अशोका इंस्टीट्यूट में उत्साह के साथ मना स्वाधीनता का अमृत महोत्सव


वाराणसी। अशोका इंस्टीट्यूट आफ टेक्नालाजी एंड मैनेजमेंट में उत्साह के साथ स्वाधीनता का अमृत महोत्सव मनाया गया। इस मौके पर देश को आजाद कराने में बलिदान देने वाले क्रांतिवीरों के जीवनवृत्त पर नुक्कड़ नाटक का मंचन किया गया। साथ ही स्टूडेंट्स के बीच भाषण प्रतियोगिता और रंगारंग कार्यक्रम आयोजित किया गया।
अशोका इंस्टीट्यूट के सेंट्रल ग्राउंड में आयोजित स्वाधीनता के अमृत महोत्सव के मौके पर नुक्कड़ नाटक के अलावा भाषण प्रतियोगिताएं आयोजित की गईं। महोत्सव का उद्घाटन इंस्टीट्यूट की निदेशक डा.सारिका श्रीवास्तव ने किया। इस मौके पर उन्होंने कहा कि देश को आजाद करने में अनेक स्वतंत्रता सेनानियों ने अपने जीवन का बलिदान दिया है। उनमें से कुछ को तो हमने याद रखा, लेकिन कुछ ऐसे भी लोग रहे हैं, जो गुमनामी के अंधेरों में खो गए।
आज हम सब उन सभी स्वतंत्रता सेनानियों को याद करते हैं और हम उन्हें नमन करते हुए श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं। साथ ही स्टूडेंट्स से अपेक्षा करते हैं कि वह इन महापुरुषों के जीवन से प्रेरणा लेकर देशभक्ति, साहस, वीरता, त्याग, दान जैसे मूल्यों को अपने जीवन में अपनाएं और  चरित्र-निर्माण व राष्ट्र-निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएं। उन्होंने कहा कि आजादी का अमृत महोत्सव भारत की प्रगतिशील सामाजिक, सांस्कृतिक, राजनीतिक और आर्थिक पहचान का एक अवतार है।
प्रबंध शास्त्र विभाग (एमबीए) के डीन सीपी मल्ल और फार्मेसी के प्रधानाचार्य डा.बृजेश सिंह ने कहा कि 'आज़ादी का अमृत महोत्सव' पिछले 75 वर्षों में भारत द्वारा की गई तीव्र प्रगति एवं उन्नति के अनुभूति का एक त्योहार। यह त्योहार हमें अपनी छिपी शक्तियों को फिर से खोजने के लिए प्रोत्साहित करता है और हमें राष्ट्रों के समूह में अपना सही स्थान हासिल करने के लिए ईमानदार, सहक्रियात्मक कार्रवाई करने के लिए प्रेरित करता है। महोत्सव का संचालन करते हुए एमबीए की शिक्षिका शर्मिला सिंह ने कहा कि डा.सारिका ने कहा कि महात्मा गांधी ने 12 मार्च 1930 को देश की आत्मनिर्भरता और स्वाभिमान की जागृति के लिए साबरमती आश्रम से दांडी यात्रा शुरू की थी और इस दिन 2021 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने प्रतीकात्मक दांडी यात्रा की शुरुआत की है जो हमारी आत्मनिर्भरता और स्वाभिमान के पुनरुत्थान का प्रतीक है। आज़ादी का अमृत महोत्सव भारत के उन सभी लोगों को समर्पित है, जिन्होंने न केवल भारत के विकासयात्रा में  महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है, बल्कि उनके भीतर वह शक्ति और क्षमता भी है, जो भारत 2.0 को सक्रिय करने के लिए प्रधानमंत्री मोदी की दूरदृष्टि भावना से प्रेरित आत्मनिर्भर भारत को साकार कर रहे हैं।
नुक्कड़ नाटक, भाषण प्रतियोगिता और रंगारंग कार्यक्रम में प्रियंका पटेल, शुभम सिंह, पंकज गौतम, प्रद्युम्न शर्मा, मो.आलम, अभिषेक कुमार गुप्ता, शिवम सिंह, रिनी सिंह, प्रियंका चौहान, तोहिद आलम, उम्ना जरीन, राहुल सेठ, सुयस शुक्ला, अभिषेक गुप्ता, सचिन सोनकर, मृत्युंजय पांडेय, मंगलम राय, धीरज सिंह, मीमांसा मिश्रा, अदिति जायसवाल, मानवीय पाठक, जोगेश चटर्जी, सुखदेव राज, सुशीला, सरला घोषाल, शचिंद्रनाथ बख्शी, अक्नेश षांडिल्य आदि ने भाग लिया। कार्यक्रम को सफल बनाने में इंस्टीट्यूट के शिक्षक प्रशांत गुप्त पल्लवी सिंह, अनुजा सिंह ने अहम भूमिका निभाई।

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