर्पित करने के लिए घाट व कुंडों पर सफाई की गयी है। वाराणसी नगर निगम ने गंगा घाटों पर सफाई के लिए अपनी पूरी ताकत लगा दी है।
भगवान भास्कर की आराधना और लोक आस्था का महापर्व छठ नहाय खाय के साथ सोमवार से आरंभ हुआ है। नहाय खाय की रस्म के लिए सबसे पहले महिलाओं ने स्नान किया। अधिकांश व्रती महिलाओं ने घरों में स्नान को प्राथमिकता दी। इसके बाद भगवान भास्कर की पूजा करके कद्दू, नया चावल और चने की दाल का भोग लगाया गया।
इसके बाद प्रसाद स्वरूप ग्रहण करके भगवान भास्कर की आराधना के निमित्त आत्म शुद्धता का संकल्प लिया गया। छठ पूजन वाले घरों की रौनक बदली-बदली रही। कहीं सफाई हो रही थी तो कहीं पूजा की तैयारियां। गीत गवनई संग घर व खास तौर पर पूजा गृह की विधिवत सफाई की गई। घाट पर घाट छेकने और वेदी बनाने का काम भी देर शाम तक चलता रहा।  
गोमती तट घाट और कुंडों पर तैयारियों को अंतिम रूप दिया गया है। हालांकि नदी के किनारे कई घाटों पर अभी तक सफाई का काम अधूरा है। गोमती के तट पर भी वेदी बनाने का काम चलता रहा। वहीं शहर के कुंड, तालाब व सरोवरों पर छठ की तैयारियों को अंतिम रूप दिया जा रहा था।
छठ के दूसरे दिन आज मंगलवार को कार्तिक शुक्ल पंचमी को व्रती दिन भर का उपवास रखने के बाद शाम को भोजन करती हैं। इसे खरना कहा जाता है। प्रसाद के रूप में गन्ने के रस में बने हुए चावल की खीर के साथ दूध, चावल का पिठ्ठा और घी चुपड़ी रोटी बनाई जाती है।

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