विश्व एथलेटिक्स में जौनपुर का युवा रोहित पहुंचा फाइनल में, गांव में जश्न और बधाईयों का तांता
जौनपुर । अमेरिका में हो रहे विश्व एथलेटिक्स चैंपियनशिप के फाइनल में पहुंचने वाले तीन खिलाड़ियों में जौनपुर के रोहित यादव भी हैं। इस युवा खिलाड़ी ने 80.42 मीटर भाला फेंककर यह सफलता हासिल की है। इसकी जानकारी मिलते ही लोगों का सीना गर्व से चौड़ा हो गया। गांव में जश्न का माहौल है। हर कोई रविवार को होने वाले फाइनल मुकाबले में रोहित के चैंपियन बनने की प्रार्थना कर रहा है।
मीरगंज के अदारी डभिया गांव निवासी मैराथन धावक सभाजीत यादव के पुत्र रोहित यादव किसी परिचय के मोहताज नहीं हैं। उन्हें यह प्रतिभा विरासत में मिली है। वह पांच साल से राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपना जौहर दिखा रहे हैं। ये उस समय सुर्खियों में आए थे जब 2017 में विश्व स्कूल गेम चैंपियनशिप में तुर्की में स्वर्ण पदक जीता था। रोहित ओलंपिक में स्वर्ण पदक विजेता नीरज चोपड़ा के साथ दक्षिण अफ्रीका में रजत पदक भी जीत चुके हैं। तमिलनाडु के चेन्नई में 10 से 14 जून तक खेली गई 61वीं नेशनल इंटर स्टेट चैंपियनशिप में 82.54 मीटर भाला फेंककर रजत पदक जीता था। वह कई राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिता में स्वर्ण व रजत पदक जीत चुके हैं। उत्तर प्रदेश सरकार उन्हें खेल दिवस पर सम्मानित भी कर चुकी है। बेटे की सफलता पर मां पुष्पा देवी बेहद खुश हैं।
यहां बता दे कि रोहित के पिता सभाजीत यादव 66 साल की उम्र में भी दौड़ लगाते हैं। उन्होंने दिल्ली, मुंबई, बेंगलुरु समेत कई महानगरों में हाफ व फुल मैराथन में करीब 60 पदक जीते हैं। रोहित के अलावा उनके दो अन्य बेटे रोहन व राहुल भी भाला फेंक इंटरनेशनल प्रतियोगिता की तैयारी कर रहे हैं। मेधावियों की उपलब्धि से गदगद गांव के प्रधान चंद्रसेन गिरी, राम आसरे यादव, धर्मेद्र गिरी का कथन है कि हमारे गांव में सुविधाएं सीमित हैं। सभाजीत ने अपने तीन बेटों को अच्छा प्रशिक्षण और प्रोत्साहन दिया है।
रोहित यादव के 16 वर्षीय छोटे भाई रोहन यादव की मेधा को पहचान कर पेरू के कोच माइकल मुसेलनमैन उसे तराशने में जुटे हैं। माइकल ने छह माह पूर्व भाला फेंकते रोहन का वीडियो ट्विटर पर पोस्ट किया था जो चर्चा का विषय रहा। खेल प्रेमी न सिर्फ रोहन की मेधा की सराहना कर रहे हैं, बल्कि उसमें ओलिंपिक गोल्ड मेडलिस्ट नीरज चोपड़ा की छवि भी देख रहे हैं।
रोहित ने अपने लगन व दमखम से साबित कर दिया है कि प्रतिभा किसी चीज की मोहताज नहीं होती। गांव में माता-पिता व भाइयों के साथ दो छप्पर में जीवन बिताने वाले रोहित इन दिनों प्रतिभा व अहर्निश परिश्रम के बल पर अपनी चमक बिखेर रहे हैं। रोहित ने हाईस्कूल व इंटरमीडिएट की पढ़ाई जनता इंटर कालेज चितांव व ग्रेजुएशन टीडी कालेज जौनपुर से किया है। इस समय वह बीएलडब्लू वाराणसी में वरिष्ठ लिपिक पद पर कार्यरत हैं। होनहार रोहित के घर जाने के लिए आज तक रास्ता नहीं बन सका है। परिवार की माली हालत भी बहुत बेहतर नहीं है, लेकिन समस्याओं की परवाह न करते हुए रोहित जिस मुकाम पर पहुंचे हैं वह युवाओं के लिए प्रेरणा है।
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