उपभोक्ता संरक्षण कानून में हुआ बदलाव, अब घटिया सामान बेचने वालों की खैर नहीं चलेगा कानून का डन्डा



घटिया सामान बेचने वालों और गुमराह करने वाले विज्ञापन देने वालों की अब खैर नहीं। उपभोक्ता कानून में किए गए बदलावों के कारण ऐसे लोगों को जेल की हवा खानी पड़ सकती है या भारी जुर्माने का सामना करना पड़ सकता है। जुर्माने की राशि एक लाख रुपए होगी। केंद्र सरकार ने उपभोक्ता संरक्षण कानून में कई बदलाव किए हैं। नया उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम सोमवार से लागू हो गया है।

केंद्र सरकार की ओर से कानून में किए गए बदलावों से उपभोक्ताओं के अधिकारों में काफी बढ़ोतरी हुई है। घटिया समान बेचने वालों और गुमराह करने वाले विज्ञापनों पर अब पूरी तरह शिकंजा कस दिया गया है। बड़े नुकसान की स्थिति में ग्राहक को पांच लाख का मुआवजा देना होगा और 7 साल की जेल होगी। अगर उपभोक्ता की मौत हो जाती है तो मुआवजे की राशि दस लाख होगी। ऐसी स्थिति में 7 साल की जेल या आजीवन कारावास तक की सजा हो सकती है।

नए उपभोक्ता कानून के दायरे में ई-कॉमर्स कंपनियों को भी लाया गया है। नए कानून में यह भी प्रावधान किया गया है कि अब ग्राहक किसी भी उपभोक्ता अदालत में शिकायत कर सकेगा। अभी तक यह व्यवस्था थी कि शिकायत वहीं की जा सकती थी जहां से सामान खरीदा गया हो।

उपभोक्ताओं के अधिकारों को संरक्षित करने के लिए केंद्रीय उपभोक्ता संरक्षण प्राधिकरण (सीसीपीए) का गठन होगा। प्राधिकरण उपभोक्ता अधिकारों की अनदेखी करने वालों और भ्रमित करने वाले विज्ञापनों पर नजर रखेगा। सीसीपीए की अपनी स्वतंत्र जांच एजेंसी होगी। प्राधिकरण उपभोक्ता कानून के तहत उत्पादक या उसके प्रचारक पर गलत जानकारी देने के आरोप में दस लाख रुपए तक का जुर्माना लगा सकता है। इसके साथ ही दो साल तक की जेल भी हो सकती है।


कंपनियां अपने उत्पादों का प्रचार करने के लिए सेलिब्रिटीज की मदद लेते हैं मगर नए कानून में सेलिब्रिटीज पर भी शिकंजा कस दिया गया है। किसी भी उत्पाद का भ्रामक विज्ञापन करने पर सेलिब्रिटी पर दस लाख तक का जुर्माना लग सकता है। नए उपभोक्ता कानून में प्रावधान किया गया है कि यह सेलिब्रिटी का दायित्व होगा कि वह विज्ञापन में किए जाने वाले दावे की पहले पड़ताल कर ले। यदि दावे की पुष्टि नहीं होती है तो सेलिब्रिटीज को भारी जुर्माना देना होगा।

नए उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम के अनुसार जिला स्तर पर उन वस्तुओं व सेवाओं के संबंध में सुनवाई होगी जिनकी कीमत एक करोड़ से अधिक नहीं होगी। एक करोड़ से अधिक मगर 10 करोड़ से कम कीमत वाली वस्तुओं की सुनवाई राज्य स्तर पर स्थापित प्राधिकरण में होगी। 10 करोड़ से अधिक कीमत वाली वस्तुओं या सेवाओं से जुड़े मामलों की सुनवाई राष्ट्रीय स्तर पर की जाएगी।

इसके साथ ही जिला स्तर से लेकर राज्य स्तर तक होने वाली नियुक्तियों, सेवा शर्तों, वेतन और भत्ते के संबंध में भी दिशा-निर्देश जारी किए गए हैं। नए कानून के तहत राज्य और जिला स्तर पर अध्यक्ष पद पर हाईकोर्ट के न्यायाधीश की नियुक्ति होगी। राज्य आयोग के अध्यक्ष पद या एक सदस्य पद पर महिला का होना जरूरी है। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने पिछले साल 9 अगस्त को इस बिल को मंजूरी दे दी थी। सरकार के इस फैसले के बाद उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986 लगभग पूरी तरह बदल बदल गया है।

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