बीएचयू के लैब में बनी यह वटी जानें कैसे करेगी डायबिटीज पर नियंत्रण


कोरोना की दूसरी लहर में बीएचयू में ब्लैक फंगस के 297 मरीज आए थे और इन सभी को डायबिटीज थी। अब ओमिक्रोन की दस्तक के बाद डाक्टर शुगर को नियंत्रण में रखने की सलाह दे रहे हैैं। इसमें एलोपैथ के साथ ही आयुर्वेदिक दवाएं भी काफी कारगर साबित हो रही हैं। शुगर स्तर नियंत्रित रखने में चिकित्सा विज्ञान संस्थान, बीएचयू स्थित आयुर्वेद संकाय के द्रव्य गुण विभाग की ओर से पंच वल्कल काढ़ा काफी मददगार सिद्ध हो रहा है। इसे कई कंपनियां बाजार में उतार भी चुकी हैैं। अब विभाग के प्रो. अनिल कुमार ङ्क्षसह के निर्देशन में शोध छात्रा जम्मू निवासी डा. एकता मन्हास ने आयुर्वेदिक वटी बनाई है।

त्रिफला, त्रिकटु, गोक्षुर व गुग्गुल से बनी वटी (टैबलेट) का दो साल से डायबिटीज के मरीजों पर परीक्षण चल रहा है। अब तक मिले परिणाम बेहद संतोषजनक हैं। कुल मिलाकर आठ औषधीय पौधों के तत्व को मिलाकर यह वटी तैयार की गई है। त्रिफला में हरितकी, विवितकी व आमलकी को शामिल किया गया है। वहीं, त्रिकटु में सोंठ (सूखा अदरक), पिपली व मरीच हैं। साथ ही वटी में गुग्गुल व गोक्षुर को मिलाया गया है। डायबिटीज के 30-30 मरीजों को तीन समूहों में बांट कर यह दवा दी गई। पहले समूह को सिर्फ यह आयुर्वेदिक वटी दी गई। दूसरे समूह के लोगों को सिर्फ एलोपैथ व तीसरे समूह के लोगों को दोनों ही दवाएं दी गईं। जिन्हें सिर्फ वटी दी गई, उनमें डायबिटीज को नियंत्रित करने में काफी मदद मिली है। जल्द ही यह दवा बाजार में भी उपलब्ध होगी।

इसी विभाग ने पहले पंचवल्कल काढ़ा तैयार किया था

इसी विभाग ने पहले पंचवल्कल काढ़ा तैयार किया था। इससे मधुमेह रोगियों को काफी राहत मिल रही है। यह भी शुगर के मरीजों पर कारगर सिद्ध हो रही है। परीक्षण की प्रक्रिया पूरी होने के बाद दवा जल्द बाजार में उपलब्ध होगी।

- डा. अनिल कुमार सिंह, प्रोफेसर द्रव्यगुण विभाग, आयुर्वेद संकाय, आइएमएस, बीएचयू

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