फर्जी प्रमाणपत्र के सहारे बेसिक शिक्षा विभाग में नौकरी करने वाला एक और जालसाज पर मुकदमा


उत्तर प्रदेश शिक्षा विभाग में जाल साजी का मानों रूकने के नाम ही नहीं सवाल यह है कि इस विभाग में फर्जी वाड़े के आधार पर आखिर नौकरियां आखिर कैसे मिल रही है कौन जिम्मेदार है। अभी फिर एक मामला जनपद अम्बेडकर नगर जिले से प्रकाश में आया है बेसिक शिक्षा विभाग में आमतौर पर फर्जी अभिलेखों के आधार पर नौकरी करने के तो कई मामले सामने आते रहे हैं। लेकिन अध्यापक भर्ती परीक्षा का ही फर्जी अंकपत्र लगाकर नौकरी प्राप्त कर लेने के मामले यदा-कदा ही सामने आते हैं। अंबेडकर नगर जिले में एक शिक्षक द्वारा किए गए इस फर्जीवाड़े का खुलासा हो जाने के बाद जहां उसे बर्खास्त कर दिया गया है वहीं प्राथमिकी दर्ज कराए जाने के साथ ही रिकवरी की कार्यवाही भी शुरू कर दी गई है। 
बताया जाता है कि उक्त शिक्षक के विरुद्ध यह कार्यवाही लगभग 6 माह पूर्व ही हो जानी चाहिए थी। लेकिन अब तक विभाग में मौजूद रहे उसके आकाओं ने मामले को दबाए रखा था। जिले में बेसिक शिक्षा विभाग के मुखिया व खंड शिक्षा अधिकारी की तैनाती में बदलाव आने के बाद अंततः आरोपी शिक्षक के विरुद्ध कार्यवाही हो ही गई। अकबरपुर शिक्षा क्षेत्र के प्राथमिक विद्यालय सिकरोहर में सहायक अध्यापक तैनात था यह मामला मामला अकबरपुर शिक्षा क्षेत्र के प्राथमिक विद्यालय सिकरोहर में कार्यरत रहे सहायक अध्यापक केके दुबे से सम्बंधित है। 
पूर्व में शिक्षा मित्र रहे केके दूबे भी सपा शासन काल के शिक्षक बन गए थे। इस दौरान उन्हें प्राथमिक विद्यालय चंदनपुर हरीपुर व प्राथमिक विद्यालय बरियावन में तैनात किया गया था। उच्चतम न्यायालय के निर्णय के बाद सभी को पुनः शिक्षा मित्र बना दिया गया और वह बरियावन में ही शिक्षा मित्र के रूप में कार्य करते रहे। जलालपुर तहसील क्षेत्र के रहने वाले केके दूबे ने केंद्रीय अध्यापक पात्रता परीक्षा दी जिसके उपरांत उन्होंने शिक्षक भर्ती परीक्षा अर्थात सुपर टेट की परीक्षा दी। वह दोनों परीक्षाओं में असफल रहे लेकिन अति महत्वाकांक्षी होने के कारण उन्होंने सीटीईटी का फर्जी अंकपत्र लगाकर सुपर टेट में भाग लिया और वंहा भी असफल होने पर स्क्रूटनी कराए जाने के दौरान रहस्यमय ढंग से उत्तीर्ण हो गए। इसी के बाद उन्हें 19 मार्च 19 को प्राथमिक विद्यालय सिकरोहर में तैनाती दी गयी। वह लंबे समय तरफ शिक्षा मित्र संघ के अध्यक्ष भी रहे हैं।
वह लंबे समय तक शिक्षा मित्र संघ के अध्यक्ष भी रहे जिसके कारण समय समय पर अधिकारियों पर रौब भी जमाते रहते थे। सीटीईटी का फर्जी अंकपत्र लगाकर सुपर टेट परीक्षा में प्रतिभाग करने की शिकायत 15 दिसम्बर 20 को जिलाधिकारी से की गई थी। जिसकी जांच एडी बेसिक कर रहे थे। ऑनलाइन जांच में सीटीईटी का अंकपत्र फर्जी पाया गया ऑनलाइन जांच में सीटीईटी का अंकपत्र फर्जी पाया गया। जिस अनुक्रमांक के सहारे वह शिक्षक बने थे,जांच में वह अनुराग पांडेय का निकला।साथ की क्वालीफाई अंक 90 के स्थान पर 52 निकला। केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड द्वारा कराई गई जांच में भी फर्जीवाड़े की पुष्टि हो गयी। 
फर्जीवाड़े के बाद बीएसए अतुल कुमार सिंह ने शिक्षक के वेतन पर रोक लगाई फर्जीवाड़े की पुष्टि हो जाने के बाद तत्कालीन बीएसए अतुल कुमार सिंह ने वेतन भुगतान पर रोक लगाते हुए खण्ड शिक्षा अधिकारी अकबरपुर को कार्यवाई का आदेश दिया था लेकिन यह प्रकरण उनके पास लम्बे समय तक लंबित पड़ा रहा और कोई कार्यवाई नही की गई। नवागत खण्ड शिक्षा अधिकारी आँचल सिंह ने अब कार्यवाई कर दी है ।बताया जाता है कि शिक्षा मित्र से अध्यापक बने दो और लोग भी इस प्रकार के फर्जीवाड़े के सहारे काम कर रहे हैं। 
बीएसए भोलेन्द्र प्रताप सिंह ने कार्यवाई की पुष्टि की है जिनकी पहचान कर ली गयी है। जल्द ही उनके विरुद्ध भी कार्यवाही होने की संभावना है। बीएसए भोलेन्द्र प्रताप सिंह ने कार्यवाई की पुष्टि की है। यंहा यह बात भी महत्वपूर्ण है कि बेसिक शिक्षा विभाग में एक संदिग्ध व्यक्ति के रहते यह बर्खास्तगी कितना दिन तक प्रभावी रह सकेगी,यह देखने वाली बात होगी क्योंकि फर्जी अभिलेखों के सहारे शिक्षक बने एक व्यक्ति को पूर्व में भी बर्खास्त किया जा चुका था लेकिन विभाग के इसी व्यक्ति की लचर कार्यप्रणाली के कारण वह पुनः शिक्षक बन बैठा है।

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