लोकायुक्त ने प्रमुख सचिव सहकारिता के खिलाफ आखिर वारंट क्यों जारी किया, जानें कारण


लोकायुक्त संगठन ने प्रमुख सचिव सहकारिता बीएल मीना के खिलाफ जमानती वारंट जारी किया है। मीना को सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों में फायर फाइटिंग सिस्टम स्थापित करने की निविदा नियम विरुद्ध तरीके से जारी करने के मामले में पूछ-ताछ के लिए तलब किया गया था। उस वक्त बीएल मीना समाज कल्याण विभाग के प्रमुख सचिव थे। उनको 15 अप्रैल को पेश होने का अंतिम नोटिस दिया गया था। इसकी अवलेहना पर उनके खिलाफ दस हजार रुपये का जमानती वारंट जारी किया गया है। वारंट तामील कराने के लिए 18 मई को लखनऊ के पुलिस आयुक्त को आदेश भी दिया जा चुका है। इस प्रकरण में तत्कालीन समाज कल्याण मंत्री रमापति शास्त्री, आईएएस अमित मोहन प्रसाद, बीएल मीना, शिवप्रसाद समेत सात आरोपियों के खिलाफ भी सम्मन भी जारी हो चुका है।
लोकायुक्त संगठन के सचिव अनिल कुमार सिंह के मुताबिक प्रमुख सचिव उप लोकायुक्त दिनेश कुमार सिंह के आदेशों के बावजूद जांच में सहयोग करने के लिए पेश नहीं हो रहे थे। उन्होंने लोकायुक्त संगठन को साक्ष्य भी उपलब्ध नहीं कराए। बताते चलें कि लोकायुक्त संगठन में दो वर्ष पहले लखनऊ की फर्म आरके इंजीनियर्स सर्विसेज के पार्टनर सतनाम सिंह ने सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों में अग्निशमन व्यवस्था के कार्यों की निविदा जारी करने में हुई अनियमिताओं को लेकर शिकायत दर्ज कराई थी। इसमें तत्कालीन समाज कल्याण मंत्री रमापति शास्त्री, अपर मुख्य सचिव स्वास्थ्य चिकित्सा एवं परिवार कल्याण अमित मोहन प्रसाद, प्रमुख सचिव समाज कल्याण बीएल मीना, चिकित्सा एवं स्वास्थ्य सेवा के अपर निदेशक (विद्युत) डीके सिंह, यूपी सिडको के प्रबंध निदेशक शिव प्रसाद(आईएएस), प्रभारी महाप्रबंधक (निर्माण) ओपी सिंह और प्रभारी मुख्य अभियंता (विद्युत) रविंद्र त्रिपाठी पर भ्रष्टाचार अंजाम देने के गंभीर आरोप लगाए थे। बताते चलें कि वर्ष 2021 में यूपी स्टेट कंस्ट्रक्शन एंड इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट कारपोरेशन लिमिटेड ने मऊ, रायबरेली, लखीमपुर, शाहजहांपुर, बुलंदशहर, कौशांबी के 74 सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों में अग्निशमन व्यवस्था के कार्यों से संबंधित 10 निविदाएं जारी की थी।
लोकायुक्त संगठन में की गई शिकायत में तत्कालीन कैबिनेट मंत्री रमापति शास्त्री पर शिकायतों को अनदेखा करने का आरोप लगाया गया है। उनको घोटाले में शामिल होने की वजह से 120बी का आरोपी बनाने की मांग की गई थी। इसी तरह अमित मोहन प्रसाद और बीएल मीना पर पद का दुरुपयोग करने और आपराधिक साजिश रचने का आरोप लगाया गया था। यूपीसिडको के एमडी शिवप्रसाद पर चहेती कंपनियों को काम देने का आरोप लगाते हुए भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत कार्रवाई करने की मांग की गई थी।
इससे पहले पैक्सफेड के जरिए सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों में अग्निशमन व्यवस्था का कार्य कराने में हुई गड़बड़ियों की जांच का आदेश भी लोकायुक्त संगठन दे चुका है। इस प्रकरण में चिकित्सा स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग के तत्कालीन अपर मुख्य सचिव अमित मोहन प्रसाद, विशेष सचिव प्रांजल यादव, संयुक्त सचिव प्राणेश चंद्र शुक्ला, अपर निदेशक (विद्युत) डीके सिंह तथा अनुभाग अधिकारी चंदन कुमार रावत के खिलाफ उप लोकायुक्त दिनेश कुमार सिंह ने जांच शुरू कर दी है।

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