जीएसटी के जरिए जानें कैसे बिजली उपभोक्ताओ की जेब काटने की तैयारी में है केन्द्र सरकार

केंद्र सरकार ने बिजली को जीएसटी के दायरे में लाने पर विचार शुरू कर दिया है। केंद्रीय ऊर्जा मंत्री ने यूपी के अधिकारियों से इस संबंध में चर्चा की है। हालांकि, राज्य ने केंद्र सरकार के इस प्रस्ताव पर फिलहाल आपत्ति जताई है। ऊर्जा विभाग के अफसरों ने तर्क दिया है कि जीएसटी लगाने से पहले सभी निगमों की स्थिति का मूल्यांकन जरूरी है।
केंद्रीय ऊर्जा मंत्री आरके सिंह ने 29 मार्च की शाम उत्तर प्रदेश के ऊर्जा विभाग के अफसरों के साथ वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग की। इस दौरान उन्होंने बिजली बिल पर जीएसटी लगाने का प्रस्ताव रखा। उन्होंने यूपी के अधिकारियों का मत पूछा और कई विकल्पों पर चर्चा की। केंद्रीय ऊर्जा मंत्रालय चाहता है कि पहले चरण में वाणिज्यिक और औद्योगिक सेक्टर के विद्युत उपभोक्ताओं को जीएसटी के दायरे में लाया जाए। इस पर भी राज्यों से राय ली जा रही है।
हालांकि कांफ्रेंस के दौरान उत्तर प्रदेश ने इस प्रस्ताव पर असहमति जताई है। अफसरों ने तर्क दिया है कि विद्युत निगमों की स्थिति का मूल्यांकन किया जाए। फिर इस पर बात होगी। जीएसटी लगाने के नफा और नुकसान दोनों का मूल्यांकन करना होगा।
ऊर्जा विभाग के अपर मुख्य सचिव महेश कुमार गुप्ता ने बताया कि केंद्र ने अभी इस विचार पर सुझाव मांगा है। लागू करने की प्रक्रिया लंबी होती है। उपभोक्ताओं की स्थिति बताते हुए इस पर विस्तार से रिपोर्ट तैयार की जाएगी। यह भी देखा जाएगा यदि जीएसटी बिजली बिल में शामिल हो गया तो कितना भार पड़ेगा। वसूली न होने की स्थिति में बिजली कंपनियों पर भार बढ़ेगा तो उसकी भरपाई कैसे होगी? इन सभी पहलुओं पर विचार किया जाएगा। इसके बाद ही कोई फैसला होगा।
उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने जीएसटी पर विभागीय अधिकारियों द्वारा आपत्ति जताने पर आभार जताया है। उन्होंने कहा कि जीएसटी के जरिए उपभोक्ताओं की जेब काटने की तैयारी है। इसे किसी भी कीमत पर लागू नहीं होने दिया जाएगा। उन्होंने बृहस्पतिवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर बताया है कि प्रदेश के 3.26 करोड़ बिजली उपभोक्ता पांच से 7.59 फीसदी इलेक्ट्रिसिटी ड्यूटी देते हैं।
इस वर्ष इलेक्ट्रिसिटी ड्यूटी के रूप में 3032 करोड़ रुपये राज्य सरकार को दिया है। ऐसे में केंद्र ने जीएसटी लगाया तो उपभोक्ताओं की स्थिति खराब हो जाएगी। उन्होंने सुझाव दिया है कि उपभोक्ताओं पर नए कर लगाने के बजाय खर्चे कम किए जाएं। उन्होंने चेतावनी दी है कि जबरदस्ती जीएसटी लगाने का प्रयास किया गया तो उपभोक्ताओं के हक पर हर स्तर पर विरोध किया जाएगा।

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